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साड़ी का बाड़ बनाकर किसान कर रहे खेती, सई नदी के तटवर्ती गांवों में जंगली जीव किसानों के बने दुश्‍मन

जनपद के सई नदी के तटवर्ती गांवों के कृषकों का कहना है कि इस समय नदी के किनारे हिरण और बारहसिंघा आ गए हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 06:56 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 06:56 PM (IST)
साड़ी का बाड़ बनाकर किसान कर रहे खेती, सई नदी के तटवर्ती गांवों में जंगली जीव किसानों के बने दुश्‍मन
साड़ी का बाड़ बनाकर किसान कर रहे खेती, सई नदी के तटवर्ती गांवों में जंगली जीव किसानों के बने दुश्‍मन

जौनपुर, जेएनएन। हर ऋतु में कमरतोड़ मेहनत करके सबका पेट भरने वाला किसान अभी तो नीलगाय, जंगली सुअर, बेसहारा पशुओं से ही परेशान रहा लेकिन इस समय जंगली जानवर के साथ ही बारहसिंघा और हिरण भी मुसिबत साबित होने लगे हैं। जनपद के सई नदी के तटवर्ती गांवों के कृषकों का कहना है कि इस समय नदी के किनारे हिरण और बारहसिंघा आ गए हैं। जो गेहूं, अरहर की फली, मटर आदि फसल को नष्‍ट करदे रहे हैं। इनसे बचाव के लिए कहीं साड़ी का बाड़ तो कहीं खंभा-तार लगाया गया। साथ ही कुछ स्थानों पर कृषक दिन-रात खेतों में बैठकर रखवाली में लगे हैं। इससे त्रस्त होकर नदी से लगभग चार किलोमीटर दूरी तक के किसान तो आलू, कंद और गन्ना की खेती का दायरा न के बराबर कर दिए हैं। अन्‍नदाताओं का कहना है कि अब तो खेती करना ही घाटे का सौदा होती जा रही है।

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रात को फसल कर रहे चौपट

किसान रमापति यादव, सत्य प्रकाश यादव, धनौवां के धर्मेंद्र यादव, राजेपुर के ओम प्रकाश मौर्य, सकरा गांव के जगदीश पांडेय, चंद्रकांत, जीरिकपुर के रविंद्र सिंह ने बताया कि इस समय नदी के किनारे सरपत के झुरमुट में या आसपास हिरण और बारहसिंघा देखे जा रहे हैं। यह दिन में तो छिपे रहते हैं लेकिन रात में निकलकर फसलों को चर कर बैठा दे रहे हैं। शिक्षक विजय प्रताप यादव ने बताया कि हमारे गांव शाहपुर में कुछ दिन पूर्व तीन बारहसिंघा और कई हिरण गेहूं की फसल चर कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह किसान को देखते ही जंगल की तरफ भाग जाते हैं। अन्नदाता जहां फसल उगाने के लिए मृदा परीक्षण सहित अन्य तकनीक अपनाकर उपज बढ़ाने में लगा है वहीं ये सब उनके शत्रु बनकर मेहनत पर पानी फेर दे रहे हैं।


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