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Destination North East-2019 : काशी को बांस के कारोबार से जोड़ेगा पूर्वोंत्तर भारत, रोजगार के लिए मिल सकेगा मौके

केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. जितेंद्र सिंह का कहना है किअब पूर्वोतर भारत काशी को भी बांस के कारोबार से जोड़ेगा ताकि यहां के युवाओं के लिए रो

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 08:25 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 09:10 PM (IST)
Destination North East-2019 : काशी को बांस के कारोबार से जोड़ेगा पूर्वोंत्तर भारत, रोजगार के लिए मिल सकेगा मौके
Destination North East-2019 : काशी को बांस के कारोबार से जोड़ेगा पूर्वोंत्तर भारत, रोजगार के लिए मिल सकेगा मौके

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. जितेंद्र सिंह का कहना है कि पहले बांस के कारोबार को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी। इसके बारे में न तो लोगों को जानकारी दी गई और न ही सरकारों ने इसके लिए आवश्यक कदम उठाए। बांस सिर्फ लकड़ी के ही उपयोग में नहीं बल्कि इसका हर काम में उपयोग है।

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आइआइटी, बीएचयू के टेक्नोलॉजी ग्राउंड में आयोजित 'डेस्टिनेशन नार्थ ईस्ट-2019' के दूसरे दिन रविवार को दैनिक जागरण से बातचीत में डा. सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के लोगों के लिए यह अब प्रमुख व्यवसाय बन गया है। अब पूर्वोतर भारत काशी को भी बांस के कारोबार से जोड़ेगा। ताकि यहां के युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खुल सके। इसी के तहत इंडियन फारेस्ट एक्ट में संशोधन करते हुए 100 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के कानून को खत्म किया गया है।

बांस अनुमति के बंधनों से मुक्त

पहले बांस को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती थी। भले ही आप अपने घर-आंगन में हीं क्यों ने उगाए हो। हालांकि एक्ट में संशोधन के बाद बांस अब अनुमति के बंधनों से मुक्त हो गया है। वह अब खुलकर इस कारोबार को बढ़ा रहे हैं।

इसीलिए काशी में बिजनेस समिट

केंद्रीयमंत्री ने कहा कि काशी में इस बिजनेस समिट को कराने का उद्देश्य गंगा एवं ब्रह्मपुत्र की प्राचीन सभ्यता को प्रगाढ़ करने का है। बांस से गीत, संगीत के लिए वाद्य यंत्र बनाए जा रहे हैं, जिसका यहां पर प्रदर्शन भी किया गया है। काशी में सांस्कृतिक नगरी है। ऐसे में दोनों स्थानों के व्यवसाय को भी नया पंख लगेगा।

काशी में पूर्वोतर की लोककलाएं

पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं का प्रदर्शन हुआ। अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम व त्रिपुरा से आए प्रतिनिधि, कलाकार व खिलाडिय़ों ने देश के संस्कार एवं संस्कृति को बखूबी प्रदर्शित किया।   


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