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Dainik Jagran बाल संवाद : शहर को स्वच्छ नहीं बना पा रहा निगम, पालीथिन का प्रयोग क्यों

बचपन कच्ची माटी है समाज व समय के अनुरूप इसी मिट्टी से मनुष्यता आकार लेती है। दैनिक जागरण ने बाल दिवस के उपलक्ष्य में किशोर मन को मंच उपलब्ध करा रहा है ताकि वे व्यवस्था से जुड़े सवाल रखें। इस क्रम में नगर आयुक्त से बच्चों ने संवाद किया।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 07:10 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 10:47 AM (IST)
Dainik Jagran बाल संवाद : शहर को स्वच्छ नहीं बना पा रहा निगम, पालीथिन का प्रयोग क्यों
वाराणसी के नगर आयुक्त गौरांग राठी से बच्चों ने संवाद किया।

वाराणसी, जेएनएन। बचपन कच्ची माटी है, समाज और समय के अनुरूप इसी मिट्टी से मनुष्यता आकार लेती है। हमारे बच्चों में अभी से नागरिक बोध का स्वर उच्चारित हो, इसी उद्देश्य से दैनिक जागरण ने बाल दिवस के उपलक्ष्य में किशोर मन को मंच उपलब्ध करा रहा है ताकि वे व्यवस्था से जुड़े सवाल रखें। इस क्रम में मंगलवार को नगर आयुक्त गौरांग राठी से बच्चों ने संवाद किया।

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सवाल : वाराणसी में स्मार्ट सिटी के तहत तमाम कार्य हो रहे हैं। इसके बावजूद नगर निगम शहर को स्वच्छ क्यों नहीं बना पा रहा है? तमाम आवासीय कालोनियों के बीच जगह पर कूड़ा डंप पड़ा रहता है। यदि इन खाली स्थानों पर यदि पौधे लगवा दिए जाएंगे तो कूड़े के ढेर से मुक्ति भी मिल सकती है।

-अशित श्रीवास्तव, भारतीय शिक्षा मंदिर इंटर कालेज

जवाब : स्मार्ट सिटी के तहत वाराणसी शहर में मूलभूत सुविधाओं को और बेहतर बनाने का कार्य जारी है। साथ-साथ नगर निगम शहर को साफ-सुथरा व स्वच्छ भी कर रही है। सड़कों पर ही नहीं, गलियों में भी अब नियमित झाड़ू लग रहा है। साफ-सफाई के लिए जनचेतना भी जरूरी है। बगैर जन सहयोग के कोई भी कार्य संभव नहीं हैं। कभी-कभी शिकायत आती है कि कुछ लोग झाड़ू लगने के बाद घर का कूड़ा बाहर गलियों में फेंक देते हैं। इतने बड़े शहर से चौबीसों घंटे सफाई संभव नहीं है। सफाईकर्मी भी आठ घंटे की ड्यूटी करने के बाद घर चले जाते हैं। आपका यह सुझाव अच्छा है कि आवासीय कालोनियों व शहर में टुकड़ों-टुकड़ों में भूमि खाली है। इसका कोई उपयोग नहीं होता है। नगर निगम इन खाली स्थानों पर अब पौधे लगवाने की योजना बनाएगा ताकि शहर को और हरा-भरा बनाया जा सके।

सवाल : कोनिया क्षेत्र में गंदगी व प्रदूषण अधिक है। लोग डस्टबिन का उपयोग नहीं करते हैं। इसके चलते गलियों व सड़कों पर कूड़ा बिखरा रहता है। वहीं यदि वरुणा कारिडोर के तहत नदी के किनारे-किनारे पौधे लगवा दिए जाए तो शायद प्रदूषण का स्तर कम होगा। 

