वाराणसी में आइआइवीआर की ओर से विकसित हरी मिर्च पाउडर की ओमान-कतर से मांग
वाराणसी में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) द्वारा विकसित की गई तकनीक से तैयार हरी मिर्च पाउडर की मांग ओमान व कतर से आ रही है।
वाराणसी, जेएनएन। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आइआइवीआर) द्वारा विकसित की गई तकनीक से तैयार हरी मिर्च पाउडर की मांग ओमान व कतर से आ रही है। इस खास तकनीक का पेटेंट आइआइवीआर के पास हैं, जिसके वाणिज्यिक उपयोग के लिए गाजीपुर के एक किसान एवं निर्यातक रामकुमार राय को लाइसेंस मिला है। रामकुमार के अनुसार सैंपल के रूप में 20 किलोग्राम मिर्च का पाउडर तैयार किया गया है। इस उत्पाद की लांचिंग मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल करेंगे। जल्द ही इसके लिए तिथि मिलने वाली है। बताया कि ओमान, कतर से मांग आई है, जिसके लिए पहले साल 200 क्विंटल पाउडर बनाया जाएगा। इसके लिए 2000 से 2200 क्विंटल हरी मिर्च की जरूरत पड़ेगी। क्षेत्र में 1000 हेक्टेयर मिर्च की खेती गई है। संस्थान के निदेशक डा. जगदीश सिंह ने बताया कि इस तकनीक को विकसित करने में कई साल लगे। इसका पेटेंट मिलना यहां के वैज्ञानिकों की मेहनत को दर्शाता है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुधीर सिंह की टीम ने इस पर 2010 में शुरू किया था शोध
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुधीर सिंह की टीम ने इस पर 2010 में शोध शुरू किया था। प्रारंभिक सफलता मिलने पर 2013 में इस युक्ति को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया गया। 2019 में पेटेंट कार्यालय की मंजूरी मिली। व्यावसायिक उत्पादन से पूर्व स्वीकृति के लिए इसे चेन्नई स्थित राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण को भेजा गया है। इसी माह इसे हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। ऐसे बनता है पाउडर: टीम के सदस्यों ने बताया कि हरी मिर्च के डंठल को निकालने के बाद उसे पानी में अच्छी तरह से घुलते हैं। हरी मिर्च को 2.0-2.5 सेमी के आकार में काटते हैं। हरी मिर्च के टुकड़ों को 0.5 प्रतिशत मैग्नीशियम कार्बोनेट के उबलते घोल में पांच मिनट तक रखते हैं। इसके बाद 0.75 प्रतिशत पोटैशियम मेटाबाइसल्फाइट के घोल में 10 मिनट तक ठंडा करते हैं। हरी मिर्च को ट्रे ड्रायर में 600 सेंटीग्रेट तक के तापक्रम पर 8-10 घंटे तक सुखाते है। सूखे टुकड़ों को मिक्सी में हरी मिर्च का पाउडर प्राप्त करते हैं।