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प्रधान डाकघर कैंट में गबन की रकम पहुंची पांच करोड़ के पार, अब तक नहीं एफआइआर Varanasi news

बुधवार को एक करोड़ रुपये के गबन की आशंका के बीच हुए इस खुलासे के बाद चौथे दिन शनिवार को गबन का आंकड़ा पांच करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

By Edited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 12:46 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 09:07 PM (IST)
प्रधान डाकघर कैंट में गबन की रकम पहुंची पांच करोड़ के पार, अब तक नहीं एफआइआर Varanasi news
प्रधान डाकघर कैंट में गबन की रकम पहुंची पांच करोड़ के पार, अब तक नहीं एफआइआर Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। प्रधान डाकघर कैंट में खाताधारकों के साथ हुई धोखाधड़ी की राशि हर दिन बढ़ती जा रही है। बुधवार को एक करोड़ रुपये के गबन की आशंका के बीच हुए इस खुलासे के बाद चौथे दिन शनिवार को गबन का आंकड़ा पांच करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वहीं विभाग चार कर्मचारियों को निलंबित तो कर दिया लेकिन एफआइआर की कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है। इस बीच शनिवार को कैंट पुलिस की टीम ने डाकघर पहुंच खाताधारकों से बातचीत के साथ विभागीय अधिकारियों से भी पूछताछ की। बता दें यहां बुधवार को एक करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद खाताधारकों में बेचैनी के साथ विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया था।

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अगले दिन घोटाले की राशि दो करोड़ तो शुक्रवार को यह राशि चार करोड़ आंकी गई थी। शनिवार को डाकघर पहुंचे दर्जनों जमाकर्ता काउंटर पर अपने खाते की स्थिति जानने के लिए परेशान थे। पूछताछ में जब पता चलता कि उनके पासबुक में अंकित धनराशि से कम कंप्यूटर में दर्ज है तो मायूस हो जाते। एक व्यक्ति का 15 लाख रुपये विभिन्न योजनाओं में जमा थे लेकिन डाकघर के रिकार्ड में अब कुछ हजार ही है। धीरे-धीरे ऐसे खाताधारकों की संख्या बढ़ती गई और वे हो-हल्ला करने लगे। दोपहर करीब 12 बजे कैंट पुलिस डाकघर पहुंची। पुलिस कर्मियों ने जमाकर्ताओं से बातचीत की और बताया कि क्या किया जाए ताकि उनका पैसा वापस हो सके। इसके बाद पुलिस टीम ने डाक अधीक्षक से मामले की जानकारी ली।

कैंट इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि इस मामले के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है। इस मामले में 25 से अधिक शिकायती पत्र आए हैं। जांच कर इस आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। वहीं, प्रधान डाकघर के निलंबित कर्मचारियों के घर और उनके नजदीकियों पर नजर रखी जा रही है। आरोपितों के मोबाइल फोन बंद हैं। डाकघर के बाहर भी पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए हैं।

- बेटी की फीस कैसे होगी जमा मयूर विहार कालोनी की एक महिला का मासिक आय योजना में खाता था। इसी आय से वह अपने घर का खर्च चलाने के साथ बेटी की फीस भी जमा करती हैं। अब घर कैसे चलेगा और बेटी की फीस कैसे जमा होगी,यह चिंता उनको खाई जा रही है।

- किसी खाते को नहीं छोड़ा गबन करने वालों को डाक विभाग की सभी योजनाओं की जानकारी है। जालसाजों ने पीपीएफ, मासिक आय योजना, रिक¨रग डिपोजिट जैसी योजनाओं से धोखाधड़ी की। इन योजनाओं के खाते अधिक नहीं संचालित होते थे लेकिन उनमें लाखों रुपये जमा है। उसमें भी सेंधमारी की।

- बुजुर्गो का शिकायत पत्र भूतल पर लिया जाएगा प्रधान डाकघर कैंट में अधीक्षक का कार्यालय तीसरे तल पर है। ऐसे में बुर्जुग शिकायतकर्ताओं के लिए डाक विभाग ने भूतल पर ही शिकायत पत्र लेने की व्यवस्था की गई है।

- कहीं भी देख सकते हैं खाते की स्थिति विभागीय अधिकारियों ने बताया कि डाकघरों के कामकाज ऑनलाइन होने के कारण खाताधारकों को कोई दिक्कत नहीं होगी। पासबुक धारक किसी भी शहर के डाकघर में अपने खाते की जानकारी ले सकते हैं। 

- पासबुक पर धनराशि प्रिंटर से हो अंकित पिछले दो वर्ष से आदेश है कि पासबुक को प्रिंटर के माध्यम से प्रिंट किया जाए लेकिन काफी पासबुक पर पेन से धनराशि लिखकर मुहर लगाई गई है। नेशनल स्माल सेविंग एजेंट एसोसिएशन के महासचिव मनोज कुमार मिश्र का कहना है कि आदेश यह भी है कि सभी पासबुकों पर मोबाइल नंबर लिखा जाए , अगर ऐसा होता तो जमाकर्ता को तुरंत संदेश जाता और उनको वस्तुस्थिति की जानकारी हो जाती। एजेंटों को डाकघर में निवेशकर्ता का पैसा जमा करने पर कमीशन मिलता है। एजेंट को भुगतान लेने का अधिकार नहीं है।

हो सकती है सीबीआइ जांच : डाक विभाग के गलियारों की फुसफुसाहट से यह बात निकल कर आई कि गबन की राशि दो करोड़ से ऊपर हो गई है। ऐसे में मामले की जांच सीबीआइ से कराई जा सकती है। वहीं पुलिस विभाग के एक उप निरीक्षक का कहना है कि इस मामले की जांच अर्थिक अनुसंधान शाखा भी ले सकती है।

आरोपितों की संपत्ति व बैंक खाते होंगे सीज : प्रधान डाकघर कैंट की ओर से रविवार को निलंबित चारों कर्मचारियों के खिलाफ एफआइआर लिखाई जाएगी। जिलाधिकारी के अलावा अन्य अधिकारियों को भी पत्र लिख कर आरोपितों की संपत्ति और बैंक खाते सीज करने के लिए कहा गया है। दूसरे मंडलों से भी अधिकारियों और कर्मचारियों को बुलाया जा रहा है। डाकघर में लगे सीसीटीवी के फुटेज सहित जमाकर्ताओं के डाटा का भी अध्ययन किया जाएगा ताकि पता चल सके कि घोटाले का खेल कब शुरू हुआ।


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