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वाराणसी में खिचड़ी बाबा के दरबार में भक्‍तों को वर्ष भर मिलता है खिचड़ी का अनोखा प्रसाद

काशी में खिचड़ी का भोग और भगवान के साथ ही भक्‍तों का रिश्ता पुराना ही नहींं बल्कि अनोखा भी है। काशी विश्वनाथ स्थित बाबा दरबार मार्ग यानी विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने खिचड़ी बाबा के मंदिर पर वर्ष भर सुबह प्रसाद के तौर पर खिचड़ी खिलाई जाती है।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 10:10 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 01:28 PM (IST)
वाराणसी में खिचड़ी बाबा के दरबार में भक्‍तों को वर्ष भर मिलता है खिचड़ी का अनोखा प्रसाद
खिचड़ी बाबा के मंदिर पर वर्ष भर सुबह प्रसाद के तौर पर भक्‍तों को खिचड़ी खिलाई जाती है।

वाराणसी, जेएनएन। धर्म और आध्‍यात्‍म की नगरी काशी में खिचड़ी का भोग और भगवान के साथ ही भक्‍तों का रिश्ता पुराना ही नहींं बल्कि अनोखा भी है। काशी विश्वनाथ स्थित बाबा दरबार मार्ग यानी विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने मौजूद खिचड़ी बाबा के मंदिर पर वर्ष भर सुबह प्रसाद के तौर पर खिचड़ी खिलाई जाती है। वहीं बाबा विश्वनाथ को भी मकर संक्रांति के दिन विशेष तौर पर खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। बाबा लाट भैरव के विवाहोत्सव के ठीक दूसरे दिन खिचड़ी का प्रसाद उनके भक्तों में वितरित किया जाता है। उत्‍सव धर्मी काशी में मकर संक्रांति पर्व पर खिचड़ी उत्सव की अनोखी धूम गांव गली मोहल्‍लों से लेकर धर्मस्‍थलोंं तक होती है।  

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मान्‍यता है कि काशी में माता अन्‍नपूर्णा का निवास है और यहां पर कभी कोई भूखा नहीं सोता। गुरुओं की आस्‍था और प्रेरणा का आध्‍यात्मिक केंद्र होने के नाते काशी में गुरु कृपा भी भक्‍तों को प्रसाद के तौर पर मिलता रहा है। बाबा दरबार के पास खिचड़ी बाबा मंदिर में रोज सुबह खिचड़ी का प्रसाद कड़ाहे में बनता है तो भक्‍त कतारबद्ध होकर आस्‍था के प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। बृहस्‍पति का दिन होने की वजह से गुरुवार को बृहस्‍पति देव मंदिर के तौर पर भी आस्‍था की अनवरत कतार सुबह से लेकर ि‍दिन चढ़ने तक जारी रही और भक्‍तों ने खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया। 

मकर संक्रांति के मौके पर आस्‍थावानों की कतार इस मंदिर में दूर दूर तक लग जाती है। कड़ाह पर कड़ाह लगातार खिचड़ी का अनवरत लंगर चलता है और भक्‍तों की न टूटने वाली कतार भी लगातार प्रसाद ग्रहण कर आगे बढ़ते हुए हर हर महादेव का जयकारा लगाती रहती है। मंदिर में वर्षभर आस्‍थावान खिचड़ी भी दान देते हैं और इसी का प्रसाद नित्‍य भक्‍तों को प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है। लंबे समय से मंदिर में यह अटूट परंपरा बनी हुई है और भक्‍त भी प्रसाद ग्रहण कर निहाल नजर आते हैं।  

भक्‍तों के साथ ही भगवान भी मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग ग्रहण करते हैं। इस मान्‍यता के साथ काशी विश्‍वनाथ स्थित बाबा दरबार से लेकर विभिन्‍न मंदिरों में भगवान को खिचड़ी का भोग लगाकर उसका प्रसाद भक्‍तों में विति‍रित करने की काशी में अनोखी परंपरा सदियों से रही है। इस परंपरा के निर्वहन के क्रम में सुबह से ही मंदिर प्रांगण और भोग प्रसाद के तौर पर अंधेरे ही कड़ाहे चढ़े और खिचड़ी की छौंक से मंदिर का प्रांगण भी गमक उठा। भगवान को भोग लगाने के बाद खिचड़ी के प्रसाद का वितरण शुरू हुआ तो हर हर महादेव से मंदिरों का प्रांगण भी गूंज उठा।


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