गंगा में बहकर आये शव को डीजल-टायर से जलाया, बलिया में पांच सिपाहियाें को एसपी ने किया निलंबित
बलिया के फेफना थाना क्षेत्र के माल्देपुर गंगा घाट पर एक लावारिस शव को अमानवीय तरीके से अंतिम संस्कार कराने वाले पांच सिपाहियों को पुलिस अधीक्षक ने मंगलवार को सुबह निलंबित कर दिया। इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में खलबली मच गई। जांच एएसपी संजय कुमार को सौंपी गई है।
बलिया, जेएनएन। फेफना थाना क्षेत्र के माल्देपुर गंगा घाट पर एक लावारिस शव को अमानवीय तरीके से अंतिम संस्कार कराने वाले पांच सिपाहियों को पुलिस अधीक्षक ने मंगलवार को सुबह निलंबित कर दिया। इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में खलबली मच गई। जांच एएसपी संजय कुमार को सौंपी गई है।
रविवार को पुलिस काे घाट पर लावारिस शव मिलने की सूचना मिली। इस पर एसएचओ संजय त्रिपाठी दलबल के साथ वहां पहुंच गए। उन्होंने डोम को बुलाया और दूसरी चिताओं से बची अधजली लकड़ियों को जुटाकर जलाने के लिये कहा। शव जलाया जाने लगा तो लकड़ी कम पड़ गई। शव अधजला रह गया। पुलिस ने जलाने के लिए दो टायर व एक लीटर डीजल की व्यवस्था की। डोम ने टायर व डीजल छिड़क कर शव काे जला दिया। इसका वीडियो वायरल होने पर पुलिस के होश उड़ गए। पुलिस अधीक्षक ने फेफना थाने पर तैनात सिपाही जय सिंह, उमेश प्रसाद, वीरेंद्र यादव, पुनीत पाल और जय सिंह चौहान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही जांच एएसपी को सौंपी है। पुलिस अधीक्षक डा. विपिन ताडा बताया कि इंटरनेट मीडिया पर शव के दाह संस्कार में संवेदनहीनता बरतने का मामला प्रकाश में आया है। इस पर पांच जवानों काे निलंबित किया है।
कोट घाट से विजयीपुर तक मिले शव, डोमराजा ने कराया अंतिम संस्कार
कोरोना संक्रमण के दौर में गंगा में शवों के मिलने की खबरें सामने आ रही हैं। जनपद में भी ऐसे कई मामले सामने हैं। शहर से सटे माल्देपुर घाट पर डीजल व टायर के सहारे लावारिश शव के दाह संस्कार की खबर सामने आने के बाद मौके पर पड़ताल की गई। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। डोमराज दो माह में लगभग 25 लावारिश शवों को दाह संस्कार कर चुके हैं। यह लाशें गंगा में बहकर पीपा पुल पर आकर फंस गई थी।
माल्देपुर में गंगा किनारे अपनी झोपड़ी में बैठे डोमराज ने बताया कि महामारी के कारण शव अधिक आ रहे हैं। वे कोट घाट से विजयीपुर तक लगभग दस किलोमीटर की परिधि में शवों का दाह संस्कार करवाते हैं। गंगा में लावारिश शव मिलने पर वह चौकीदार को सूचना देते हैं। चौकीदार पुलिस व प्रशासन तक जानकारी पहुंचाते हैं। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस शव को बाहर निकलवाकर अंतिम संस्कार कराती है।
सागरपाली या शहर से लानी पड़ती है लकड़ीमाल्देपुर घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए तीन किलोमीटर दूर शहर या सागरपाली से लकड़ी खरीदकर लानी पड़ती है। घाट पर लकड़ी की कोई व्यवस्था नहीं रहती है। ऐसे में लावारिश शवों के दाह संस्कार में अड़चन आती है। इसके लिये प्रशासन को सक्रियता दिखानी चाहिये।
नगर पालिका ने किसी शव का नहीं कराया अंतिम संस्कारशासनादेश जारी हुआ है कि नगरीय निकाय सीमा में अगर किसी कोरोना संक्रमित की मौत होती है तो उसके स्वजनों को अंतिम संस्कार कराने का खर्च नगर पालिका देगा। पांच हजार रुपये का बजट स्वीकृत है। एक पखवारे के भीतर पालिका ने इस मद में कोई बजट नहीं खर्च किया है।