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राजकीय विद्यालयों में अब अंग्रेजी माध्यम से होगी पढ़ाई, शासन ने वाराणसी के डीआइओएस से प्रस्ताव मांगा

अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में ही कराने के इच्छुक रहते हैं। इसे देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने जनपद के 136 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील कर दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 02 Oct 2021 09:10 AM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 09:38 AM (IST)
राजकीय विद्यालयों में अब अंग्रेजी माध्यम से होगी पढ़ाई, शासन ने वाराणसी के डीआइओएस से प्रस्ताव मांगा
राजकीय विद्यालयों में अब अंग्रेजी माध्यम से होगी पढ़ाई

जागरण संवाददाता, वाराणसी। अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में ही कराने के इच्छुक रहते हैं। इसे देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने जनपद के 136 विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील कर दिया है। अब इन विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई हो रही है। वहीं दूसरी ओर अब यूपी बोर्ड से संचालित राजकीय उच्चतर हाईस्कूल व इंटर कालेजों को भी अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने की योजना है।

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शासन ने इस संबंध में सभी जनपदों के डीआइओएस से प्रस्ताव मांगा है। अपर शिक्षा निदेशक अंजना गोयल ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से उन राजकीय विद्यालयों को प्रस्ताव देने का निर्देश दिया जिसके आस-पास अंग्रेजी माध्यम के परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसके पीछे उद्देश्य बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों से कक्षा आठ तक अंग्रेजी माध्यम पढ़कर निकलने वाले बच्चों को इंटर तक की शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से उपलब्ध कराना है। शिक्षा विभाग का मानना है कि परिषदीय विद्यालयों में ज्यादातर आर्थिक रूप के कमजोर अभिभावकों के बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे में सरकारी विद्यालयों में कक्षा आठ तक अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई करने वाले बच्चों को आर्थिक संसाधन के अभाव में हिंदी माध्यम के विद्यालयों की ओर रुख करना पड़ सकता है। ऐसे में यदि राजकीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील कर दिया जाए तो ऐसे बच्चों को आगे की शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से करने में सहूलियत होगी।

जिला विद्यालय निरीक्षक डा. विनोद कुमार राय ने बताया कि परिषदीय विद्यालयों के निकट राजकीय विद्यालयों को चिह्नित करने के लिए समिति गठित कर दी गई है। समिति से ऐसे राजकीय विद्यालयों की सूची सप्ताहभर के भीतर मांगी गई है, ताकि शासन को प्रस्ताव भेजा सके। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में छह राजकीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करना प्रस्तावित है।

इधर प्रक्रिया शुरू, उधर विरोध

राजकीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू होते ही विरोध भी शुरू हो गया है। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व एमएलसी चेतनारायण सिंह ने कहा कि राजकीय विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने का निर्णय समाजहित में नहीं है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के अनुसार मातृभाषा में ही शिक्षा को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है।


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