-बृज मोहन मौर्या, हर्ष इंटर कालेज

जवाब : सड़क से लगायत गली-मोहल्ले तक नियमित झाड़ू लगवाए जा रहे है। यही नहीं कूड़ा का उठान भी करवाया जा रहा है। बनारस शहर में प्रतिदिन 600 से 700 टन कूड़ा निकलता है। इसको निस्तारित करने के लिए करसड़ा में कूड़ा संयंत्र भी लगवाए गए हैं। फिर भी आप बोल रहे हो तो कोनिया क्षेत्र में मैं स्वयं निरीक्षण करता हूं। वरुणा कारिडोर के तहत नदी किनारे पौधा लगवाने की योजना भी प्रस्तावित है। नदी किनारे ऐसे पौधे लगवाए जाएंगे जो बाढ़ से प्रभावित न हों, साथ ही पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हों। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए ही पेड़-पौधे काटने पर प्रतिबंध लगाया गया है। आवश्यकता पडऩे पर यदि एक पेड़ काटा जाता है तो उसके स्थान पर दो पौधे रोपे जाते हैं।

सवाल : वाहनों की स्पीड को नियंत्रित रखने के लिए शहर में स्पीड ब्रेकर लगाए गए हैं। वहीं कुछ स्पीड ब्रेकर जान-बूझकर तोड़ दिए गए हैं, ताकि ब्रेकर के बीच से वाहनों को निकला जा सके। ऐसे में स्पीड ब्रेकर लगाने के औचित्य पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

-सत्यम पटेल, मुकुलारण्यम इंग्लिश स्कूल

जवाब : स्पीड ब्रेकर नागरिकों की सुरक्षा के लिए ही बनवाए जाते हैं। सुरक्षा के मानकों का पालन करना नागरिकों का नैतिक धर्म है। हमें हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। कभी-कभी सरकार के सिस्टम को कुछ लोग नहीं मानते हैं, इसीलिए चालान का प्रावधान भी किया गया है। चालान का ही असर है कि अब ज्यादातर लोग हेलमेट पहनना शुरू कर दिए हैं। रही बात स्पीड ब्रेकर की तो उसे समय-समय पर दुरुस्त भी कराया जाता है।

सवाल : गांवों में शहरों जैसी सुविधा क्यों नहीं है?

-पृथ्वी रघुवंशी, मुकुलारण्यम इंग्लिश स्कूल

जवाब : नगर निगम की स्थापना नगर क्षेत्र में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हुई है। गांवों के विकास के लिए ग्राम पंचायत सहित अन्य संस्थाएं हैं। अब गांवों को भी सुविधा संपन्न बनाया जा रहा है। गांवों में भी शहरों की भांति सुविधाएं मिल रहीं हैं। सड़क, पेयजल, विद्यालय, अस्पताल सहित अन्य सुविधाएं गांवों में भी हैं।

सवाल : स्मार्ट सिटी के तहत क्या गलियों में भी कैमरे लगाए जाएंगे? गलियों में भी अपराध होते रहते हैं।

-आलोक सिंह, देववाणी इंटर कालेज

जवाब : प्रथम चरण में नगर के प्रमुख चौराहों, तिराहों पर कैमरे लगवाए गए हैं। करीब 3000 कैमरे और लगाने की प्रक्रिया चल रही है। सभी कैमरे पुलिस विभाग की संस्तुतियों या उनके द्वारा चिह्नित स्थानों पर ही लगवाए जा रहे हैं।

सवाल : प्राइवेट स्कूल की भांति सरकारी स्कूलों में पढ़ाई क्यों नहीं होती है?

