सीएम के शहर में आरएस की सर्वाधिक संपत्ति
जागरण संवाददाता, वाराणसी : जल निगम में जेई के पद पर काम करते समय आरएस यादव को भी नहीं पता
जागरण संवाददाता, वाराणसी : चंदौली के निलंबित एआरटीओ आरएस यादव के कारनामे की यूं ही नहीं चर्चा हो रही है। 50 से 60 हजार रुपये तनख्वाह पाने वाले आरएस ने महज आठ से दस साल में देखते ही देखते 500 करोड़ का काला कारोबार स्थापित कर लिया। मामला संज्ञान में लेते हुए हाल ही में हाईकोर्ट ने सूबे के मुख्य सचिव व डीजीपी को मामले की पुनर्विवेचना का आदेश दिया था। इस मामले में विजिलेंस की शुरुआती जांच में यह बात सामने आया है कि आरएस यादव की संपत्ति पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सीएम के क्षेत्र गोरखपुर में है। इसके बाद पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में है।
सूत्रों का कहना है कि चंदौली में विवेचना अधिकारी की जांच रिपोर्ट सौंपने के बावजूद करोड़ों की संपत्ति की गोपनीय जांच की जा रही थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जांच की गति और तेज हुई। इसमें सामने आया कि गोरखपुर, वाराणसी, फैजाबाद, इलाहाबाद, नोएडा, गाजियाबाद सहित कई जगहों पर आरएस की करोड़ों की चल अचल संपत्ति है। हां, यह जरूर है कि अधिकतर प्रापर्टी व बैंक खाते उसके नाम से न होकर किसी रिश्तेदार, नातेदार या फिर दोस्तों के नाम से हैं। विजिलेंस के अफसरों का कहना है कि गोरखपुर में सबसे ज्यादा संपत्ति का मामला प्रकाश में आने से शासन स्तर पर हड़कंप मचा हुआ है। काली कमाई के रास्तों की भी पड़ताल की जा रही है। जल्द ही पूरा मामला सार्वजनिक किया जाएगा।
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पंचम तल का सहारा, आरएस यादव को मिलता रहा सहारा
वाराणसी : जल निगम में जेई के पद पर काम करते समय आरएस यादव को भी नहीं पता था कि वह चंद महीनों में करोड़ों का मालिक हो जाएगा। बात सन् 2000-01 की है। उस दौरान जल निगम के कुछ जेई महज तीन साल के लिए परिवहन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आए। उस दौरान बतौर प्राविधिक निरीक्षक (आरआइ) आरएस ने भी ज्वाइन किया। विभागीय अफसरों की मानें तो कुछ दिनों तक आरएस ने शांत भाव से काम किया लेकिन महीना बीतते-बीतते कमाई की भूख इस कदर बढ़ी कि लाखों की चाह करोड़ों में बदल गई। धन लोलुपता ऐसी छाई कि उसका फिर कभी जल निगम की ओर जाने का मन ही नहीं किया। देखते ही देखते पैसे के साथ सफेदपोशों व नौकरशाही में पैठ जबदस्त बढ़ती गई। परिणाम रहा कि आरटीओ के खास और मलाईदार अफसरों में आरएस यादव का नाम प्रकाश में आने लगा। सूत्रों का कहना है कि परिवहन विभाग में आरएस की धमक इस कदर बढ़ी कि उसके नाम से मोटी रकम वसूली जाने लगी। लाखों रुपये शासन के दरबार तक हर महीने पहुंचते रहे। इसके दम पर पहले बसपा सरकार में सचिवालय के पंचम तल तक धमक बढ़ी फिर सपा सरकार में कई मंत्रियों से उसकी नजदीकियां बढ़ती गई। इस बीच प्रमोशन पाकर वह एआरटीओ की कुर्सी पा चुका था। फिर क्या था, लाखों की वसूली करोड़ों में तब्दील हो गई।