सिर्फ पूर्वांचल के ही विद्युत उपभोक्ताओं पर दस अरब से अधिक बिल बकाया, आपूर्ति पर लगेगी रोक
पूर्वांचल के विद्युत उपभोक्ताओं में मात्र 40 प्रतिशत उपभोक्ता ही बिल जमा करने का कार्य कर रहे हैं जबकि 60 प्रतिशत लोग बिल जमा करने में कई महीने से आनाकानी कर रहे हैं।
मीरजापुर [प्रशांत यादव]। आप यकीन करें या न करें लेकिन यह सच है कि पूर्वांचल के विद्युत उपभोक्ताओं में मात्र 40 प्रतिशत उपभोक्ता ही बिल जमा करने का कार्य कर रहे हैं जबकि 60 प्रतिशत लोग बिल जमा करने में कई महीने से आनाकानी कर रहे हैं। इसके चलते उपभोक्ताओं पर दस अरब 10 करोड़ रुपये का बिल बकाया हो गया है। अकेले मीरजापुर के बिजली विभाग में ही एक अरब 25 करोड़ रुपये बिल वसूलने का बोझ बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में जनपद को बिजली मिलना मुश्किल होता जा रहा है। कुछ महीने और यहीं स्थिति रही तो शासन मीरजापुर को बिजली देना बंद कर देगा। इससे एक ही झटके में पूरे जनपद मेें अंधेरा छा जाएगा। इसका अनावरण शासन द्वारा जिले में गुप्त रूप से कराई गई जांच में हुआ है।
विद्युत विभाग में कुल साढ़े छह लाख उपभोक्ता है। इसमें शहर में तीन लाख 27 हजार व ग्रामीण इलाके में तीन लाख 13 हजार कनेक्शन धारक शामिल है। इन साढ़े छह लाख उपभोक्ताओं में लगभग तीन लाख उपभोक्ताओं ने कामर्शियल व साढ़े तीन लाख लोगों ने घरेलू कनेक्शन लिया है। जो तीन से 12 घंटे तक प्रतिदिन बिजली का इस्तेमाल करते है। इसमें से कुछ उपभोक्ता 24 घंटे बिजली भी बिजली जलाने वालों में से है। ये सभी उपभोक्ता बिजली का इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन बिल जमा करने में पुरी तरह से फेल है। इनमें से मात्र 40 प्रतिशत ही ऐसे उपभोक्ता है जो रेगुलर बिल जमा करने का काम करते हैं। कुछ तो चेङ्क्षकग के दौरान पकडऩे जाने पर बकाया अदा करते हैं लेकिन कुल मिलाकर 40 से 42 प्रतिशत उपभोक्ता ही बिल जमा करने का काम करते हैं जबकि 60 उपभोक्ता बिजली तो जलाते हैं पर उसका बिल अदा नहीं करते हैं। ऐसे में विभाग पर राजस्व का बोझ बढ़ता जा रहा है। जिले के इन उपभोक्ताओं पर एक अरब 25 करोड़ रुपये का बिल बकाया चल रहा है। जिसको वसूलने में विभाग के पसीने छूट जा रहे हैं। विभागीय अधिकारी उनका कनेक्शन काट दे रहे हैं। उनके खिलाफ विद्युत चोरी का मुकदमा पंजीकृत करा दे रहे हैं लेकिन ये उपभोक्ताओं बिल जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसी दशा में उच्चाधिकारियों और मुख्यमंत्री की डाट सुनने के अलावा अधिकारियों के पास कुछ नहीं रह गया है।
20 करोड़ रुपये की प्रत्येक महीने खर्च होती है बिजली
जनपद में हर महीने 20 करोड़ रुपये बिजली की खपत है। इसमें 12 करोड़ रुपयेे नगर तथा आठ करोड़ रुपये ग्रामीण इलाके में बिजली खर्च होती है। खरीदी गई बिजली से जिले के सात लाख उपभोक्ताओं के घर रोशन किए जाते हें।
शहर में 75 व ग्रामीण में 45 करोड़ बकाया
बिजली विभाग के शहरी क्षेत्र में लगभग उपभोक्ताओं पर लगभग 75 करोड़ व ग्रामीण उपभोक्ताओं पर 45 करोड़ रुपये बिल बकाया चल रहा है। जिनको वसूलने के लिए विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है लेकिन शतप्रति बिल वसूलने में अधिकारियों को कामयाबी नहीं मिल रही है। ग्रामीण इलाके में 35 डिफाल्टर उपभोक्ता है जिनपर दस हजार से लेकर एक लाख रुपये तक बकाए है।
सरकारी विभागों पर 30 करोड़ रुपये का बकाया
बिजली विभाग का सरकारी विभाागों पर करोड़ों रुपये बकाए है। इसमेें सबसे अधिक पुलिस, पीएसी, शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य, होमगार्डस विभाग, सेतु निगम समेत एक दर्जन विभाग शामिल है। जिनपर तीन लाख से एक करोड़ रुपये तक बकाया है।
निजी लोगों पर करोड़ों बकाए
जनपद में 25 बड़े बकाए है। जिनपर 25 हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये के बकाएदार है। जिनको बकाया बिल जमा करने के लिए कई बार नोटिस दी जा चुकी है लेकिन अभी तक वे बिल जमा नहीं आए है। ऐसे स्थिति में उनके विरुद्ध अब आरसी जारी करने की तैयारी की जा रही है।
बोले अधिकारी : जिलेभर में साढ़े छह लाख उपभोक्ता है। इसमें से मात्र 40 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा बिल जमा करने के चलते विभाग पर बकाए का बोझ बढ़ता जा रहा है। उपभोक्ताओं पर एक अरब 25 करोड़ रुपये बिल बकाया है। जिनको वसूलने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। बिल जमा नहीं करने वालों के विरुद्ध आरसी जारी की जा रही है।-मनोज कुमार यादव अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड द्वितीय।