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वाराणसी के सेवापुरी में इलेक्ट्रॉनिक चाक मशीन ने बदल दी इनकी जिंदगी, आमदनी में तीन गुना इजाफा

वाराणसी इलेक्ट्रॉनिक चाक ने सेवापुरी विकास खंड के अर्जुनपुर के प्रजापति परिवारों की जिंदगी की चाक ही बदल दी। यहां अब भुखमरी की समस्या से निजात मिल गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 05:33 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 12:37 AM (IST)
वाराणसी के सेवापुरी में इलेक्ट्रॉनिक चाक मशीन ने बदल दी इनकी जिंदगी, आमदनी में तीन गुना इजाफा
वाराणसी के सेवापुरी में इलेक्ट्रॉनिक चाक मशीन ने बदल दी इनकी जिंदगी, आमदनी में तीन गुना इजाफा

वाराणसी, जेएनएन। इलेक्ट्रॉनिक चाक ने सेवापुरी विकास खंड के अर्जुनपुर के प्रजापति परिवारों की जिंदगी की चाक ही बदल दी। यहां अब भुखमरी की समस्या से निजात मिल गया है। यहां के लोग इलेक्ट्रॉनिक चाक से कुल्हण, दीया, मटका, गोल्लक, मूर्तियां बनाकर बाजारों में देते है। इससे मिलने वाली आमदनी से परिवार का खर्च चलता है। पहले हाथ चाक से एक घंटे मे जितना कुल्हण या पुरवां बनता था और परिश्रम भी ज्यादा करना पड़ता था लेकिन अब स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

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परिवार चलाने के लिए लेना पड़ता था कर्ज

अर्जुनपुर गांव निवासी दुर्गेश प्रजापति बीए का छात्र है, जो पढ़ाई के साथ इलेक्ट्रॉनिक चाक भी चलाता है। इसी प्रकार गौरी शंकर प्रजापति, रमेश प्रजापति, सोमारू प्रजापति, सत्तन प्रजापति व गोबर्धन प्रजापति ने बताया कि यहां किसी के पास खेत नहीं है। दूसरों का खेत बटाई पर लेकर खेती करते हैं। हाथ से चाक पहले चलाते थे जिसमें घर का खर्च भी नहीं निकल पाता था। प्रजापति जाति के लोग मजदूरी करने पर मजबूर थे। इसके बाद भी परिवार चलाने के लिए कर्ज लेना पडता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हम लोगों के गरीबी को समझा और इलेक्ट्रॉनिक चाक का वितरण कर हमारी जिंदगी ही बदल दिया।

प्रति घंटे दो से ढाई सौ पुरवा कर रहें तैयार

छात्र दुर्गेश प्रजापति ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक चाक से प्रति घंटे दो से ढाई सौ पुरवा तैयार होता है। अब कम समय मे ज्यादा माल तैयार होता है।और आमदनी में तीन गुना का इजाफा हो रहा है।मारकेटिंग सही रहे तो काफी आय होती है। उसका कहना है कि तीन से चार घंटे काम करने के बाद पढ़ाई करते है। गौरीशंकर. प्रजापति के पुत्र रमेश प्रजापति लाॅकडाउन के बाद 27 मई को ट्रक के माध्यम से गांव आये औरपिता की इलेक्ट्रॉनिक चाक से जुड गये। रमेश ने बताया कि कोलकाता में भी हाथ के चाक से सामान बना.कर बेचते जिससे परिवार का खर्च नहीं निकल पाता था। किंतु इलेक्ट्रॉनिक मशीन ने हमारी जिंदगी ही बदल दिया।

इस रोजगार पर भी पड़ा लाॅकडाऊन का असर

लाॅकडाऊन के चलते बाजार बंद होने से और विवाह समारोह खत्म होने का असर इस रोजगार पर भी पड़ा है जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध मे खादी ग्रामोद्योग आयोग के उप निदेशक प्रभारी एसके गर्ग ने बताया कि पांच दर्जन कुम्हारों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। शीध्र ही सभी को इलेक्ट्रॉनिक चाक मशीन वितरित किया जाएगा।


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