-अभिषेक पाल, देववाणी इंटर कालेज

जवाब : ऐसा नहीं है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है। सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की योग्यता में कोई कमी नहीं है। उनका चयन प्रतियोगी परीक्षाओं के तहत होता है। जिस विद्यालय का मैनेजमेंट जितना अच्छा है। वहां उतनी ही अच्छी पढ़ाई होती है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकारी विद्यालयों में समय-समय पर परीक्षण भी किया जा रहा है, यही नहीं कार्रवाई भी हो रही है।

सवाल : लहरतारा क्षेत्र के सफाईकर्मी झाड़ू लगाने के लिए पैसा मांगते हैं।

-संजना कुमारी, आदर्श नव ज्योति इंटर कालेज

जवाब : गली-मोहल्ला की सफाई के लिए सफाईकर्मियों को नगर निगम भुगतान करता है। ऐसा नहीं हो सकता है। लहरतारा का कुछ क्षेत्र पहले नगरीय सीमा में नहीं था। नगरीय सीमा के विस्तार के बाद अब नगर निगम में शामिल हुआ है। यदि आप घर का सही लोकेशन बताएं तो इसकी पड़ताल की जाएगी। 

सवाल : कुछ दिनों तक पालीथिन पर प्रतिबंध क्यों हटा लिया गया।

-अंकित कुशवाहा, हर्ष इंटर कालेज

जवाब : कौन कहता था कि पालिथीन पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है। पहले की तरह पालिथीन पर प्रतिबंध जारी है। दुकानदार के पास पालीथिन मिलने पर नगर निगम अर्थदंड भी लगा रहा है। हमें भी जागरूक होने की जरूरत है। थैला लेकर ही हमें बाजार जाना चाहिए।

सवाल : नगर निगम गाय-सांड़, बंदर सहित अन्य पशुओं को पकडऩे के लिए समय-समय पर अभियान चलाता रहता है। क्या नगर निगम कर्मियों को रोड या गलियों में सुअर नहीं दिखाई देते हैं?

-अंकित कुशवाहा, हर्ष इंटर कालेज

जवाब : आपकी बात सही है। सुअर पकडऩे के लिए नगर निगम अभियान नहीं चलाता है। आपका सुझाव अच्छा है। भविष्य में सुअर बाड़ा बनाने पर भी नगर निगम विचार करेगा, ताकि सुअरों के खिलाफ भी अभियान चलाया जा सके। हालांकि जबकि नगर में गंदगी ही नहीं रहेगी तो सुअर अपने आप दिखाई नहीं देंगे।  

सवाल : चंदुआ सट्टी पर अतिक्रमण इस कदर रहता है कि इस रोड से आने-जाने में घंटों समय लग जाता है। ऐसा क्यों?

-राकेश सरोज, भारतीय शिक्षा मंदिर इंटर कालेज

जवाब : आपका कहना सही है, चंदुआ सट्टी पर अतिक्रमण अधिक दिखाई देता है। कभी-कभी पब्लिक हित को देखते हुए अभियान नहीं चलाया जाता है। चंदुआ सट्टी रोड पर आने-जाने वालों में अधिक सब्जी खरीदने वाले लोग होते हैं। यदि सब्जी मंडी हटा दिया जाए तो क्षेत्रीय नागरिक सब्जी कहां से लेंगे। वहीं सब्जी के व्यवसाय में लगे लोगों की रोजी-रोटी भी प्रभावित होगी। फिर भी नागरिकों की सुविधा के लिए सट्टी को व्यवस्थित करने का प्रयास किया गया है। 

सवाल : नगर निगम का क्या कार्य है। 

-नितेश रघुवंशी,  हर्ष इंटर कालेज

जवाब : नगर निगम प्रबंधन से जुड़ी संस्था है जो नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराती है। केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से इलेक्ट्रिसिटी में सिर्फ स्ट्रीट लाइट, पेयजल, रोड, पाथवे, पार्क, कुंड व तालाबों का जीर्णोद्धार भी नगर निगम ही करता है। शहर में करीब 60 पानी टंकियां व पंप हाउस हैं जो घर-घर पेयजल पहुुंचाने के उपयोग में लाई जाती हैं। गंगा आधारित पेयजल योजना, छोटी मांग पूरी करना भी हमारी जिम्मेदारी है। वहीं नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए टैक्स का प्रावधान किया गया है।


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