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वन और रेलवे की बाधा के कारण सोनभद्र के कनहर बांध की जल निकासी काम अभी आधा

सोनभद्र के कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर एक तरफ लाखों की आबादी सरकार की ओर टकटकी लगाए हैं तो वहीं दूसरी ओर वन एवं रेलवे के अधिकारियों द्वारा अनापत्ति प्रमाण के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों को नाको चने चबवा रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 09:08 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 09:08 PM (IST)
वन और रेलवे की बाधा के कारण सोनभद्र के कनहर बांध की जल निकासी काम अभी आधा
सोनभद्र के दुद्धी क्षेत्र के कोलिन डूबा गांव में निर्माणाधीन कनहर ङ्क्षसचाई परियोजना का जलसेतु (फाइल फोटो)

सोनभद्र, जागरण संवाददाता। कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर एक तरफ लाखों की आबादी सरकार की ओर टकटकी लगाए हैं, तो वहीं दूसरी ओर वन एवं रेलवे के अधिकारियों द्वारा अनापत्ति प्रमाण के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों को नाको चने चबवा रही है। यह हाल तब है, जब राज्य सरकार के लिए यह प्रोजेक्ट अति महत्वपूर्ण है। विभागीय खींचतान की वजह से इस परियोजना की 2665 मीटर लंबी सुरंग एवं 1775 मीटर लंबे जल सेतु का निर्माण कार्य जहां ठप पड़ा हुआ है। वही माइनर की खोदाई शुरू न होने से अपनी जमीन देने वाले किसान भी ठगा ठगा सा महसूस करने लगे है। ऐसे हालात में क्षेत्र की करीब साढ़े चार दशक पुरानी परियोजना को मूर्तरूप लेने में अभी कितना वक्त लगेगा, इस पर कोई सटीक जबाव नहीं दे रहा है।

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मुख्य बांध का कार्य दिखा लूट रहे वाहवाही

कनहर व पांगन नदी के संगम तट अमवार में मुख्य बांध पर तो चल रहे कार्य को दिखा कर विभागीय अधिकारी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, किंतु इसी परियोजना का मुख्य अंग को दरकिनार कर दिया गया है। दाई नहर के जरिए पानी को पांडू नदी बेसिन के जरिए झारखंड तक पहुंचाने के लिए क्षेत्र के कोलिनडूबा गांव में जल सेतु का कार्य रेलवे की मैप डिजाइन क्लियर न होने एवं कोन क्षेत्र के कुड़वा गांव के समीप जल सुरंग का निर्माण वन महकमे के आपत्ति के कारण करीब पांच वर्षों से अटका पड़ा हुआ है।

दिसंबर 2014 में शुरू हुआ था कार्य

कनहर बांध का पानी किसानों तक पहुंचाने के लिए दिसंबर 2014 में तेजी आई। कार्यदायी संस्था पहाड़ खोदकर 2.6 किलोमीटर सुरंग बनाने का कार्य शुरू किया तो उत्तर प्रदेश के साथ झारखंड के किसानों की पथराई आंखों में चमक देखने को मिला था। लेकिन वन, रेलवे द्वारा अनापत्ति न मिलने के कारण जब वर्षो से कार्य ठप पड़ा, तो लोगों में मायूसी देखने को मिल रही है। कार्यदायी संस्था की मशीने जंग खाने लगी। किसान राम दयाल, शम्भू शरण, अर्जुन प्रसाद, गया राम, सुकर देव का कहना है कि जब वर्तमान सरकार के कथनी व करनी में साफ फर्क दिखता है।

अंतिम दौर में चल रही है प्रक्रिया

कनहर सिंचाई परियोजना के मुख्य अभियंता हर प्रसाद ने बताया कि वन एवं रेलवे विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के लिए विभागीय कवायद अंतिम दौर में है। दोनों विभागों के सभी शर्तो को पूरा किया जा चुका है। परियोजना रिवाइज होने के साथ ही जल सेतु व सुरंग के साथ नहरों का काम तेजी से शुरू किया जाएगा।


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