Move to Jagran APP

संभागीय परिवहन कार्यालय : अधिकारी और कर्मचारी के कंप्यूटर की आइडी जानते हैं दलाल, जब मन करता है करते हैं काम

सूबे में सरकार बदली लेकिन कार्यालयों में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली नहीं बदली। सब कुछ पहले जैसा चल रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 01:41 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 01:50 PM (IST)
संभागीय परिवहन कार्यालय : अधिकारी और कर्मचारी के कंप्यूटर की आइडी जानते हैं दलाल, जब मन करता है करते हैं काम
संभागीय परिवहन कार्यालय : अधिकारी और कर्मचारी के कंप्यूटर की आइडी जानते हैं दलाल, जब मन करता है करते हैं काम

वाराणसी, जेएनएन। सूबे में सरकार बदली लेकिन कार्यालयों में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली नहीं बदली। सब कुछ पहले जैसा चल रहा है। उन्हीं में एक है बाबतपुर का संभागीय परिवहन कार्यालय। यहां आज भी बाबू की कुर्सी पर दलाल बैठकर काम करते हैं। यदि आप ने उन्हें कुछ कह दिया तो काम नहीं होगा। कुर्सी पर बैठे दलाल अपने को दलाल सुनना पसंद नहीं करते हैं। वे कहते हैं, दलाल नहीं, साहब कहिए जनाब। इतना ही नहीं, ये दलाल अधिकारी और बाबू के कंप्यूटर की आइडी तक जानते हैं, उन्हें जब मन करता है आइडी से कंप्यूटर खोलकर काम शुरू कर देते हैं।

loksabha election banner

संभागीय परिवहन कार्यालय में वाहनों का पंजीयन, ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, चालान, टैक्स, अनापत्ति प्रमाणपत्र, फिटनेस आदि कंप्यूटराइज्ड हो चुके हैं। इन कामों के लिए सभी अधिकारी के साथ बाबू को कंप्यूटर आवंटित है लेकिन वे जरूरत के मुताबिक कंप्यूटर चला नहीं पाते हैं। कई ऐसे काम करने के लिए उन्हें दलाल का सहारा लेना पड़ता है। बाबू की कुर्सी के बगल में दलाल की कुर्सी लगी होती है। वे एक-एक फाइलों का काम करते रहते हैं।

कई बाबू तो अपनी कुर्सी छोड़कर इधर-उधर टहलते रहते हैं। वहीं कुर्सी पर बैठे दलाल के अंदाज और उसके कपड़े को देखकर उन्हें समझ नहीं पाएंगे कि वे दलाल है। वे गाडिय़ों का काम कराने पहुंचे वाहन स्वामी से ऐसे बात करते हैं जैसे अहसान जताते हैं। वाहन स्वामी भी उन्हें पहचान नहीं पाते हैं कि वे बाबू हैं या दलाल। उन्हें साहब-साहब कहते हैं। ये दलाल कंप्यूटर पर काम करने के साथ फाइल को बाबू की तरह लेकर अफसर के पास पहुंचते हैं। अफसर भी बिना कुछ देखे दस्तखत कर देते हैं। इस बारे में एआरटीओ (प्रशासन) सर्वेश सिंह ने कहा कि बाबू के पास कोई दलाल बैठता है तो गलत है। बाबू को इसके लिए हिदायत दी गई है। किसी को कोई दिक्कत है तो मुझसे संपर्क करे। कार्यालय की कोई फाइल दलाल कभी नहीं ले सकता है। कई दलालों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है।

बाइक ट्रांसफर का रेट 400 रुपये

आदित्य दुबे अपनी गाड़ी का ट्रांसफर कराने कार्यालय पहुंचे तो बाबू की कुर्सी पर बैठे दलाल ने कहा कि क्या काम है। उन्होंने कहा, गाड़ी का ट्रांसफर कराना है। थोड़ी देर बाद दलाल ने कहा, ऐसे काम नहीं होगा, सिस्टम से आओ। वह समझ नहीं सके। इस बीच काउंटर पर खड़े एक दलाल ने कहा कि बाइक का ट्रांसफर कराने का 400 रुपये रेट है।

600 रुपये दिया, एक घंटे में बना डीएल

सुमन मिश्रा कहतीं हैं कि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने गई तो कार्यालय में टहल रहे एक व्यक्ति ने पूछा क्या काम है। किससे मिलने आई तो मैं अवाक रह गई। बताया डीएल बनवाने आई हूं तो बोला आओ बताता हूं। कुछ देर बाद उसने बताया कि एक घंटे में डीएल बन जाएगा लेकिन 600 रुपये लगेंगे। 600 रुपये देने पर एक घंटे में डीएल बन गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.