वाराणसी में नशे में लोग नहीं चलाते हैं वाहन, ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट के लिए पुलिस नहीं दिखती तैयार
नशे में वाहन दौड़ाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं इसके बाद भी कोई असर नजर नहीं आ रहा। वर्ष 2020 में वाराणसी पुलिस को शराब के नशे में वाहन चलाते हुए कोई भी चालक नहीं मिला हैं।
वाराणसी, जेएनएन। शराब पीकर या फिर मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद वाहन चलाना कानून अपराध है। नशे में वाहन दौड़ाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं, इसके बाद भी कोई असर नजर नहीं आ रहा। वर्ष 2020 में पुलिस को शराब के नशे में वाहन चलाते हुए कोई भी चालक नहीं मिला हैं। जनपद में चार से पांच करोड़ की शराब की खपत होती हैं। रोजाना शाम होते ही सड़क के किनारे लोग वाहनों में बैठकर शराब पीते दिख जाएंगे। वहीं, नशे में वाहन चलाने के चलते आए दिन दुर्घटनाएं होती है लेकिन लेकिन हैरत करने वाली बात यह कि 2020 में पुलिस को बनारस की सड़कों पर एक भी वाहन चालक ऐसा नहीं मिला, जिसने शराब पी रखी हो। जनवरी से दिसंबर तक सीट बेल्ट, हेलमेट, ओवर स्पीड चलने, रेड लाइट जमपिंग, मोबाइल फोन एवं इयरफोन लगाकर चलने समेत अन्य यातायात नियमों में उल्लंघन करने में करीब पांच लाख वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है।
आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ कितनी सख्त हैं। इनमें हेलमेट न लगाने पर ही तीन लाख 76हजार आठ सौ से अधिक लोगों पर कार्रवाई हुई हैं। वाहनों के कागजात न होने पर वाहन सीज कर रहे हैं। जिले में सीटबेल्ट न लगाने पर 19439 वाहनों के चालान हुए तो हेलमेट न लगाने पर 376800 लोगों पर कार्रवाई हुई। इसके अलावा तेज रफ्तार से वाहन चलाने पर 3574 और रेड लाइट जंपिंग में 9035 चालान किए गए। यही नहीं मोबाइल फोन व ईयरफोन लगाकर वाहन चलाने वाले 1557 लोगों पर तो अन्य यातायात उल्लंघन में 91160 पर कार्रवाई की गई।
शहर में 17 थाने, फिर भी शून्य चालान
सड़क सुरक्षा माह चल रहा हैं। यातायात नियमों को लेकर जागरूक किया जा रहा है। यातायात विभाग की ओर से सभी थानों को एक-एक ब्रेथ एनालाइजर दिया गया है जबकि भेलूपुर थाना को तीन ब्रेथ एनालाइजर दिया गया हैं। शहरी सीमा क्षेत्र में 17 थाने आते हैं, लेकिन साल में एक भी वाहन चालक नशे की हालत में नहीं मिला।
मेडिकल जांच से होती पुष्टि
वाहन चलाते समय चालक शराब या फिर किसी अन्य मादक पदार्थ का सेवन किया है, इसकी पुष्टि पुलिस मेडिकल जांच के माध्यम से कराती हैं। चालक को पकडऩे के साथ ही यह कार्रवाई भी यातायात पुलिस को ही करनी होती है, इसके बाद लाइसेंस निरस्त करने के लिए अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को पत्र लिखा जाता है। शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर रोक लगाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यातायात पुलिस की हैं।
सुरूर में वाहन दौड़ाने पर 10 हजार जुर्माना
ड्रींक कर ड्राइविंग यानी नशे की हालत में वाहन चलाने पर पकड़े जाने पर दो हजार रुपये का लगने वाला जुर्माना अब 10,000 हो गया हैं। इसके अलावा जेल का भी प्रावधान हैं, फिर भी लोग मान नहीं रहे हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए थानेदारों और यातायात पुलिस को निर्देश दिया गया है कि समय-समय पर अभियान चलाकर नशे में गाड़ी चलाने वालों का चालान काटा जाए।