Deepawali 2020 : दीपावली में उल्लू मारने पर लक्ष्मी नहीं बल्कि मिलेगी जेल, बोले वाराणसी के वन अधिकारी
तमाम रोक-टोक के बावजूद भी हम पटाखों के कर्कश धमाके से वन्य जीवों की जान से खेल रहे हैं।क्या आपको पता है कि पटाखों की तेज आवाज से हिरण की मौत तक हो जाती है। उल्लू को लक्ष्मी का सवारी मान मौत के घाट उतार दिया जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। तमाम रोक-टोक के बावजूद भी हम पटाखों के कर्कश धमाके से वन्य जीवों की जान से खेल रहे हैं। क्या आपको पता है कि पटाखों की तेज आवाज से हिरण की मौत तक हो जाती है। उल्लू को लक्ष्मी का सवारी मान मौत के घाट उतार दिया जाता है। सारनाथ स्थित डियर पार्क के समीप दीपावली से पहले ही तमाम वन्य जीव तितर-बितर हो रहे हैं। यही नहीं दीपावली के दरम्यान ये अपना भोजन व पानी तक ढंग से नहीं ले पाते हैं। मगर अब सावधान रहे क्योंकि वन्यजीव अधिनियम के तहत सारनाथ के डियर पार्क की बाउंड्री से 200 मीटर की परिधि में तेज आवाज वाले पटाखे छोडऩा दंडनीय अपराध है।
प्रभागीय वनाधिकारी व डीएफओ महावीर कोजालवी ने कहा कि उल्लू को मारने पर लक्ष्मी नहीं, जेल मिलेगी। यह बात लोगों को अपने जेहन से खत्म कर लेनी चाहिए कि दीपावली पर उलूक को मारने से धन और वैभव में बढ़ोतरी होगी। यदि कोई ऐसा करता पाया गया, तो तत्काल गिरफ्तार कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि यदि किसी ने डियर पार्क के भीतर या वन्य जीवों के बीच पटाखा छोड़ा, तो उसे वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन के तहत अधिक्तम तीन साल जेल की सजा हो सकती है। बता दें कि धमाकों में ज्यादा परेशानी चीतल के जन्मे नवजात बच्चों और जलचर पक्षियों को होती है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि हिरणों का मस्तिष्क व ह्दय काफी नाजुक होता है। तेज आवाज वाले पटाखे में ये अपना आपा खो बैठते हैं और मृत्यु हो जाती है। मालू हो कि डियर पार्क में चीतल 114, काला हिरण सात, दुर्लभ प्रजाति का एक काला हिरण है। इसके अलावा जलचर पक्षियों में एक सारस, एक लोहा सारस, छह जांघिल, एक हवाशील, चार लगलग, आठ लबबर्ड, 25 काकाटिल, 30 बजरी हैं। मिनी जू प्रभारी अमित दुबे का कहना है कि दीपावली के दिन दोपहर से ही तीन वन कर्मियों की ड्यूटी डियर पार्क में लगाई जाएगी । साथ ही डियर पार्क की बाउंड्री के आस पास वह खुद एक वन कर्मी के साथ दोपहर से रात तक पट्रोलिंग करते हैं।