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आजमगढ़ में भाजपा के एक जिलाध्यक्ष के ड्राइवर और गनर की पिटाई से खिंची सियासी तलवारें

प्रभारी मंत्री के काफिले में अनुशासन टूटने के बाद अब अंदरखाने में घमासान है। एक जिलाध्यक्ष अपने चालक व गनर की पिटाई से आहत हैं। उचित भी कि बड़ा कद होने के बावजूद अनुषांगिक संगठन के नए पदाधिकारियों ने उनकी खूब इज्जत उतारी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 09:34 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 09:34 AM (IST)
आजमगढ़ में भाजपा के एक जिलाध्यक्ष के ड्राइवर और गनर की पिटाई से खिंची सियासी तलवारें
घटना के कई दिनों बाद भी कार्रवाई न होने से आहत कार्यकर्ता ठौर बदल सकते हैं।

आजमगढ़, जागरण संवाददाता। भाजपा के एक जिलाध्यक्ष के ड्राइवर व गनर की पिटाई से जिले में इन दिनों तलवारें खिंची हुई हैं। अनुषांगिक संगठन के नए पदाधिकारियों की करतूत से संगठन की फजीहत हो रही है। प्रभारी मंत्री के काफिले में अनुशासन टूटने के बाद अब अंदरखाने में घमासान है। एक जिलाध्यक्ष अपने चालक व गनर की पिटाई से आहत हैं। उचित भी कि बड़ा कद होने के बावजूद अनुषांगिक संगठन के नए पदाधिकारियों ने उनकी खूब इज्जत उतारी। आला हुक्मरान सबकुछ खामोशी से देखने के अलावा कुछ नहीं कर सके। इससे अनुशासित कही जाने वाली पार्टी की खूब फजीहत हुई। घटना के कई दिनों बाद भी कार्रवाई न होने से आहत कार्यकर्ता ठौर बदल सकते हैं।

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जिले प्रभारी मंत्री सुरेश राणा का जनपद में दौरा लगा था। उनके सर्किट हाउस जाने के दौरान जिलाध्यक्षों की गाड़ियां काफिले के साथ रफ्तार भर रहीं थीं। उसी दौरान भाजपा के ही एक अनुषांगिक संगठन के जिलाध्यक्ष ने अपनी स्कार्पियो ओवरटेक कर काफिले में घुसाने की कोशिश की। सफल नहीं होने पर कार सवार हमलावर हो उठे। लाठियां लिए जिलाध्यक्ष के चालक व गनर को धमकाने लगे। कुछ देर ही बीते थे कि मंत्री जी का काफिला सर्किट हाउस पहुंच गया। मंत्री जी गार्ड आफ आनर ले रहे थे तो वहीं थोड़ी दूरी पर आलधिकारियों व पदाधिकारियों के सामने बाहर महासंग्राम हुआ। जिलाध्यक्ष के ड्राइवर व गनर के साथ मारपीट की गई।

अनुशासित पार्टी का तमाशा बनने की चर्चा भी शहर में खूब रही। उस समय पीड़ित पक्ष ने मंत्री जी को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया। उस समय तो लगा कि अनुशासित पार्टी होने के नाते किसी न किसी पर गाज जरूर गिरेगी। उस घटना के कई दिनों बाद भी कार्रवाई न होने से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा तबका आहत है। चुनाव से ठीक पूर्व सपा के गढ़ में भाजपा को यह घमासान जरूर भारी पड़ सकता है। हालांकि, एक पक्ष अपनी पीड़ा संगठन के चैनल के जरिए नीचे से ऊपर तक पहुंचा चुका है।


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