समर्थन मूल्य से किसानों को मिल रहा उचित दाम, गेहूं की कालाबाजारी भी रूकी
सरकार की ओर से समर्थन मूल्य जारी करने व जिले में अधिक क्रय केंद्र खुलने से किसानों को गेहूं का उचित मूल्य मिल रहा है। चाहे वह क्रय केंद्र पर बेचे या अपने गांव में।
वाराणसी, जेएनएन। सरकार की ओर से समर्थन मूल्य जारी करने व जिले में अधिक क्रय केंद्र खुलने से किसानों को गेहूं का उचित मूल्य मिल रहा है। चाहे वह क्रय केंद्र पर बेचे या अपने गांव में। क्रय केंद्रों पर लक्ष्य पूरा नहीं होने के बावजूद सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों को गेहूं कम दाम पर बेचना न पड़े। यही कारण है कि कालाबाजारी रूकी है। जो किसान क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचना चाहते हैं उन्हें मात्र तीन कागजों खतौनी, आधार कार्ड व बैंक पासबुक पर ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा और उनका रुपये सीधे खाते में चला जाएगा।
दैनिक जागरण प्रश्न पहर में रविवार को जिला खाद्य विपणन अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी ने किसानों को यह सुझाव दिया और समस्याओं का समाधान भी किया। कहा कि क्रय केंद्र पर कोई दिक्कत है तो वे शिकायत कर सकते हैं।
इसलिए कम हुई गेहूं की खरीद
-माघ व फागुन में बिन मौसम बरसात से गेहूं के फूल कमजोर हो गए और दाने भी छोटे हो गए। यही वजह है कि इस साल गेहूं का उत्पादन करीब 30 फीसद कम हो गया।
-कोरोना के कारण किसान खुद एक वर्ष का खाद्यान्न भंडारित करने लगे हैं। जो किसान पहले 20 क्विंटल तक गेहूं लेकर आते थे वे इस बार नहीं आए। बड़े कास्तकार भी स्टोर कर लिए हैं।
-घनी आबादी वाला जिला होने से गेहूं की खपत बढ़ी है। आमजन व प्लोर मिल वाले भी 1900 रुपये प्रति क्विंटल की भाव से खरीद कर रख लिए हैं।
-शुरू में 33 व बाद में दो एफपीओ की ओर से केंद्र खोले गए, फिर भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। हालांकि, इस बार कहीं से भुगतान, घटतौली या अन्य शिकायत नहीं आई।
तो क्या क्रय केंद्र पर उचित मूल्य सकता है
-बारिश से गेहूं की चमक कम हो गई है तो क्या क्रय केंद्र पर उचित मूल्य सकता है।
-प्रिंस प्रजापति, बड़ागांव
- गेहूं की चमक कम होने पर भी क्रय केंद्रों पर खरीद की योजना बनाई जा रही है। टीम इसके लिए नमूने भी ले रही है। जांच के बाद जल्द निर्णय लिया जाएगा। अगर 20 फीसद तक भी प्रभावित होगी तो किसानों को उचित मूल्य मिल सकता है।
-लॉकडाउन में किसानों को क्रय केंद्रों पर गेहूं ले जाने में कोई दिक्कत तो नहीं होगी।
-निशा गोस्वामी, महमूरगंज
ट्राली या अन्य किसी वाहन पर गेहूं लदा होगा और किसान के पास खतौनी होगी तो कोई नहीं रोकेगा। रही बात लॉकडाउन के नियम की तो किसानों ने गेहूं की कटाई व मढ़ाई में भी शारीरिक दूरी का पालन किया।
-सामने घाट से सटा क्रय केंद्र कौन सा है। क्या वहां पर गेहूं ले जाया जा सकता है।
-सेनापति ओझा, सामनेघाट
आपके समीप रोहनिया में क्रय केंद्र बना है। समर्थन मूल्य के लिए किसानों को खतौनी, आधार कार्ड व बैंक पासबुक के साथ रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। खतौनी दिखाकर गेहूं क्रय केंद्र तक ले जा सकते हैं।
-क्या बटाई वाले किसान भी गेहूं क्रय केंद्र पर बेच सकते हैं।
- अंशुमान मालवीय, महमूरगंज
बटाई पर खेत बोने वालों का भी गेहूं खरीदा जा रहा है। बस उनको अन्य कागजी कार्रवाई पूरी करनी होगी।
किसान गेहूं क्रय केंद्रों तक क्यों नहीं पहुंच रहे?
- प्रमोद कुमार, लमही
-ऐसा नहीं है, किसान क्रय केंद्रों पर पहुंच रहे हैैं। उन्हें उचित मूल्य भी दिया जा रहा है।
-किसानों को उनकी मेहनत का पूरा लाभ देने के लिए क्या इंतजाम किए गए हैैं?
- शोभनाथ यादव, खजुरी
-सरकारी स्तर पर बेहतर दर निर्धारित की गई है। मूल्य सीधे खाते में दिया जा रहा है।
-लॉकडाउन में गेहूं ले जाने में कोई समस्या तो नहीं होगी।
- डा. कमला शंकर, महमूरगंज
-किसान ट्राली में लाद कर गेहूं ले जाए और उसके पास खतौनी होगी तो कोई नहीं रोकेगा।
-बारिश से गेहूं की चमक कम हो गई, इस क्षतिपूर्ति कैसे होगी?
- संजय यादव, सोयेपुर
-इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। किसानों के लिए फसल बीमा व कई योजनाओं में उनको अनुदान मिलता है।
इन्होंने भी पूछे सवाल
महेशपुर की पूनम यादव, पांडेयपुर के आशुतोष गुप्ता, अर्दली बाजार के गिरीश चंद्र श्रीवास्तव, रानीपुर महमूरगंज के पुरुषोत्तम, खोजवां के संजय वर्मा, बड़ी बाजार के विजयी, सिंधोरा बाजार पिंडरा के शफी अली हाशमी, मुकीमगंज के पंकज कुमार शर्मा, सतहरिया जौनपुर के अदनान, राजातालाब के सकील अहमद, विश्वनाथपुर बड़ागांव के आशीष प्रकाश सिंह आदि।