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Dev Deepawali 2020 : मत्‍स्‍यावतार की मान्‍यता की वजह से नदी और सरोवर पर जलते हैं आस्‍था के दीप

देव दीपावली पर नदी और घाटों के साथ ही सरोवर पर दीप जलाने की मान्‍यता इसलिए भी है कि इस दिन की मान्‍यता मत्‍‍‍‍‍‍स्‍यावतार से भी मानी गई है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) 30 नवंबर सोमवार को मनाई जाएगी। इस दौरान असंख्य दीपदान से जगमग होंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 01:12 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 01:23 PM (IST)
Dev Deepawali 2020 : मत्‍स्‍यावतार की मान्‍यता की वजह से नदी और सरोवर पर जलते हैं आस्‍था के दीप
इस बार कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) 30 नवंबर सोमवार को मनाई जाएगी।

वाराणसी, जेएनएन। काशी क्षेत्र में मनाई जाने वाली देव दीपावली के बारे में कई मत प्रचलित हैं। ख्‍यात ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार देव दीपावली पर नदी और घाटों के साथ ही सरोवर पर दीप जलाने की मान्‍यता इसलिए भी है कि इस दिन की मान्‍यता मत्‍‍‍‍‍‍स्‍यावतार से भी मानी गई है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) 30 नवंबर सोमवार को मनाई जाएगी। इस दौरान असंख्य दीपदान से जगमग होंगे। गंगा तट और सरोवर पर पूजन के साथ ही व्रत की पूर्णिमा 29 नवंबर रविवार तथा स्नान दान की पूर्णिमा 30 नवंबर सोमवार को होगी।

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इस दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन पूजन से सुख सौभाग्य में अभिवृद्धि भी मानी गई है। भारतीय संस्कृति की सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि अत्यंत पावन मानी गई है। ख्‍यात ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार पौराणिक मान्यता है कि इस दिन देवाधिदेव महादेव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था तथा शिव जी के आशीर्वाद से दुर्गा रुपी पार्वती जी ने महिषासुर का वध करने के लिए शक्ति अर्जित की थी। मान्‍यता है कि इस दिन सायं काल भगवान श्री विष्णु मत्स्य अवतार के रूप में अवतरित हुए थे।

तिथि और पूजन का तरीका

ख्‍यात ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन ने जागरण को बताया कि कार्तिक पूर्णिमा का पुनीत पर्व 30 नवंबर सोमवार को हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। 29 नवंबर रविवार 12:48 तक रहेगी एवं कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु एवं देवाधिदेव महादेव श्री शिवजी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के पश्चात कार्तिक पूर्णिमा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। स्नान करके देव दर्शन करके पुण्‍य अर्जित करना चाहिए। इस दौरान दीप प्रज्वलित करके आकर्षक मनमोहक मालिका सजाने की परंपरा है। नदियों और सरोवरों में इस दिन दीपदान किया जाता है। आज के दिन पीपल और तुलसी के वृक्षों का दीपक जला कर उनका पूजन किया जाता है। इस दिन प्रतीक के रूप में दान का भी विधान है। कार्तिक माह के प्रथम दिन से प्रारंभ हुए धार्मिक नियम आज के दिन 30 नवंबर को हो जाएगा।

ख्‍यात ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन ने जागरण को बताया कि इस दिन श्री सत्यनारायण भगवान की कथा पूजन का आयोजन किया जाता है। फलाहार ग्रहण करके श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए दान  का फल यज्ञ के समान बताया गया है। इस दिन सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव व प्रकाश प्रकाश उत्सव उल्लास के साथ मनाया जाता है।

(इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। )


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