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वाराणसी में फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभांग, 32000 से घटकर दस हजार रह गया बीमा

वाराणसी में किसानों की संख्या चार लाख से अधिक है। दरअसल फसल बीमा को लेकर किसानों के सामने माथापच्‍ची और कागजी कार्रवाई की जटिलता को देखते हुए किसानों में शुरू में तो उत्‍साह रहा लेकिन समय के साथ किसान अब फसल बीमा से तौबा करने लगे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 10:25 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 10:25 AM (IST)
वाराणसी में फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभांग, 32000 से घटकर दस हजार रह गया बीमा
वाराणसी के किसान अब फसल बीमा से दूरी बनाने लगे हैं।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। मौसम की मार से किसानों की फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए किसान सरकारी मुआवजे के भरोसे हैं। बीमा कंपनियों की जटिल शर्तों और पर्याप्त जानकारी के अभाव में किसान इससे अब इससे पीछे हट रहे हैं। पिछले तीन साल में फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या 32 हजार से घटकर केवल 10 हजार रह गई है। जिले में किसानों की संख्या चार लाख से अधिक है। दरअसल फसल बीमा को लेकर किसानों के सामने माथापच्‍ची और कागजी कार्रवाई की जटिलता को देखते हुए किसानों में शुरू में तो उत्‍साह रहा लेकिन समय के साथ किसान अब फसल बीमा से तौबा करने लगे हैं। 

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बीते वर्ष किसान मौसम की मार से परेशान हुए थे।बाढ़ और लगातार बारिश से धान की फसल को भारी नुकसान हुआ था। नया साल शुरू होते ही आठ और नौ जनवरी को लगातार बारिश से गेहूं और आलू की फसल को नुकसान हुआ है। सरकार ने प्राकृतिक आपदा में किसानों के नुकसान के लिए फसल बीमा योजना शुरू किया है। रबी की फसल में सरसों, आलू और गेहूं की फसल का बीमा होता है। खरीफ में धान, बाजरा और उड़द की फसल का बीमा किया जाता है। बीमा कंपनियों द्वारा मुआवजे के लिए लगाई जाने वाली जटिल शर्त पूरी जानकारी का अभाव और प्रचार- प्रसार की कमी के कारण किसान फसल बीमा कराने से पीछे हट रहे हैं।

पहले बैंकों द्वारा किसान के कृषि लोन खाते से खुद ही बीमा राशि काट ली जाती थी। अब किसानों के विरोध के कारण वर्ष 2019-20 में फसल बीमा को स्वैच्छिक कर दिया गया है। किसानों ने बीमा नहीं कराया और बीमित किसानों की संख्या तीन साल में 32 हजार से घटकर 10 हजार पहुंच गई। 2018-19 में जिले में 32 हजार 935 किसानों ने रबी और खरीफ फसल का बीमा कराया था। लेकिन 2021 में यह संख्या 10,152 है।


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