संस्कृत विवि के डिग्रीधारी शिक्षकों का ब्योरा तलब, वाराणसी में 315 अध्यापक परिषदीय विद्यालयों में कर रहे नौकरी
बेसिक शिक्षा विभाग ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी शिक्षकों का ब्योरा तलब किया है। दस जुलाई तक उपलब्ध न कराने की दी गई जिम्मेदारी
वाराणसी, जेएनएनएन। बेसिक शिक्षा विभाग ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी शिक्षकों का ब्योरा तलब किया है। विश्वविद्यालय व इससे संबद्ध कालेजों से पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा, (इंटर), शास्त्री (स्नातक) व बीएड के अंकपत्र व प्रमाणपत्रों के आधार पर वर्ष 2004 से 2014 के बीच चयनित शिक्षकों का विवरण साफ्ट व हार्ड दोनों कापी में मांगी गई है। दस जुलाई तक उपलब्ध न कराने पर इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी संबंधित जनपदों के बीएसए की होगी।
जनपद के परिषदीय विद्यालयों में संस्कृत विश्वविद्यालय के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों पर के आधार पर 315 अध्यापक नौकरी कर रहे हैं। बीएसए राकेश सिंह शिक्षकों की सूची फर्जी अंकपत्रों की जांच कर रही विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) को उपलब्ध भी करा चुके हैं। वहीं अब बेसिक के संयुक्त निदेशक गणेश कुमार ने कानपुर नगर, उन्नाव, बिजनौर को छोड़ कर शेष 73 जनपदों के बीएसए से सूची तलब की है। सूची में शिक्षकों का नाम, विद्यालय का नाम, पद, जन्म तिथि, शैक्षिक योग्यता का पूरा डिटेल भी देना है। दरअसल शासन के निर्देश पर एसआइटी संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पर चयनित शिक्षकों के अभिलेखों की जांच पिछले तीन सालों से कर रही है। इसके तहत एसआइटी विश्वविद्यालय से सभी चयनित शिक्षकों दोबारा सत्यापन करा रही है। विश्वविद्यालय सूबे के 75 जनपदों में से 69 जिलों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर चुका है। शेष छह जनपदों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया जारी है। एसआइटी की जांच अंकपत्रों के सत्यापन पर टिकी हुई है। वह जल्द से जल्द जांच पूरी करने में जुटी हुई है। इस क्रम वह बेसिक शिक्षा विभाग व संस्कृत विश्वविद्यालय दोनों पर यथाशीघ्र अभिलेख सौंपने के लिए दबाव बना रही है।
संदेह के घेरे में 45 और शिक्षक
मानव संपदा पोर्टल से सूबे में एक ही पैन नंबर पर दो-दो जिलों के परिषदीय विद्यालयों से वेतन उठाने वाले 192 शिक्षक चिह्नित किए गए थे। शासन से ऐसे शिक्षकों की दूसरी सूची 3300 लोगों की जारी की है। इसमें वाराणसी के करीब 45 शिक्षकों के होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में जनपद के 45 शिक्षक और संदेह के घेरे में आ गए हैं। वहीं शासन की ओर से जारी पहली सूची में जनपद के 27 शिक्षक शामिल थे। बीएसए की ओर से इन शिक्षकों को नोटिस भी दिया गया था। इसमें छह शिक्षकों को दोबारा नोटिस दिया गया था। दो शिक्षकों ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। दोनों शिक्षकों के फर्जी होने की संभावना है। बीएसए राकेश सिंह ने बताया कि पूरे प्रकरण की जांच के लिए समिति गठित की गई है। वहीं संबंधित दूसरे जनपदों से भी पुष्टि की जा रही है। इसके चलते जांच में समय लग रहा है। इसमें से कुछ शिक्षक ऐसे भी है जिनकी अंतरजनपदीय स्थानांतरण के तहत बनारस के विभिन्न विद्यालयों में तैनाती हुई थी। वह जिस जनपद से स्थानांतरण होकर आए थे, वहां उनका डाटा डिलिट नहीं हुआ। इसके चलते दो-दो जनपदों में उनका नाम अब भी चल रहा है। फिलहाल जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की संभावना है।