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पिता का कुशलक्षेम लेकर बीएचयू लौटे फिरोज, नव-नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को पहली कक्षा का इंतजार

बीएचयू स्थित संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान अपने पैतृक गांव बगरु (जयपुर) से बुधवार को बनारस लौट आए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 09:01 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 08:22 AM (IST)
पिता का कुशलक्षेम लेकर बीएचयू लौटे फिरोज, नव-नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को पहली कक्षा का इंतजार
पिता का कुशलक्षेम लेकर बीएचयू लौटे फिरोज, नव-नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को पहली कक्षा का इंतजार

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू स्थित संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान अपने पैतृक गांव बगरु (जयपुर) से बुधवार को बनारस लौट आए। विवि प्रशासन के सहयोगात्मक रवैये पर आभार जताते हुए उन्होंने विरोध करने वालों को स्नेह की सीख दी।

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नियुक्ति को लेकर उपजे विवाद की चिंता में फिरोज के पिता रमजान खान बीमार पड़ गए थे। इधर, छात्रों के विरोध और कक्षाएं संचालित न होने के कारण उन्होंने जयपुर जाना ही उचित समझा। इस दौरान विवि परिसर में तरह-तरह के कयास भी लगाए जाने लगे थे। वहीं उन्होंने वापस लौटकर आशंकाओं पर विराम लगाया। नियुक्ति मामले में विवि प्रशासन तय नियमों के अनुपालन और पारदर्शी प्रक्रिया के अपने बयान पर कायम रहकर फिरोज खान के साथ खड़ा है। इस बीच फिरोज की यू-ट्यब की एक ऑडियो क्लिप खूब साझा की जा रही है। इसमें वह बोल रहे हैं कि, 'वेग का शमन केवल स्नेह से किया जा सकता है, वेग से नहीं। मेरी नियुक्ति के विरोध में जो भी छात्र हैं उनसे अपील है कि एक बार मुझे जान-समझ तो लें। विवि प्रशासन चाहेगा तो मैं स्वयं छात्रों से बातचीत करने जा सकता हूं।

फिरोज खान का नहीं, बीएचयू का है विरोध

बीएचयू स्थित संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति को लेकर धरनारत छात्रों ने कुलपति आवास के सामने बुधवार को पे्रसवार्ता की। कहा यह विरोध फिरोज खान का नहीं, बल्कि धर्म विज्ञान संकाय में एक गैर ङ्क्षहदू की नियुक्ति का है। फिरोज खान का विवि परिसर में स्वागत है। अगर यही नियुक्ति विवि के किसी अन्य संकाय में संस्कृत अध्यापक के रूप में होती तो विरोध नहीं होता। यह समझने की जरूरत है कि 'संस्कृत विद्या कोई भी और किसी भी धर्म का व्यक्ति पढ़ और पढ़ा सकता है, लेकिन 'धर्म विज्ञान की बात जब कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति करे तो विश्वसनीयता नहीं रह जाती। यह संकाय देश के अन्य संस्कृत संकायों, विभागों से अलग है। बीएचयू में मालवीय जी ने इस संकाय की स्थापना संस्कृत विद्या के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए इस उद्देश्य के साथ किया था कि हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं के वैज्ञानिक स्वरूप की व्याख्या की जा सके। छात्रों ने नियुक्ति में धांधली का आरोप लगाया। कहा कि जरूरत पडऩे पर न्यायालय भी जाएंगे।

फिरोज की नियुक्ति का विरोध कर रहे असामाजिक तत्वों पर लगाएं अंकुश

कांग्रेस के शिष्टमंडल ने पूर्व विधायक अजय राय और जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा की अगुवाई में बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर से मुलाकात की। अवगत कराया कि विवि परिसर आरएसएस की कार्यशाला बनता जा रहा। जिससे अशांति का माहौल है। कांग्रेसजनों ने छात्रों के दमन आदि मुद्दों पर चिंता व्यक्त कर कार्रवाई की मांग की। पूर्व विधायक अजय राय ने कहा कि आरएसएस की छाया परिसर पर पड़ रही, जिससे शिक्षक और विद्यार्थियों में दूरियां बढ़ रहीं हैं। आरएसएस द्वारा परिसर में विवादित व्याख्यान दिया जा रहा है। इससे परिसर का माहौल खराब हो रहा है जिसे रोका जाए। असामाजिक तत्व धार्मिक आधार पर संस्कृत के प्रो. फिरोज खान की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर तत्काल अंकुश लगाने की जरूरत है। हाल में बरकछा कैंपस में आरएसएस का ध्वज लगाकर माहौल खराब करने का प्रयास किया गया। निश्चित रूप से शिक्षण संस्थान में किसी पार्टी का ध्वज फहराना असंवैधानिक है। इसके दोषियों पर जल्द कार्रवाई हो। छात्रों के मौलिक अधिकारों की सुनवाई हो, क्योंकि वे देश के भविष्य हैं। प्रतिनिधिमंडल में राघवेंद्र चौबे, विकास सिंह, ऋतु पांडेय, चंचल शर्मा, लालजी यादव, संजय सिंह, किशन यादव आदि थे।


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