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वाराणसी में डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने लगाई थी आरएसएस की पहली शाखा, संगठन को किया मजबूत

डा. केशव बलिराम हेडगेवार (जन्म 1 अप्रैल 1889 नागपुर मृत्यु 21 जून 1940 नागपुर) ने ब्रह्माघाट स्थित धन धनेश्वर मंदिर परिसर में शाम को लगने वाली शाखा की शुरुआत की। शाखा व पथ संचलन में ज्यादातर प्रौढ़ लोगों ने शिरकत की थी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 09:10 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 09:10 AM (IST)
वाराणसी में डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने लगाई थी आरएसएस की पहली शाखा, संगठन को किया मजबूत
डा. हेडगेवार ने वाराणसी, ब्रह्माघाट स्थित धन धनेश्वर मंदिर परिसर में शाम को लगने वाली शाखा की शुरुआत की।

वाराणसी, [अशोक सिंह]। विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना भले ही महाराष्ट्र में हुई लेकिन दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी में भी उसकी जड़ें बहुत पुरानी और गहरी हैं। 1925 में इसकी स्थापना के कुछ वर्षों बाद ही इसका संबंध काशी से भी जुड़ गया। आरएसएस के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार वर्ष 1931 में 11 मार्च को काशी आए और 13 मार्च को यहां शाखा लगाई। संघ का नौ दशक पूर्व काशी से हुआ यह जुड़ाव निरंतर बढ़ता रहा।

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काशी में रहे 22 दिन : डा. हेडगेवार (जन्म : 1 अप्रैल 1889, नागपुर, मृत्यु : 21 जून 1940, नागपुर) ने ब्रह्माघाट स्थित धन धनेश्वर मंदिर परिसर में शाम को लगने वाली शाखा की शुरुआत की। शाखा व पथ संचलन में ज्यादातर प्रौढ़ लोगों ने शिरकत की थी। उस दौरान डा. हेडगेवार काशी में लगभग 22 दिन रहे। काशी प्रवास के दौरान वे रोज शाखा लगवाते थे। इसके अलावा संघ को मजबूत बनाने के लिए जितना संभव होता उतने ज्यादा लोगों से मुलाकात करते। उन्होंने यहां लोगों को जोडऩे के बाद तन-मन-धन से संघ का काम करने के लिए शब्दावली तैयार कर की और सबसे प्रतिज्ञा भी करवाई। इस दौरान ही काशी के प्रथम संघचालक की जिम्मेदारी बाबा साहेब दामले को दी गई। हालांकि धन-धनेश्वर मंदिर में लगने वाली शाखा कुछ समय बाद ब्रह्माघाट मोहल्ले में स्थानांतरित हो गई।

गणेश दामोदर सावरकर बने माध्यम

सहव्यवस्था प्रमुख काशी प्रांत जयंतीलाल शाह ने बताया कि विनायक दामोदर सावरकर के बड़े भाई व डा. हेडगेवार के मित्र गणेश दामोदर सावरकर उन दिनों इलाज के लिए काशी आते थे। वे इस दौरान रतन फाटक स्थित अमृत भवन में रुकते थे। उनका इलाज वैद्य त्रयंबक शास्त्री कर रहे थे। वैद्य जी के यहां ही गणेश सावरकर की मुलाकात पुजारी बाबा साहब दामले से हुई। दामले संघ से काफी प्रभावित थे और बराबर महाराष्ट्र जाते रहते थे। इलाज कराने के बाद जब सावरकार यहां से लौटे तो उन्होंने डा. हेडगेवार के सामने काशी में संघ की शाखा लगाने का प्रस्ताव रखा। इतना ही नहीं उन्होंने खुद इसके लिए दामले का नाम सुझाया। इस पर सहर्ष सहमति जताते हुए डा. हेडगेवार ने दामले को पत्र लिखा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को संघ से जोडऩे के लिए कहा। इसके बाद डा. हेडगेवार खुद काशी आए। उनकी पं. मदन मोहन मालवीय से भी मित्रता थी। इसी मित्रता का परिणाम था कि 26 मार्च को डा. हेडगेवार बीएचयू पहुंचे और वहां भी संघ की शाखा लगाई गई।


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