Farmer Protest : वाराणसी में कृषि कानून के विरोध में किसानों ने जलाया कृषि कानून का पुतला
Farmer Protest वाराणसी में कृषि कानून के विरोध में किसानों ने जलाया कृषि कानून का पुतला। सामाजिक संगठन ने इस दौरान किसानों के हित के लिए संघर्ष करने की अपील के साथ किसान हितों को लेकर सरकार पर आरोप भी लगाए।
वाराणसी, जेएनएन। जनकवि सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के पैतृक गांव खेवली में केंद्र सरकार द्वारा लाए नए तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों ने सरकार और नये कृषि कानून का पुतला जलाया। आक्रोशित किसानों ने नये कृषि कानून की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। उन्होंने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की, साथ ही चेतावनी दी कि यदि कृषि कानून निरस्त नहीं किया गया तो उनका आंदोलन इसी तरह जारी रहेगा। इस मौके पर किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं अपनाया, तो वे पुरी ताकत से किसानों की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा।
इस दौरान सामाजिक संस्था लोक समिति के संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि लोक समिति के कार्यकर्ता केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हैं। केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली जा रहे किसानों पर की गई कार्रवाई निंदनीय है। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार दिया गया है, लेकिन लगता है कि सरकार संविधान में विश्वास नहीं रखती। कड़ाके की ठंड में किसान सड़कों पर हैं, लेकिन केंद्र सरकार के कान पर जूं तक नही रेंग रही है। किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार किसानों से उनकी जमीन छीनने का षड्यंत्र रच रही है। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती है कि किसानों को एमएसपी रेट मिलें। इसके चलते ही किसान सड़क पर आंदोलन करने को मजबूर है।
देवी शंकर सिंह ने कहा कि मोदी सरकार किसान के हितों को नजरन्दाज़ करते हुए पूंजीपतियों की मदद कर रही है।
पर्यावरण प्रेमी मनीष पटेल ने कहा कि पूर्वांचल के किसान छोटी जोत के किसान जो सब्जी का उत्पादन करते हैं, छुट्टा पशुओं से बुरी तरह से परेशान हैं।
सभा में मुख्य रूप से नंदलाल मास्टर, विनोद, भोलई राम, उर्मिला, सुनील, अनीता, सोनी, सुषमा, देवी लाल, पुष्पा, संगीता, आशा, आलोक, पंचमुखी, कलावती, उषा, अरविंद, शिवकुमार आदि प्रमुख लोग मौजूद थे। धरने का नेतृत्व नन्दलाल मास्टर, संचालन मनीष पटेल, अध्यक्षता देवी शंकर सिंह ने किया।