भारत कला भवन में 5500 पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण शीघ्र
जागरण संवाददाता वाराणसी कोविड काल में विगत कई माह से बीएचयू का भारत कला भवन म्यूजियम
जागरण संवाददाता, वाराणसी : कोविड काल में विगत कई माह से बीएचयू का भारत कला भवन म्यूजियम बंद पड़ा रहा। यहां सहेज कर रखी गई साढ़े पांच हजार प्राचीन पांडुलिपियों पर नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। वेदों, रामायण व आयुर्वेद से लेकर लगभग सभी कर्मकांडों से संबंधित ग्रंथों की मूल व प्रथम प्रतिलिपियां भी इस म्यूजियम में संरक्षित की गई हैं। इसके साथ ही मूल 'काशी खंड' के कई भाग भी यहां पर मौजूद हैं, मगर उचित रखरखाव के बगैर इनका अस्तित्व संकट में है।
इसे लेकर अब सजगता बरतते हुए जल्द ही इन पांडुलिपियों को डिजिटल स्वरूप में लाने की कवायद शुरू हो गई है। भारत कला भवन म्यूजियम की उप निदेशक डा. जसमिदर कौर का कहना है कि भारत कला भवन में शेष बचे कार्यो के पूर्ण होते ही पांडुलिपियों को डिजिटल स्वरूप देने पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। डिजिटल प्रारूप तैयार करने वाली संस्थाओं से बातचीत कर एक रूप-रेखा बनाई जा रही है।
डा. कौर के अनुसार जल्द ही पांडुलिपियों में निहित उद्धरण व रहस्य को डिजिटल फार्मेट में सरलतापूर्वक पढ़ा व समझा जा सकेगा। इसके साथ ही शोधार्थी इनमें कही गई बातों को स्रोत की तरह उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक रूप से भले ही यह म्यूजियम विगत कई माह से बंद रहा हो, मगर यहां रखे गए उपकरणों के डिजिटलीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। अभी तक सिक्के, पेंटिग, टेक्सटाइल, आर्कियोलाजी, धातु व पत्थरों के डिजिटलीकरण का साठ फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है, शेष कार्य इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा।
करीब ढाई हजार पांडुलिपियां बांस पेपर से संरक्षित : भारत कला भवन के सहायक संग्रहालयाध्यक्ष विनोद कुमार का कहना है कि करीब 5500 पांडुलिपियों में से मात्र 2600 को ही अम्ल पेपर से संरक्षित किया गया है, जबकि बाकी बांस पेपर से लपेट कर रखी गई हैं। इससे इनके अस्तित्व पर गहरा संकट है। इसमें रखे गए कई महान व्यक्तित्वों के से संबंधित मूल दस्तावेज, चिट्ठियों, शोध और अनुसंधानों को संरक्षित करना अब बेहद जरूरी है।