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कालीन के कुशल कारीगरों के अभाव में डोमोटेक्स की तैयारी प्रभावित, भदोही के निर्यातकों की बढ़ी चिंता

कुशल बुनकरों के अभाव में डोमोटेक्स की तैयारी प्रभावित हो रही हैं। नई-नई वेराइटीज व डिजाइनों के सैंपल तैयार कराने की निर्यातकों की कवायद फेल हो गई है। दो साल के बाद आयोजित होने वाले डोमोटेक्स को लेकर उत्साहित निर्यातकों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 04 Nov 2021 04:44 PM (IST)Updated: Thu, 04 Nov 2021 04:47 PM (IST)
कालीन के कुशल कारीगरों के अभाव में डोमोटेक्स की तैयारी प्रभावित, भदोही के निर्यातकों की बढ़ी चिंता
कालीन के कुशल कारीगरों के अभाव में डोमोटेक्स की तैयारी प्रभावित

जागरण संवाददाता, भदोही। कुशल बुनकरों के अभाव में डोमोटेक्स की तैयारी प्रभावित हो रही हैं। नई-नई वेराइटीज व डिजाइनों के सैंपल तैयार कराने की निर्यातकों की कवायद फेल हो गई है। दो साल के बाद आयोजित होने वाले डोमोटेक्स को लेकर उत्साहित निर्यातकों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ गया है। त्योहारों के मद्देनजर 90 फीसद बुनकर घर लौट गए हैं। इसके कारण कालीन उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गई है। सर्वाधिक समस्या उन निर्यातकों के सामने उत्पन्न हो गई है जिन्होंने डोमोटेक्स में स्टाल बुक कराया है। समझा जा रहा था कि दीपावली के बाद बुनकरों की वापसी हो जाएगी लेकिन बुनकरों का कहना है कि डाला छठ समाप्त होने के बाद ही आएंगे।

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बिहार, झारंखड व पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे उत्साह के साथ मनाया जाता है। पर्व के मद्देनजर दशहरा पर ही बडी संख्या में बुनकर घर लौट गए थे। जो बचे थे वह बुनकर दीपावली व डाला छठ मनाने के लिए रवाना हो गए। बुनकरों के अभाव में 80 फीसद कालीन कारखानों में ताला लग गया है जबकि कुछ बुनाई केंद्रों पर स्थानीय व आसपास जनपदों के बुनकरों के सहारे काम चलाया जा रहा है। जर्मनी के हनोवर में 12 जनवरी से चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला प्रारंभ होने वाला है। इसमें भागीदारी के लिए देश के 150 निर्यातकों ने स्टाल बुक कराए हैं जिसमें भदोही-मीरजापुर के निर्यातकों की 60 से 70 फीसद भागीदारी है। मेले के लिए निर्यातक सैंपल तैयार कराने में जुटे थे। निर्यातकों का कहना है कि नवंबर के अंतिम सप्ताह तक सैंपल जर्मनी भेजना है। जबकि बुनकरों के घर लौटने से समस्या उत्पन्न हो गई है। निर्यातक श्याम नारायण यादव, जितेंद्र गुप्ता, संजय गुप्ता आदि का कहना है कि कालीन उद्योग में कुशल बुनकरों का अभाव पहले से बना हुआ है।


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