वाराणसी में सारनाथ की धरती के भीतर आखिर चल क्या रहा है? भयभीत लोगों को भू-वैज्ञानिकों ने बताई वजह
Earth has been oscillating for 24 hours in Sarnath Varanasi वाराणसी के सारनाथ में अकारण 24 घंटे से डोल रही है धरती भयभीत लोगों को भू-वैज्ञानिकों ने बताई वजह फिर भी लोगों की चिंता कम नहीं हो रही है।
वाराणसी, जेएनएन। यह प्रकृति प्रदत्त है या कोई आफत, मगर जो भी है वह इंसानी समझ और लोगों के नजरिये से किसी चुनौती से कम नहीं। जी हां! यकीन नहीं करेंगे मगर यह सच है। वाराणसी शहर से सटे भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ पर सोमवार का दिन संशय और चुनौती से भरा रहा। लोग भूकम्प की आशंका में डूबे नजर आए। भूकम्प की यह स्थिति मगर कुछ ही मीटर के दायरे में होने से लोग सोमवार को भूकम्प का अनुभव भी महसूस करने के लिए जानकारी होने पर आए। भूकंप को लेकर स्थानीय लोगों में जहाँ चिंता है वहीं कुछ लोग अनहोनी की आशंका में भी डूबे नजर आए।
सारनाथ के पचास मीटर के क्षेत्र में सोमवार को काफी देर तक धरती का हिस्सा हिलता रहा। इस दौरान दुकानों के शटर, गाड़ियां, बेंच, कुर्सियां और बोतल में पानी भी बहुत तेजी से कंपन करने लगा। शटर से तेज आवाजें भी आने लगीं तो किसी अनहोनी की आशंका में लोग घबराकर दूर भाग खड़े हुए। लेकिन दिनभर यही हाल रहने और ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी हलचल खत्म नहीं हुई तो लोगों की चिंता काफी बढ़ गई और दिनभर लोग भूकम्प का अनुभव लेने सारनाथ आने लगे। वहीं पुरातात्विक महत्व के स्थल के पास यह भूकम्पीय स्थिति होने से स्थलों के संरक्षण पर भी लोग सवाल उठाने लगे हैं कि आखिर धरती के नीचे चल क्या रहा है जो लोगों को दहशत में रखे हुए है।
सोमवार से बढ़ी भूकंप की चर्चा
सोमवार की सुबह से ही अचानक तिब्बती बौद्ध मंदिर से आगे जापानी बौद्ध मंदिर मोड़ स्थित तिराहे पर सुबह धरती कांपने लगी। यह देख पूरे दिन दुकानदार और स्थानीय लोग भय के साये में रहे। दुकानों से बाहर निकल कर लोग भूकंप का आंकलन करने लगे। कुछ लोगों का कहना है कि यहीं से एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मोटी पाइप गुजरती है, जिसमें लीकेज की संभावना हो सकती है। हालांकि, रात तक यह कंपन का दौर थमने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।
जमीनी हलचल भी वजह
कभी कभार जमीन के नीचे पाइप या मानवीय गतिविधि भी स्थानीय स्तर पर भूकम्प की वजह बन जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार नीचे से पानी की पाइप भी गुजरी है। सम्भव है उसमें समस्या होने या गैस अथवा पेट्रोल की पाइप की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। हालांकि, पुरातात्विक महत्व के स्थल के पास यह भूकम्पीय स्थिति होना भी किसी खतरे से कम नही है। भूकम्पीय स्थिति की वजह से ऐतिहासिक धरोहरों को भी काफी क्षति पहुंचने का अंदेशा है। जबकि पुरातत्व विभाग की ओर से इस हालात की न तो सोमवार को जानकारी ली गई और न ही इस बारे में विभागीय स्तर पर चर्चा हुई कि आखिर सारनाथ की धरती के नीचे चल क्या रहा है।
बोले विशेषज्ञ
भू एवं मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि कंपन वाले इलाके के दायरे में कोई पुरातात्विक अवशेष भी हो सकता है। हालांकि बिना जांच किए प्रमाणिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। बीएचयू के भूकंप विज्ञानी डा. संदीप गुप्ता के अनुसार इस क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट जैसी कोई बात नहीं है। संभव है इस खास क्षेत्र में धरती के नीचे गैस बन रही हो और उसे निकलने का स्थान न मिल रहा हो। कुछ समय पहले बेंगलुरु के एक गांव में भी धरती के छोटे से क्षेत्र में हलचल की समस्या आई थी, जिसकी वजह गैस ही थी।
बोले अधिकारी
जल निगम के परियोजना प्रबंधक एसके बर्मन के मुताबिक ऐसा संभव नहीं है कि पेयजल पाइप में लीकेज की वजह से धरती में कंपन हो। वहीं, वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा कि मामला अभी संज्ञान में आया है। जांच के लिए मंगलवार को विशेषज्ञों को भेजा जाएगा।