फसलों को कीड़ों से बचाएगा ईको स्टिकी ट्रैप, यूपी की पहली यूनिट बलिया में लगाने की तैयारी
किसानों का पसीना अब कीड़े चूस नहीं पाएंगे। फसलों को बिना केमिकल के प्रयोग से कीटों का खात्मा करने का तरीका खोजा गया है। बलिया में महिलाओं की दो समूहों को ईको स्टिकी ट्रैप का निर्माण करने की जिम्मेदारी मिली है। यह प्रदेश की पहली यूनिट होगी।
बलिया, संग्राम सिंह। किसानों का पसीना अब कीड़े चूस नहीं पाएंगे। फसलों को बिना केमिकल के प्रयोग से कीटों का खात्मा करने का तरीका खोजा गया है। बलिया में महिलाओं की दो समूहों को ईको स्टिकी ट्रैप का निर्माण करने की जिम्मेदारी मिली है। यह प्रदेश की पहली यूनिट होगी। दो दिन पहले दुबहड़ ब्लाक की सावित्री बाई फुले व श्री हनुमान स्वयं सहायता समूह की 25 महिलाओं को स्टिकी निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया है।
पहली दिसंबर से उत्पादन शुरू होगा। नीली, पीली, काली व सफेद रंगे की स्टिकी को बनाने में करीब 15 रुपये लागत आएगी। इसे महिलाएं 25 रुपये में बेचेंगी। अभी स्टिकी को आनलाइन कंपनियां 40 रुपये में बेच रही हैं। कृषि विभाग व उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने संयुक्त रुप से प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। करीब एक हजार स्टिकी ट्रैप के निर्माण का आर्डर भी मिला है। दोनों समूहों के लिए करीब दो लाख रुपये बजट भी मंजूर हुआ है। निर्माण होने के बाद बेहतर मार्कटिंग होगी। इसके लिए पहले फेज में कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव, उद्यान और कृषि विभाग को आपूर्ति किया जाएगा, वे किसानों को निश्शुल्क देंगे। बिक्री बढऩे पर उत्पाद को बाजार में उतारा जाएगा। उत्पाद को प्रदेश के दूसरे जिले में भी आपूर्ति करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए जाएंगे।
क्या है स्टिकी ट्रैप : स्टिकी ट्रैप पतली चिपचिपी शीट होती है, क्योंकि इसमें सिंथेटिक गोंद का इस्तेमाल करते हैं जो धूप व पानी को लंबे समय तक झेल सकता है। यह फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल से कर सकता है। यह रसायन के मुकाबले काफी सस्ता होता है। इस ट्रैप शीट पर कीट आकर चिपक जाते हैं, जिसके बाद वह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। स्टिकी ट्रैप कई तरह की रंगीन शीट होती है, जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खेत में लगाई जाती है। इससे 40 फीसद कीटों से रक्षा होती है और खेत में कीटों का सर्वे भी हो जाता है।
ऐसे होगी तैयार, इस्तेमाल भी आसान
टीन, प्लास्टिक और दफ्ती की शीट से बनाएंगे। डेढ़ फीट लंबा व एक फीट चौड़ा कार्ड बोर्ड, हार्ड बोर्ड या इतने ही आकार का टीन का टुकड़ा लेंगे, जिस पर सफेद ग्रीस की पतली सतह लगाएंगे। एक बांस और एक डोरी पर इसे टांग देंगे। बोर्ड को लटकाने लायक दो छेद करेंगे। इसके बाद प्रति एकड़ में करीब 10-15 स्टिकी ट्रैप लगाएंगे। ट्रैपों को पौधे से 50-75 सेंटीमीटर ऊंचाई पर लगाएंगे ताकि ऊंचाई कीटों के उडऩे के रास्ते में आए। इस उत्पाद को छह महीने तक प्रयोग में लाया जा सकता है।
किस रंग के स्टिकी ट्रैप का कहां प्रयोग
पीली : सब्जियों में प्रयोग होगा। सफेद मक्खी, एफिड व लीफ माइनर आदि कीट पर नियंत्रण।
नीली : धान और कई फूलों एवं सब्जियों का रस चूसने वाले थ्रिप्स कीट पर प्रभावी नियंत्रण करेंगे।
काली : इसका उपयोग टमाटर में लगने वाले कीटों पर नियंत्रण के लिए किया जाएगा।
सफेद : फलों व सब्जियों में फ्लाई बीटल कीट एवं बग कीट पर नियंत्रण के लिए इस्तेमाल।
महिला समूहों को एक नई आजीविका मिलेगी
प्रथम चरण में दुबहड़ ब्लाक के दो समूहों को जिम्मेदारी दी गई है। यहां पर प्रदेश की पहली यूनिट स्थापित होगी। मांग बढऩे पर हर विकास खंड में निर्माण किया जाएगा। महिला समूहों को एक नई आजीविका मिलेगी। कीटनाशकों के प्रयोग में भी कमी आएगी।
- अभिषेक आनंद, जिला मिशन प्रबंधक, उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन।