Move to Jagran APP

देव उठनी एकादशी 2020 : कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी 25 नवंबर को, शुभ कार्यों का माना जाता है पुण्‍यकाल

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कार्तिक पूर्णिमा तक शुद्ध देसी घी के दीपक जलाने से पापों से मुक्ति मिलती है। देव उठनी एकादशी का व्रत महिलाओं के लिए समान रूप से फलदाई माना गया है। अपने जीवन में मन वचन कर्म से पूर्ण रूप विशेष फलदाई रहता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 02:32 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 02:32 PM (IST)
देव उठनी एकादशी 2020 : कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी 25 नवंबर को, शुभ कार्यों का माना जाता है पुण्‍यकाल
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कार्तिक पूर्णिमा तक देसी घी के दीपक जलाने से पापों से मुक्ति मिलती है।

वाराणसी, जेएनएन। देव प्रबोधिनी एकादशी पर योग निद्रा से भगवान श्री हरि विष्णु जागृत होंगे। सभी तिथियों का किसी न किसी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना से सीधा संबंध मानागया है। भारतीय सनातन परंपरा के हिंदू धर्म ग्रंथों में हर माह के विशिष्ट अतिथि की पहचान मानी गई है। किसी विशेष पर्व पर पूजा अर्चना करके मनोरथ की पूर्ति की जाती है। इसी क्रम में कार्तिक माह की एकादशी तिथि की विशेष महिमा मानी गई है। कार्तिक मास का यह प्रमुख पर्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव प्रबोधिनी हरि प्रबोधिनी, देव उठनी एकादशी के रूप में भी इस दिन की मान्यता है।

loksabha election banner

ज्‍योि‍तिषाचार्य विमल जैन के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कार्तिक पूर्णिमा तक शुद्ध देसी घी के दीपक जलाने से जीवन के सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। देव उठनी एकादशी का व्रत महिलाओं के लिए समान रूप से फलदाई माना गया है। अपने जीवन में मन वचन कर्म से पूर्ण रूप विशेष फलदाई रहता है। भगवान् श्री हरी विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन क्षीर सागर में योग निद्रा हेतु प्रस्थान करते हैं। कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं। भगवान श्री विष्णु के जागृत होते ही समस्त कार्यय शुभ मुहूर्त में प्रारंभ हो जाते हैं। इस बार 25 नवंबर को बुधवार को मनाया जाएगा।

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 24 नवंबर मंगलवार को 2:30 पर लगेगी अगले दिन 5:10 तक रहेगी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन उपवास रखकर भगवान श्री हरि विष्णु की विशेष पूजा करने का विधान है। व्रत करता को प्रातः काल अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के पश्चात एवं भगवान श्री विष्णु की पूजा अर्चना का संकल्प लेना चाहिए। श्री विष्णु सहस्त्रनाम, श्री पुरुषसूक्त, श्री विष्णु श्री विष्णु नमः का जप करना चाहिए। आज ही के दिन का मंडप बनाकर शालिग्राम जी के साथ तुलसी जी का विवाह रचाया जाता है।

मान्यता के अनुसार देव प्रबोधिनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तुलसी जी की रीत रिवाज विधान से पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्री गणपति जी की भी पूजा की जाती है। दिन में फलाहार ग्रहण करना चाहिए। अन्‍न ग्रहण का निषेध माना गया है। एकादशी तिथि भगवान श्री विष्णु की श्रद्धा भक्ति भाव के साथ शुभ फलदाई माना गया है। आज के दिन स्नान ध्‍यान करके उपयोगी वस्तुएं और दान देने की मान्‍यता है। व्रत रखकर भगवान श्री विष्णु की आराधना करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.