कश्मीर व अनुच्छेद 370 पर परिचर्चा में बोले संबित पात्रा ; कश्मीर तो क्या हम पीओके, अक्साई चिन भी छीन के लेंगे
बीएचयू स्थित स्वतंत्रता भवन में काशी मंथन के तहत बुधवार को अनुच्छेद 370 और 35-ए के निरस्तीकरण का कश्मीर पर प्रभाव विषयक व्याख्यान आयोजित किया जा रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। जब तक देश का राष्ट्राध्यक्ष शेर की तरह नहीं गरजेगा, भारतवर्ष आगे नहीं बढ़ेगा। कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को हटाया जाना ऐसा ही साहसिक फैसला था। यह बातें पेशे से चिकित्सक व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. संबित पात्रा ने बुधवार को काशी मंथन में बतौर वक्ता कही।
श्रोताओं से खचा-खच भरे स्वतंत्रता भवन प्रेक्षागृह में डा. संबित पात्रा ने कहा कि मोदी सरकार ने अस्थाई प्रावधानों को हटाने का फैसला कश्मीर के बेहतर भविष्य को ध्यान में रखकर लिया है। भारत सरकार ने 2004 से अब तक कश्मीर में मदद के लिए दो लाख 77 हजार करोड़ रुपये भेजे। वहीं पीएम मोदी ने अलग से डेढ़ लाख करोड़ रुपये दिए। फिर भी वहां गुरबत की सबसे बड़ी वजह इन पैसों का सही इस्तेमाल न होना था। ये सारे पैसे महज तीन परिवारों के पास ही पहुंचते थे, जिनकी कश्मीर में मोनोपोली चलती थी। 370 खत्म होने के बाद ये मोनोपोली भी खत्म हुई। जब संविधान में इस अनुच्छेद को बनाया गया था तब इसका उद्देश्य कश्मीर की बेहतरी था, लेकिन कालांतर में अनुच्छेद 370 एवं 35 ए हालात के सुधार में बाधा बनते चले गए। इनकी वजह से बाल विवाह, शिक्षा का अधिकार, आयुष्मान भारत, वयोवृद्ध माता-पिता के भरण-पोषण, व्हिसिल ब्लोअर प्रोटेक्शन आदि जैसे करीब 106 कानून कश्मीर में लागू ही नहीं होते थे। सरकार ने लोकतांत्रिक तरीके से संसद में चर्चा करते हुए इसे समाप्त किया। सिर्फ कश्मीर ही नहीं सरकार पीओके और अक्साई चिन की समस्या के समाधान को कटिबद्ध है। सुरक्षा की दृष्टि से कफ्र्यू जैसे कदम उठाए गए थे, जिनकी वजह से अभी तक कश्मीर में न तो एक भी गोली चली है और न ही कहीं बम ब्लास्ट हुआ है।
सीधी लड़ाई में नहीं जीत सकता पाक
डा. पात्रा ने पाकिस्तान के जनरल जियाउल हक का भी जिक्र किया। बताया जियाउल हक ने कहा था कि हम भारत को सीधी लड़ाई में हरा नहीं सकते, इसलिए पाक को ऑपरेशन टू पैक्ट चलाना चाहिए। इसके बाद पाक ने पीठ में छुरा घोंपते हुए 370 के बहाने कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देना शुरू किया। ऑपरेशन टू पाक के कारण 42 हजार भारतीयों को जान गंवानी पड़ी। अब जाकर इस का अंत हुआ।
कम समय में तय किया लंबा सफर
डा. पात्रा ने कहा कि करीब एक दशक पहले जब तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आये थे, उस समय सांसदों में उन्हें छूने, उनके पास जाने की होड़ मची थी। वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र में जाकर वहां के राष्ट्रपति ट्रंप का हाथ उठाकर उनका परिचय कराया। यह देश के लिए गर्व की बात है। हमने अल्प समय में एक लंबा सफर और गौरवशाली सफर तय किया है।
दिलों के करीब आने से खत्म होगी कश्मीरियों से दूरी
काशी मंथन में मुख्य वक्ता भारतीय सेना के पूर्व सैन्य अधिकारी एवं कश्मीर केंद्रीय विवि के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को समाप्त किए जाने के फैसले का स्वागत होना चाहिए। इससे न सिर्फ कश्मीर की जनता बल्कि भारतीय सेना के मनोबल पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लंबे समय से समस्या बने रहने के कारण जाहिर है वहां की जनता के मन में कुछ अविश्वास भी होंगे। जाहिर है यह दूरी दिलों के करीब आने से ही खत्म होगी। पाकिस्तान कश्मीर के हालात का फायदा उठाकर वहां के जनमानस को उग्रवाद की ओर मोड़ता रहा है। पाकिस्तान व चीन भारत के खिलाफ मनोवैज्ञानिक जंग छेड़े हुए हैं। धर्म, भाषा, क्षेत्रीयता आदि के असंतोषों को हवा देकर भारत को लगातार अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। यदि हम देश के किसी भी हिस्से में धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीयता आदि पर उन्मादी हो रहे हैं, तो कहीं न कहीं हम पाकिस्तान के एजेंडे को ही सफल बना रहे हैं। इस छद्म युद्ध से लडऩे की जिम्मेदारी सिर्फ सेना की नहीं, बल्कि हर एक नागरिक की है। हमें कश्मीर को मेन स्ट्रीम में लाना होगा। जब आखिरी कश्मीरी भी खड़ा होकर जय ङ्क्षहद कहेगा तो समझिए हम युद्ध जीत गए। स्वागत काशी मंथन के संयोजक एवं विवि के संयुक्त कुलसचिव मयंक नारायण सिंह, संचालन चंद्राली मुखर्जी व धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक डा. बाला लखेंद्र ने किया। इस अवसर पर दिव्या सिंह, विक्रांत कुशवाहा, अदिति, राज दुबे, डा. पंकज सिंह, डा. सुमील तिवारी, काशी व गोरक्ष प्रांत के संगठन महामंत्री रत्नाकर, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं एमएलसी लक्ष्मण आचार्य, विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह, सौरभ श्रीवास्तव सहित केदारनाथ सिंह, विद्या सागर राय, नागेंद्र रघुवंशी, रामप्रकाश दुबे, नवरतन राठी, डा. वीरेंद्र प्रताप सिंह, प्रमोद मिश्र, प्रभात सिंह, पीयूष वर्धन सिंह आदि थे।