यज्ञाेपवित और मुंडन संस्कार मुहूर्त पर विंध्यधाम उमड़े श्रद्धालु, मंदिर बंद होने से मायूस होकर लौटे
चैत्र नवरात्र के सप्तमी पर सोमवार को यज्ञाेपवित व मुंडन संस्कार का मुहूर्त होने के नाते बिहार गोरखपुर देवरिया बस्ती उन्नाव रायबरेली आदि स्थानों से दर्शनार्थी विंध्यधाम आए थे। कोरोना संक्रमण को लेकर विंध्यवासिनी मंदिर को बंद करने के साथ ही श्रद्धालुओं के आवाजाही पर भी रोक है।
मीरजापुर, जेएनएन। बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर विंध्यवासिनी मंदिर को बंद करने के साथ ही श्रद्धालुओं के आवाजाही पर भी पूर्णत: रोक लगा दिया गया है। इससे श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन किए बगैर मायूस होकर वापस लौट रहे हैं। जबकि विंध्यधाम की गलियों में सजी दुकानें दर्शनार्थियों का इंतजार कर रही हैं। विंध्यवासिनी मंदिर बंद होने से सभी गलियां सुनसान नजर आईं। वहां सिर्फ पुलिसकर्मी ही दिखाई दे रहे थे।
चैत्र नवरात्र के सप्तमी पर सोमवार को यज्ञाेपवित व मुंडन संस्कार का मुहूर्त होने के नाते बिहार, गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, उन्नाव, रायबरेली आदि स्थानों से दर्शनार्थी विंध्यधाम आए थे। दर्शनार्थी सोचे थे कि लाकडाउन तो सिर्फ रविवार को है। बाकी दिन तो मां विंध्यवासिनी का दर्शन हो जाएगा, लेकिन विंध्यधाम पहुंचने पर पता चला कि मंदिर को पूरी तरीके से बंद रखा गया है। यहां तक कि श्रद्धालुओं को मंदिर की सीढ़ियों पर भी प्रसाद नहीं चढ़ाने दिया गया।
दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने गंगा घाट पर बच्चों का मुंडन संस्कार कराया, लेकिन मां विंध्यवासिनी का दर्शन न मिलने से वे काफी मायूस दिखे। दर्शनार्थियों ने कहा कि यहां आने पर होटल व दुकानें खुली देख ऐसा नहीं लगा कि विंध्यवासिनी मंदिर बंद है। सुरेंद्र मिश्र निवासी मुगरा बादशाहपुर जौनपुर ने कहा, हमें बताया गया था कि मंदिर खुला है लेकिन यहां आने पर गंगा स्नान करने के बाद जब मंदिर की ओर बढ़े तो पता चला कि मां विंध्यवासिनी का मंदिर बंद है। दीपनारायण पांडेय निवासी बक्सर बिहार ने कहा कि नवरात्र के समय मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के लिए दो दिन पूर्व विंध्यधाम आ गए थे। यहां कलश भी स्थापित कर चुके हैं और पाठ भी करते हैं, लेकिन मंदिर बंद होने से मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन नहीं हो पा रहा है। मां से यही प्रार्थना है कि बस पाठ पूरा हो जाए। इसके बाद वापस लौट जाएंगे।
विंध्यवासिनी मंदिर बंद रखने का विरोध, बोले पार्षद श्रृंगार-पूजन के समय में बदलाब गलत
श्रीविंध्य पंडा समाज के पूर्व मंत्री व विंध्य विकास परिषद के पार्षद अवनीश मिश्रा ने मंदिर बंद करने के निर्णय का विरोध किया। कहा कि मंदिर या तो पूर्ण रूप से बंद हो या फिर पूर्ण रूप से खोल दिया जाए। विंध्यवासिनी मंदिर बंद करने का निर्णय लेने के पूर्व व्यवस्थापिका समिति के समस्त सदस्यों की सहमति आवश्यक है। बैठक तो बुलाई गई पर सभी लोग एकमत नहीं थे। बंदी के बाद भी मंदिर पर कुछ लोग सुविधा का दुरूपयोग कर रहे हैं। यहां तक कि गर्भगृह के अंदर जाकर मोबाइल से वीडियो काल इत्यादि कर रहे हैं। मंदिर के मुख्य प्रवेश मार्ग का दरवाजा भी बंद होना चाहिए। व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए दरवाजा खोल रखा गया है। इससे सामान्य तीर्थ पुरोहित अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। पार्षद ने यह भी कहा कि शासनादेश के बगैर मंदिर बंद करना उचित नहीं था। कार्यकारिणी को विश्वास में लिए बगैर मां विंध्यवासिनी के श्रृंगार-पूजन के समय में भी बदलाव किया गया। यह बिल्कुल गलत है।