वाराणसी, जेएनएन। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का आरोप लगाते हुए कर्मचारियों ने मंगलवार को भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय प्रांगण में विरोध सभा कर निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की। चेताया कि यदि निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह प्रभावी हस्तक्षेप करें। यह भी कहा कि निजीकरण पांच अप्रैल 2018 को हुए समझौते का उल्लंघन है। प्रतिनिधियों का कहना है कि दिसंबर 1993 में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का निजीकरण किया गया और अप्रैल 2010 में आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेंटो फ्रेंचाइजी को दी गई। इन प्रयोगों के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों खरबों रुपये का घाटा हुआ है। जब वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब सालाना घाटा मात्र 77 करोड़ रुपये था। अब यह आंकड़ा 95000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने यहां सभा की ओर आगे चलकर मंडल मुख्यालयों पर आंदोलन करने की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही पूर्वांचल के सभी जनपदों में तीन सितंबर से प्रत्येक कार्य दिवस में विरोध सभाएं होंगी। सभा में शैलेंद्र दुबे, जय प्रकाश, वीपी सिंह, पीके सिंह, संजय भारती, आरके वाही, एके श्रीवास्तव, राजेन्द्र सिंह, जवाहर लाल विश्वकर्मा, विरेन्द्र सिंह, सर्वेश कुमार विश्वकर्मा आदि मौजूद थे।
पूर्वांचल निगम में हो जाएंगी तीन कंपनियां : शैलेंद्र दुबे
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के निर्णय के विरोध के दौरान पत्रकारों से बातचीत में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि दो मंडल मिलाकर एक कंपनी बनाई जाएगी। छह मंडलों को मिलाकर तीन कंपनियां बनेगी। आरोप लगाया कि छह कंपनी बनने से 10 हजार इंजीनियरों को इधर से उधर होना पड़ सकता है। तबादले नहीं होने की स्थिति में नौकरी पर भी खतरा बढ़ जाएगा। इसका असर अन्य कर्मचारियों एवं संविदाकर्मियों पर भी पड़ेगा। बताया कि प्रदेश में ग्रेटर नोएडा, आगरा में तो पहले से ही निजीकरण है। 23 जुलाई को मुख्यमंत्री की बैठक में केंद्रीय विद्युत सचिव, एनटीपीसी समेत पूरी टीम थी। उसमें बताया गया कि बिजली की हानि 41.5 प्रतिशत है। कहा कि निजीकरण होने पर 35 वर्षों के लिए आफिस, जमीन, बिजली विभाग के अन्य सामान मुफ्त में चले जाएंगे।
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