दस वर्ष में विकसित करें मूलभूत सुविधाएं, बिना सुविधा टैक्स वसूली 79 गांवों के लोगों के साथ होगा धोखा
नगर निगम सदन में नगर विस्तार का प्रस्ताव वर्ष 2015 में पास हुआ था उसमें यह भी सहमति बनी थी कि अधिसूचना जारी होने से 10 वर्ष तक शामिल हुए 79 गांवों के रहनवारों से टैक्स वसूली नहीं हो।
वाराणसी [विनोद पांडेय]। जिस नगर निगम सदन में नगर विस्तार का प्रस्ताव वर्ष 2015 में पास हुआ था उसमें यह भी सहमति बनी थी कि अधिसूचना जारी होने से 10 वर्ष तक शामिल हुए 79 गांवों के रहनवारों से टैक्स वसूली नहीं की जाए। यह बात नगर निगम सदन की प्रोसिडिंग में भी दर्ज है। पूर्व पार्षद शंकर विसनानी का कहना है कि सदन की मंशा थी कि 10 वर्ष के दरम्यान मूलभूत सुविधाओं का विकास कर लिया जाएगा।
नगर निगम ने सीमा विस्तार का फैसला लिया है। कैबिनेट से सहमति भी मिल गई है। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि नगर के सीमावर्ती इलाके करीब -करीब शहरी हो चुके हैं, लेकिन अनियोजित रूप से। ऐसे में उन इलाकों का नियोजन जरूरी भी है लेकिन बिना किसी प्लानिंग के नगर विस्तार उन ग्रामीणों के साथ धोखा है जिन्हें नगर निगम टैक्स के दायरे में लाएगा। इन गांवों के रहनवारों का कहना है कि बिना ब्लू प्रिंट के नगर विस्तार उन हजारों लोगों को आंदोलन की आग में झोंकने की साजिश जैसा है जो भारी-भरकम टैक्स के दायरे में आएंगे।
कई इलाकों में अब भी सुविधाएं नहीं
नगर निगम ने इससे पहले 1967-68 में सीमा विस्तार किया था। तब शहर के दक्षिण-पूर्व में सामनेघाट, बीएचयू, दक्षिण-पश्चिम में चितईपुर, कंदवां, भिखारीपुर, तुलसीपुर, रानीपुर, उत्तर-पश्चिम में सारनाथ, आशापुर जैसे इलाके नगर निगम सीमा में मिलाए गए थे। हकीकत यह है कि 48 वर्ष गुजर गए लेकिन इन गांवों में अभी तक नगर निगम लोगों को आधारभूत सुविधाएं नहीं दे सका है। मसलन, न तो वहां सीवर लाइन पहुंच सकी है न पेयजल की पाइप लाइन। न स्ट्रीट लाइटें हैं। मुख्य मार्ग से इन इलाकों को जोडऩे वाली सड़कों का बुरा हाल है।
चहारदीवारी पर भी टैक्स निर्धारण
नगर निगम अधिनियम कहता है कि हर घर से सारे टैक्स वसूलेगा। इसमें हाउस टैक्स, वाटर टैक्स और सीवर टैक्स सभी शामिल है। जिस भी जमीन की चहारदीवारी खींच दी गई उससे टैक्स के रूप में फिक्स्ड चार्ज लिया जाएगा।
सफाई व्यवस्था बड़ी चुनौती
पूरा शहर गंदगी और कचरे से गंधाता रहता है। सामनेघाट, चितईपुर, कंदवां, भिखारीपुर, आशापुर, बजरडीहा, तुलसीपुर, रानीपुर, दौलतपुर आदि ऐसे इलाके हैं जहां रोजाना झाड़ू नहीं लगता है और न कूड़ा उठता है। ऐसे में विस्तारित इलाके में सफाई व्यवस्था बड़ी चुनौती साबित होगी।
मिनी सदन में कई बार आया प्रस्ताव
नगर विस्तार का पहला प्रस्ताव महापौर सरोज सिंह के कार्यकाल में वर्ष 1998 में पास हुआ। फिर महापौर अमरनाथ यादव के कार्यकाल में एक और प्रस्ताव पारित हुआ। फिर महापौर रामगोपाल मोहले के कार्यकाल में वर्ष 2015 में एक और मसौदा पारित हुआ जिस पर मुहर लगी है।
बड़ा सवाल, कब तक होगा कार्य
नगर विस्तार प्रस्ताव में मूलभूत सुविधाओं को लेकर कोई तैयारी नहीं की गई है। बड़ा सवाल है कि कब तक सीवर लाइन पड़ेगी, पेयजल पाइप लाइन कब तक बिछाई जाएगी, स्ट्रीट लाइटें कब तक लग जाएंगी। सड़कें कब तक बन जाएंगी। पार्क आदि कब तक तैयार होंगे।
इस बारे में महेशपुर के ग्राम प्रधान विजय यादव ने कहा कि विकास कार्य तो होगा लेकिन ग्रामीणों को गृहकर, पेयजल व सीवर टैक्स के तौर पर मोटी रकम अदा करनी होगी जो गांवों में रहने के कारण नहीं अदा करनी होती है। उन्होंने मूलभूत सुविधा विकसित कर टैक्स वसूली की बात कही। इस बारे में मंडुवाडीह के सुशील पटेल ने कहा किशहरी क्षेत्र में शामिल होना अच्छी बात है लेकिन ग्रामीणों को इसका लाभ तक मिलेगा जब नगरीय मूलभूत सुविधाएं भी मिलने लगेंगी। सुविधा दिए बिना ही टैक्स के रूप में मोटी रकम की वसूली होगी तो ग्रामीणों के साथ धोखा माना जाएगा।