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आपकी बिजली से सड़कों पर रफ्तार भर रही है ई-रिक्शा, गैराज मालिक लगा रहे करोड़ों की चपत

घरेलू उपभोक्ताओं को जानकर हैरानी होगी कि उनकी बिजली से ई- रिक्शा का कारोबार फलफूल रहा है। शहर में संचालित हजारों ई- रिक्शा की बैटरी घरेलू बिजली (एलएमवी-1) से ही चार्ज किए जा रहे है। कुल मिलाकर गैराज मालिक घरेलू बिजली का व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 01:36 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 01:36 PM (IST)
आपकी बिजली से सड़कों पर रफ्तार भर रही है ई-रिक्शा, गैराज मालिक लगा रहे करोड़ों की चपत
घरेलू उपभोक्ताओं को जानकर हैरानी होगी कि उनकी बिजली से ई- रिक्शा का कारोबार फलफूल रहा है।

वाराणसी, जेएनएन। घरेलू उपभोक्ताओं को जानकर हैरानी होगी कि उनकी बिजली से ई- रिक्शा का कारोबार फलफूल रहा है। शहर में संचालित हजारों ई- रिक्शा की बैटरी घरेलू बिजली (एलएमवी-1) से ही चार्ज किए जा रहे है। कुल मिलाकर गैराज मालिक घरेलू बिजली का व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं। जो नियमानुसार पूरी तरह से अवैध है। व्यवसायिक यूनिट दर की तुलना में घरेलू बिजली यूनिट का चार्ज लगभग 40 फीसदी तक कम होता है। इस खेल में बिजली विभाग को हर महीने करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। निचले तबके के कर्मचारियों में अच्छी पकड़ होने के कारण ई- रिक्शा गैराज मालिक विभागीय अधिकारियों के राडार पर नहीं चढ़ पाते।

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करोड़ों रुपए की चोरी

शहर में लगभग तीन हजार से ज्यादा ई-रिक्शा हैं। एक ई-रिक्शा की बैट्री को चार्ज करने में अमूमन 6 से 7 घंटे लगते हैं। इस दौरान लगभग 9 यूनिट बिजली की खपत होती है। घरेलू बिजली की रेट 6.15 रुपए प्रति यूनिट है। वहीं व्यवसायिक बिजली की बात करें तो इसकी रेट 8.50 रुपए प्रति यूनिट है। एक साल में तीन हजार ई-रिक्शा को चार्ज करने में लगभग 1 करोड़ 24 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है। इतनी यूनिट खपत होने पर बिजली विभाग को व्यवसायिक बिजली के हिसाब से कुल 17 करोड़ 54 लाख रुपए मिलते। जबकि शहर में ई-रिक्शा घरेलू बिजली से चार्ज किए जाते हैं। यदि सभी ई रिक्शा के मालिक बिजली बिल का भुगतान करें तो विभाग को करोड़ों का फायदा होगा।

शहर में चार्जिंग सेंटर खोलने की तैयारी

उत्तर प्रदेश राज्य में प्रदूषण रहित वाहनों के संचालन पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत बैटरी चालित वाहन (इलेक्ट्रॉनिक व्हिकल) के लिए राज्य सरकार प्रोत्साहित कर रही है। इसी क्रम में वाराणसी में जगह- जगह चार्जिंग स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है। नगर निगम की निगरानी में पहला चरण पूरा हो चुका है। चार्जिंग स्टेशन के लिए कुल 15 स्थान चिन्हित किए गए हैं। वैश्विक त्रासदी के चलते यह प्रकिया थोड़ी धीमी हो गई।

कमाई खूब फिर भी बिजली चोरी

ई-रिक्शा के मालिक की कमाई खूब हो रही है। फिर भी घरेलू कनेक्शन से ही उसे चार्ज करते हैं। ई-रिक्शा चालक प्रतिदिन 400 रुपए मालिक को किराए के रूप में देते हैं। एक दिन में चालक को 800 से 1200 रुपए की कमाई होती है। इसके अलावा गैराज मालिक स्वतंत्र चालकों से यार्ड में ई- रिक्शा खड़ा करने का किराया 30 रुपये वसूलते हैं। वहीं, उनसे 90 रुपये बैटरी चार्ज का खर्च लिया जाता है। 

अवैध चार्जिंग गैराज का संचालन

प्रशासनिक अधिकारियों की शिथिलता के चलते वाराणसी में अवैध गैराज का धंधा तेजी से फलफूल रहा है। शहर में ऐसे चार दर्जन से ज्यादा ऐसे चार्जिंग यार्ड और गैराज है, जहां विभागीय अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती। गौर करें तो सिगरा के शिवाजी नगर क्षेत्र में दो, शिवपुरवा में एक, लहरतारा में तीन, मंडुआडीह क्षेत्र में दो, लंका स्थित सामने घाट क्षेत्र में एक, अस्सी घाट पर दो चार्जिंग यार्ड, भेलूपुर में एक है। इसके अलावा बजरडीहा, गोलगड्डा, चौकाघाट, तेलियाबाग, सरैया व पांडेयपुर, शिवपुर समेत दर्जनों इलाके हैं। जहाँ यह धंधा चल रहा है।

यह है नियम

उत्तर प्रदेश में ई- रिक्शा के लिए दो महीने पहले नई नियमावली जारी की गई है। इसके तहत वाहन स्वामी को टाइप-11 में कनेक्शन के लिए आवेदन करना होगा। यह व्यवसायिक बिजली की श्रेणी में आता है। इस योजना में उपभोक्ता को आधा किलोवाट से लेकर 10 किलोवाट अथवा उससे भी ज्यादा क्षमता का कनेक्शन दिया जाता है। शेष अन्य कनेक्शन को अवैध माना जाएगा। कुछ ऐसी ही अनियमितता मिलने पर मंडुआडीह क्षेत्र में दो गैराज मालिकों के खिलाफ विभागीय अफसर ने 135 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। सिगरा के शिवपुरवा क्षेत्र में भी ऐसी गड़बड़ी पकड़ी गई थी।

बोले अधिकारी

घरेलू कनेक्शन से ई- रिक्शा का बैटरी चार्ज करना पूरी तरह से अवैध है, विभाग समय- समय पर अभियान चलाकर ऐसी गड़बड़ी करने वालो के खिलाफ कार्रवाई करता है। - अनूप कुमार राय, उपखंड अधिकारी।


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