'काशी एक-रूप अनेक' में अमेरिका-इटली के विशेषज्ञों ने बताई मार्केटिंग व ब्रांडिंग की बारीकियां
काशी एक-रूप अनेक में अमेरिका और इटली के विशेषज्ञों ने बुनकरों-शिल्पियों को मार्केटिंग ब्रांडिंग सहित सोशल मीडिया से जुडऩे का तरीका बताया।
वाराणसी, जेएनएन। देश दुनिया में ब्रांड बनारस वैसे तो किसी पहचान का मोहताज नहीं, लेकिन यहां के शिल्पियों-कारीगरों को वैश्विक बाजार से सीधे जोडऩे की ठोस पहल की जा रही है, ताकि इन्हें अधिक लाभ पहुंचाया जा सके। इसी कड़ी में दीनदयाल हस्तकला संकुल में चल रहे 'काशी एक-रूप अनेक' कार्यक्रम के तहत कार्यशाला आयोजित हुई, जिसमें अमेरिका और इटली के विशेषज्ञों ने बुनकरों-शिल्पियों को मार्केटिंग, ब्रांडिंग सहित सोशल मीडिया से जुडऩे का तरीका बताया। साथ ही उद्योग एवं उत्पाद को और भी निखारने का सलीका भी सिखाया।
उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की ओर से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ 16 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। बतौर मुख्य अतिथि इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चर रिसर्च (आइसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि भारतीय शिल्पकला बेहद अनूठा है, जो अपने दामन में लाखों कहानियां समेटे हुए है। आज समूचा विश्व इन कहानियों को सुनने के लिए आतुर है। इस तरह के कार्यक्रमों से जहां बुनकर व शिल्पियों को बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकेंगे, वहीं देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलेगी। यूपीआइडी की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला ने कहा कि शिल्पकारों के लिए यह जनाना बेहद जरूरी है कि वो न सिर्फ डिजाइनों के बारे में सीखें, बल्कि यह भी जानें कि दुनिया के बड़े-बड़े ब्रांड कैसे काम करते हैं। वहीं डिजाइन व फैशन विशेषज्ञ सिगरिट ओल्सन, एडम वेनेकोट व मेलिया अर्जाडन ने शिल्पियों को ब्रांड खड़ा करने एवं बाजार की समझ विकसित करने के लिए जरूरी टिप्स दिए। कहा डिजाइन व उसकी फिनीशिंग ऐसी होनी चाहिए कि दुनिया आसानी से हमारे काम की खूबी जान सके। इस अवसर पर संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश सिंह, जेडी निफ्ट शंकर झा, उद्यमिता विकास संस्थान-यूपी के निदेशक डीपी सिंह, उप-निदेशक निट्रा डा. एवी अग्रवाल, असिस्टेंट डयरेक्टर-एमएसएमई सुरेंद्र शर्मा आदि थे।
भारत डिजाइन से प्रेरणा लेता है समूचा विश्व : पैट्रीसिया
अमेरिका के नेशनल डिजाइन संस्थान की पैट्रीसिया जॉनसन ने कहा कि विश्व के तमाम ब्रांड भारतीय डिजाइनों से ही प्रेरणा लेते हैं। धर्म, संस्कृति के साथ ही यहां के डिजाइनों पर इतिहास का भी प्रभाव रहता है, जो खुद में कई कहानियां समेटे होते हैं। इस दौरान उन्होंने जहां एक ओर जहां अकबर, शाहजहां अनारकली से प्रेरित कुछ डिजाइन प्रस्तुत किए, वहीं जवाहर लाल नेहरु व रविंद्रनाथ टैगोर से संबंधित डिजाइन भी दिखाए।
आस-पास की चीजें भी बन सकती हैं प्रेरणा : मारिटा
अमेरिका के जीपीए संस्थान की मारिटा एकोनेन ने कहा कि डिजाइन के लिए जरूरी नहीं कि वैश्विक विचार को ही तरजीह दी जाए। अपने आस-पास की चीजों से भी प्रेरणा लेकर उत्कृष्ट डिजाइन तैयार की जा सकती है। यह न सिर्फ मौलिक होंगे, बल्कि दुनिया को प्रभावित भी कर सकते हैं। कहा बुनकरों-शिल्पियों को उन लोगों की जरूरत को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए, जिनके लिए वह उत्पाद तैयार किया जा रहा हो।
50 लाख रुपये का मिला आर्डर
दो दिवसीय आयोजन के क्रम में करीब 5200 शिल्पियों को टूल किट व सेफ्टी किट वितरित किए गए। वहीं बायर-सेलर मीट में देश-विदेश से करीब 50 लाख रुपये के आर्डर बुनकरों-शिल्पियों को मिले। इनमें करीब 10 लाख रुपये का आर्डर अकेले गुलाबी मीनाकारी को प्राप्त हुए हैं।
आज शिल्पियों के बीच जाएंगे बायर्स
शिल्पी किस तरह और किस तकनीक से अपने उत्पाद तैयार करते हैं। कितने श्रम की जरूरत होती है और कितनी प्रक्रियाओं से गुजरना होता है आदि को व्यवहारिक तौर पर जानने समझने के लिए अमेरिका व इटली के बायर्स मंगलवार को इनके बीच होंगे। संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश सिंह के मुताबिक गुलाबी मीनाकारी के लिए गायघाट, लकड़ी के खिलौनों के लिए कश्मीरीगंज व हैंडलूम के लिए दल बजरडीहा क्षेत्र का भ्रमण करेगा।