विश्वविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम समय की मांग, ज्ञानवाणी व ज्ञानदर्शन से जोड़कर छात्रों को पहुंचा सकते लाभ
लॉकडाउन के मद्देनजर देश भर में शिक्षा व्यवस्था को लेकर विमर्श जारी है। इसमें ऑनलाइन पठन-पाठन पर खास जोर है।
वाराणसी, जेएनएन। लॉकडाउन के मद्देनजर देश भर में शिक्षा व्यवस्था को लेकर विमर्श जारी है। इसमें ऑनलाइन पठन-पाठन पर खास जोर है। देश के सभी विवि में एक समान पाठ्यक्रम की मांग हो रही है। ऐसे में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि मॉडल है। दुनिया के 20 से अधिक देशों में न सिर्फ इग्नू के केंद्र हैं, वरन ज्ञानवाणी व ज्ञानदर्शन के माध्यम से छात्रों को ऑनलाइन क्लास व पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जाता है।
इग्नू की स्थापना का उद्देश्य था कि नियमित शिक्षा से वंचित लोगों को घर बैठे गुणवत्तापूर्ण व सस्ती शिक्षा दी जा सके। पूर्व क्षेत्रीय निदेशक वाराणसी अवध नारायण त्रिपाठी के मुताबिक शुरूआती दिनों में टेली कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विद्वतजन देश के क्षेत्रीय केंद्र के छात्रों से सीधे पठन-पाठन पर चर्चा करते थे। वर्तमान में तकनीकी सुविधाओं से तालमेल कर इन्हें ज्ञानवाणी व ज्ञानदर्शन के कार्यक्रमों से सीधे जोडऩे की पहल की गई। देश कुल 14 ज्ञानवाणी केंद्र हैं। इनमें वाराणसी, लखनऊ, नागपुर, औरंगाबाद व जयपुर केंद्रों का सजीव प्रसारण ज्ञानवाणी-दिल्ली से होता है। वहीं, कोच्ची, चंडीगढ़, इंदौर, जालंधर, मदुरै, पुणे, रायपुर व तिरुचिरापल्ली केंद्र अपने कार्यक्रम का शेड्यूल बनाकर क्षेत्रीय मांग के मुताबिक प्रसारण करते हैं। प्रतिदिन सुबह 10 से शाम 7 बजे तक सजीव शैक्षणिक कार्यक्रम ज्ञानवाणी रेडियो के एफएम 105.6 मेगाहाट्रर्ज व ज्ञान दर्शन के टीवी चैनल से प्रसारित होता है। छात्र व अभिभावक इसे देखने-सुनने संग टोल-फ्री नंबर 1800112347 पर फोन कर जिज्ञासा शांत कर सकते हैं।
समान पाठ्यक्रम बनाकर उठाया जा सकता है लाभ
एएन त्रिपाठी के अनुसार मौजूदा परिस्थिति में सभी विश्वविद्यालयों में एक पाठ्यक्रम लागूकर इग्नू की तकनीक, ज्ञानवाणी व ज्ञान दर्शन का उपयोग करते देश भर में एक समान व गुणवतापूर्ण शिक्षा का लाभ पहुंचाया जा सकता है।