वाराणसी, जेएनएन। बेसिक शिक्षा विभाग में आवास भत्ता के नाम पर भी वर्षों से खेल जारी है। जनपद के ग्रामीण इलाकों के परिषदीय विद्यालयों में तैनात हजारों शिक्षक नगरीय आवास भत्ता का लाभ उठा रहे हैं। वह भी एक-दो साल नहीं बल्कि दशकों से। आवास भत्ता के मद में हर महीने लाखों रुपये का सरकार को चूना लगाने पर आडिट विभाग की आपत्ति के बाद संबंधित शिक्षकों को चिह्नित करने का निर्णय लिया गया है। इस मामले की जांच होगी।
नियमानुसार नगर निगम सीमा के आठ किमी की परिधि के विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को नगरीय आवास भत्ता देने का नियम है। नगरीय सीमा में काशी विद्यापीठ, हरहुआ, चोलापुर ब्लॉक के कुछ विद्यालय हैं। वहीं, सेवापुरी व पिंडरा ब्लॉक के कई शिक्षकों को भी नगरीय आवासीय भत्ता मिल रहा है। बता दें कि सेवापुरी ब्लॉक के विद्यालय मुख्यालय से औसतन करीब 35 किमी दूर हैं। इसी तरह पिंडरा ब्लॉक भी करीब 25 किमी दूर है। भत्ते की यह राशि शिक्षकों के ग्रेड पे पर निर्भर है। किसी शिक्षक का ग्रेड पे 1800 है तो नगरीय आवासीय भत्ता 2200 रुपये मिलेगा। वहीं, ग्रामीण इलाके के विद्यालयों में तैनात शिक्षक को 730 रुपये भत्ता मिलेगा। इस प्रकार नगरीय व ग्रामीण भत्ते में 1400 से लेकर 5040 रुपये तक का अंतर है। आवास भत्ते का यह खेल वाराणसी समेत सूबे के अन्य जनपदों में भी चल रहा है। इस पर शासन की निगाहें पड़ गईं हैं। ऐसे में इसकी जांच जल्द शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
4,600 शिक्षकों को मिल रहा नगरीय भत्ता
जनपद के 1,368 विद्यालयों में करीब 6,600 शिक्षक तैनात हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों के 6250 शिक्षक शामिल हैैं। वहीं 4600 शिक्षक नगरीय आवासीय भत्ता ले रहे हैैं। बीएसए राकेश सिंह ने बताया कि नगरीय आवासीय भत्ता पाने वाले शिक्षकों की सूची तैयार की जा रही हैं ताकि पड़ताल की जा सके।
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