काशी में तिरंगी मिठाई ने उड़ा दी थी फिरंगियों की नींद, नेताओं के नाम वाली मिठाइयों की थी डिमांड
देश की आजादी की लड़ाई के दौरान जब अंगे्रजी हुकूमत ने तिरंगा लहराने पर रोक लगा दी तो काशी में अनोखी पहल शुरू हुई।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। देश की आजादी की लड़ाई के दौरान जब अंगे्रजी हुकूमत ने तिरंगा लहराने पर रोक लगा दी तो काशी में अनोखी पहल शुरू हुई। वह रही तिरंगी मिठाई का निर्माण। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान तिरंगी मिठाई के डिब्बे के जरिए क्रांतिकारियों के संदेश भेजने का कार्य शुरू हुआ। इसकी लोकप्रियता देख फिरंगियों की नींद उड़ गई। आज भी तिरंगी बर्फी का प्रचलन आमजन के बीच कम नहीं है। इतना ही नहीं पर्यटक भी यहां से तिरंगी बर्फी खरीदकर ले जाते हैं।
राम बहादुर मिष्ठान भंडार के राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि उनके दादा रघुनाथ प्रसाद ने 1942 में तिरंगी बर्फी से स्वतंत्रता आंदोलन को धार दी थी। शहर के पुराने इलाके ठठेरी बाजार में आज भी यह दुकान है। राजेश कहते हैं कि दादा जी महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे। तिरंगी मिठाई निर्माण के पीछे यही मंशा थी कि लोगों का मुंह मीठा कराते हुए आंदोलन को व्यापक बनाना ताकि अंग्रेज देश छोड़कर भाग जाएं। रघुनाथ प्रसाद के बाद उनके बेटे कृष्ण लाल ने यादों को सहेजने के वास्ते तिरंगी मिठाई निर्माण की परंपरा को जारी रखा।
तीन लेयर वाली मिठाई
तिरंगी बर्फी तीन लेयर में बनती है। तिरंगे की तरह केसरिया, सफेद व हरे रंग की होती है। स्वादिष्ट के साथ ही यह एकजुटता का भी संदेश देती है।
पहले काजू अब खोवा भी
पहले तिरंगी बर्फी सिर्फ काजू, पिस्ता व बीच में बादाम के लेयर से तैयार की जाती थी। हालांकि अब इसमें खोवा का भी मिश्रण हो रहा है। नाम पूर्व की तरह आज भी इसका तिरंगी बर्फी ही है।
इंदिरा गांधी ने भी की थी तारीफ
देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी इस बर्फी की तारीफ की थीं। वह एक बार यहां चुनाव प्रचार के दौरान आईं थीं। जब उन्हें इसकी जानकारी हुई थी तो वह दुकान पर गई थीं। बर्फी खाने के बाद दुकानदार की पहल की तारीफ कीं।
इनके नामों से आजादी का प्रचार
तिरंगी बर्फी के साथ ही देश के अन्य महापुरुषों के नाम से भी मिठाईयां बनने लगी थी। इसमें खासतौर पर गांधी गौरव, वल्लभ संदेश, सुभाष भोग, मोती पाक, जवाहर लड्डू के नाम की मिठाई भी स्वतंत्रता का संदेश दे रही थी। हालांकि बदलते परिवेश में अन्य मिठाईयों की डिमांड नहीं होने से बननी बंद हो गई है।