नानक की शोभा राशि से दमकेगी दिव्य काशी, शाम जलेगी जोत, सुबह छकेंगे अमरित वाणी
प्रकाशोत्सव के एक-एक पल को गुरु की अलौकिक शोभा रश्मियों से आलोकित करने की टहल में जुटे हुए हैं।
वाराणसी [कुमार अजय]।
शुभ शबद
तजि अभिमान मोह माइया फुनि।
भजन राम चित लावउ।।
नानक कहत मुकति पंथ इहु।
भजन राम चित लावउ।।
देवों के दीपोत्सव के उल्लास से रज- गज कार्तिक पूर्णिमा की शीतल-स्निग्ध शाम तो सुरसरि गंगा के समानांतर प्रवाहित ज्योति गंगा से आलोडि़त होगी ही, इस पवित्र तिथि की सुबह भी कुछ कमतर दिव्य न होगी। उजास की मरमरी चादर से पसरे इस निर्मल धवल सवेरे का प्रतिपल कार्तिकी ओस के साथ ही सिख पंथ के प्रवर्तक महान संत गुरुनानक देव जी के 550 साला प्रकाशोत्सव के संदेशों के सार तत्व की अमृतधार से भीगा होगा। जिस समय देवता अपने-अपने हिस्सों की दीया -बाती सहेजने काशी की देवधरा पर उतरने के जतन कर रहे होंगे, उस समय सिख पंथ के नौवें गुरु तेग बहादुर, दशमेश गुरु गोविंद सिंह व स्वयं गुरुनानक देव जी की चरणधूलि से पवित्र इसी काशी नगरी का कण-कण गुरु के अमरित शब्दों यथा- साधो गोविंद के गुन गावंउ से गूंज रहा होगा।
संत शिरोमणि गुरुनानक देव जी के पदचिन्हों से अलंकृत गुरुद्वारा गुरुबाग के मुख्य ग्रंथी भाई सुखदेव सिंह गुरुद्वारा प्रबंधन से जुड़े सभी सहयोगियों के साथ इन दिनों प्रकाशोत्सव के एक-एक पल को गुरु की अलौकिक शोभा रश्मियों से आलोकित करने की टहल में जुटे हुए हैं। बताते हैं सुखदेव भाई- संगत भी वही होगी पंगत भी वही होगी। अलबत्ता गुरू के सिखों की भगति व उल्लास चरम पर होगा। गुरु के प्रकाश पर्व का पांच सौ पचासवां साल है। इसके स्मरण मात्र का अहसास भी परम पर होगा। खास मौका होने की वजह से मुकामी अकीदतमंदों के अलावा देश-दुनिया के अन्य स्थानों से भी सिखजन बड़ी संख्या में काशी नगरी में पांव धरेंगे। प्रसिद्ध रागी जत्थों द्वारा प्रस्तुत शबद-कीरतन के पावन सुरों से गुंजित गुरुघर में अपनी हाजिरी भरेंगे।
भाई सुखदेव के मुताबिक पर्व की पूर्व संध्या यानि 11 नवंबर की कीरतन से सजी संगत के विराम लेते ही रात के तीसरे पहर (3.45 बजे) श्री गुरुग्रंथ साहिब के शाहाना स्वागत के साथ प्रकाशोत्सव के सजीले द्वार खुल जाएंगे। दिन का दिवान दोपहर दो बजे तक तथा शाम का दिवान सात बजे से रात 1 बजे तक सजा रहेगा। दिन के दिवान के समापन पर गुरू का लंगर भी बरता जायेगा। स्वच्छता का संदेश देते नगर कीरतन का शुभारंभ दोपहर 12 बजे होगा। श्रीगुरुग्रंथ साहब जी की शाही सवारी व गुरुनानक देव जी की मनोरम छवि की असवारी के साथ निकली यह शोभा यात्रा प्रकाशोत्सव को अपने विविध रंगों से निखारेगी। काशी की धर्मप्राण जनता इसका दर्शन कर अपनी भाव धारा से गुरू साहेब के चरण पखारेगी। ...वाहे गुरु जी का खालसा ... वाहे गुरुजी की फतह।
गुरु चरनन की धूलि से धन्य भई काशी
इतिहास के पन्नों की गवाही-साखी के मुताबिक स्वयं गुरुनानक देव जी के अलावा पंथ के नौवें गुरू तेग बहादुर जी (1660) व दशमेश गुरू गोविंद सिंह जी साहेब बालपन (सात वर्ष की आयु) में पटने साहेब से पंजाब जाते हुए काशी की पुण्यभूमि का धूलि वंदन कर चुके हैं। प्रमाणों के अनुसार गुरुनानक देव जी ने अपनी प्रथम उदासी (यात्रा) के दौरान (1563 विक्रमी संवत) में महाशिवरात्रि के दिन गुरुबाग के एक चबूतरे पर संगत रमा कर-नाम जपन, बांटकर खाना तथा सत्संग की अलख जगाई। गुरू तेग बहादुर जी साहेब नीचीबाग गुरुथान पर पधारे।