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संकष्टी गणेश चतुर्थी पर वाराणसी के विनायक मंदिरों में भक्‍तों की भीड़, संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा व्रत

संकष्टी गणेश चतुर्थी पर शुक्रवार को वाराणसी के सभी गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। सुबह से ही दर्शनार्थियों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ती रही। दूर्वा से गणेश सहस्त्रार्चन किया गया। सायंकाल भी गणेश जी की दिव्य झांकी सजाई गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 09:20 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:20 PM (IST)
संकष्टी गणेश चतुर्थी पर वाराणसी के विनायक मंदिरों में भक्‍तों की भीड़, संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा व्रत
संकष्टी गणेश चतुर्थी पर शुक्रवार को लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

जागरण संवाददाता वाराणसी। संकष्टी गणेश चतुर्थी पर शुक्रवार को लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। बप्पा के दरबार में जय गणेश के जयकारे के साथ हर-हर महादेव का जयघोष भी गूंजता रहा। महंत कैलाश नाथ दुबे ने बताया कि माघ माह में पड़ने वाला यह व्रत महिलाएं पुत्र की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए रखती है। ब्रह्म मुहूर्त में बाबा को पंचामृत से स्नान कराकर नूतन वस्त्र पहनाए गए। और आरती के पश्चात श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए तथा अपराह्न में बाबा का विशेष श्रृंगार कर आरती की गई। जिसके बाद श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही जो देर रात तक चलेगी। अर्ध रात्रि में बाबा का विशेष पूजन कर महाआरती की जायेगी।

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दुर्गाकुण्ड स्थित काशी खंडोक्त श्रीदुर्ग विनायक गणेश का वार्षिक श्रृंगार महोत्सव मनाया गया। 21 क्विंटल प्रसाद का भोग लगाया गया। गणेश जी का भव्य श्रृंगार कर दिव्य झांकी भी सजाई गई थी। दिनभर मंदिर में विविध धार्मिक आयोजन भी चलते रहें। प्रातःकाल पांच बजे श्रृंगार के साथ मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। उसके बाद नौ बजे से 11 ब्राह्मणों द्वारा गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ किया गया तथा दूर्वा से गणेश सहस्त्रार्चन किया गया। अपराह्न एक बजे विविध प्रकार के फलों एवं मोदक का भोग लगाया गया।

सायंकाल भी गणेश जी की दिव्य झांकी सजाई गई। स्वर्ण व एवं रजत आभूषणों से विग्रह को अलंकृत कर बाबा का दरबार सजाया गया। इसके बाद छप्पन भोग लगाकर विराट आरती उतारी गई। इस मौके पर सम्पूर्ण मंदिर एवं आसपास के क्षेत्र में भव्य सजावट की गई थी। सुबह से ही दर्शनार्थियों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ती रही। समस्त आयोजन महंत ज्ञानेश्वर दुबे के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। आरती पंडित अनुराग मिश्र ने उतारी। इस अवसर पर ईशाकं दुबे, निर्भय उपाध्याय, अशोक मिश्रा, शिवम दुबे,अंकित उपाध्याय आदि थे।


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