आयुष्मान इंडिया-2019 ; 'साइकिल सिटी' घोषित हो शहर बनारस, सुधर जाएगी लोगों की सेहत
वाराणसी आयोजन की शुरूआत परिचर्चा में आमंत्रित विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभिवादन संग हुई। आयुष्मान इंडिया-2019 के तहत वाराणसी में स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
वाराणसी, जेएनएन। आयोजन की शुरूआत परिचर्चा में आमंत्रित विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभिवादन संग हुई। संचालन कर रहीं मेघा पाठक ने आयोजन के औचित्य की जानकारी देने के बाद सबसे पहले सीएमओ डा. वीबी सिंह को उद्बोधन के लिए आमंत्रित किया। डा. सिंह ने 'आयुष्मान इंडिया-2019' के तहत वाराणसी में स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। साथ ही उपलब्ध चिकित्सीय सेवाओं की जानकारी दी। वहीं बीएचयू के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. ओम शेकर ने शहर के बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर न सिर्फ जागरुकता कार्यक्रमों की जरूरत पर बल दिया, बल्कि शहर वासियों को बेहतर सेवा देने के लिए सरकारी व निजी चिकित्सकों के परस्पर सहयोग को अहम बताया। डा. एमके गुप्ता ने बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की बात कही। सही समय पर टीकाकरण, बेहतर खान-पान, सही दिनचर्या आदि अपनाने पर युवावस्था में वे कई तरह की बीमारियों से बचे रहेंगे। ऑर्थोपेडिक सर्जन डा. एसके सिंह शहर की सड़कों की हालत को रीढ़ व गर्दन संबंधी रोग का प्रमुख कारण बताया। श्वांस रोग विशेषज्ञ डा. एसके अग्रवाल ने बनारस से दिल्ली तक के वायु प्रदूषण को मानव स्वास्थ्य के लिहाज से बड़ी चुनौती माना। कहा हम प्रदूषक तत्वों में पीएम-10 व पीएम-2.5 पर ही केंद्रित है, जबकि इससे भी छोटा कण पीएम-1 है। यह प्रदूषित हवा के माध्यम से हृदय में पहुंचकर आवशोषित होते हुए रक्त के जरिए शरीर के हर अंग में पहुंच रहा है और उन्हें कमजोर भी कर रहा है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. आरके ओझा ने आंख की चोट में तत्काल इलाज मिलने पर रिकवरी के अधिक संभावना रहती है। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अश्विनी टंडन ने युवाओं में तेजी से बढ़ रही हृदय संबंधी बीमारियों की वजह बिगड़ी हुई लाइफ स्टाइल व जंक फूड को बताया। धन्यवाद ज्ञापन दैनिक जागरण के यूनिट हेड डा. अंकुर चड्ढा ने किया। इस अवसर पर दैनिक जागरण के निदेशक वीरेंद्र कुमार, संपादकीय प्रभारी मुकेश कुमार, विज्ञापन विभाग के प्रबंधक शैलेंद्र सिंह, एरिया मैनेजर संदीप शर्मा आदि रहे।
20 हजार मरीजों का हुआ उपचार
सीएमओ डा.वीबी सिंह ने कहा कि बनारस में उपचार कराने के लिए पूर्वांचल समेत अन्य प्रदेशों से लोग आते है। आयुष्मान कार्ड से अब तक 20 हजार मरीजों का उपचार किया जा चुका है। जिले के 130 अस्पतालों में आयुष्मान योजना से उपचार किया जा रहा है। मनमानी करने वाले अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी करने के साथ ही उन पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है। निजी अस्पताल संचालकों को जो भी समस्याएं आ रही हैं, उन्हें शासन तक पहुंचाया जाएगा।
सामाजिक सरोकार की जरूरत : दैनिक जागरण के निदेशक वीरेंद्र कुमार ने कहा करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। मरीज उपचार और दवा के लिए भटक रहे हैं। कहां जाए और क्या करें आदि उनके सामने समस्याएं हैं। स्वास्थ्य के प्रति लोग लापरवाह क्यों है, हमें इसके लिए जागरूक होना होगा। आज सामाजिक सरोकार की जरूरत है।
साइकिल सुधारेगी शहर की आबोहवा : बीएचयू, हृदय रोग विशेषज्ञ डा. ओम शंकर ने कहा बनारस दुनिया के सबसे प्राचीन जीवंत शहरों में से है। 'साइकिल सिटी' घोषित कर शहर के प्रदूषण स्तर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। साइकिल को बढ़ावा देने से लोगों का ही नहीं, बल्कि शहर का भी स्वास्थ्य सुधरेगा। पुरानी और घनी आबादी होने के कारण यहां बहुत कुछ नहीं किया जा सकता। मगर शहर के बाहर एक ऐसी जगह तलाशी जा सकती है, जहां बेहतर चिकित्सीय सुविधा के लिए एम्स की स्थापना के साथ ही आधुनिक नगरीय सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इससे घनी आबादी से निकलकर लोग स्वयं वहां बसने के लिए प्रेरित होंगे। साथ ही आबादी का बोझ कम होने पर शहर में सभी तरह की सुविधओं-सेवाओं की सर्वसुलभ उपलब्धता रहेगी।
शहर को नए अस्पतालों की जरूरत : आइएमए स्टेट प्रेसीडेंट डा. अशोक राय ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक भारत हृदय रोग का हब बन जाएगा। ऐसे में केवल बीएचयू अस्पताल से ही काम नहीं चलेगा। हमें शहर में नए अस्पताल भी बनाने होंगे। वहीं बनारस सहित आस-पास के जनपद के बीच सिर्फ एक ही ट्रामा सेंटर है, जो स्वास्थ्य सेवाओं को देखते हुए नाकाफी है। पूर्वाचल में कम से कम 3-4 ट्रामा सेंटर की आवश्यकता है। आयुष्मान योजना के तहत जो भी इलाज हुए हैं, उनमें से अधिकांश सरकारी हास्पिटल व मेडिकल कालेज में ही हुए हैं। इसमें निजी अस्पतालों का योगदान आशानुरूप कम है। सरकार कार्पोरेट हास्पिटल को बढ़ावा दे रही है, लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र में 50 फीसद से अधिक योगदान देने वाले निजी क्षेत्र के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए।
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अनुराग टंडन ने कहा कि दुनिया की सबसे आम समस्या आंखों की है। मोबाइल, लैपटाप, टीवी के कारण ड्राई आई सिंड्रोम नाम बीमारी तेजी से पनप रही है। इसकी वजह से आंख जल्दी थक जाती है और काम करने का मन नहीं करता।डा. एसके सिंह ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी लाइफ स्टाइल बदलनी होगी। समय से काम खत्म करके आराम करें और सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें। आष्युमान योजना में बहुत चुनौतियां है। सुधार की जरूरत है। डा. एमके गुप्ता ने कहा कि बच्चों में टीकाकरण की प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। समय से टीकाकरण नहीं होने से बच्चे कई तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। डा. अश्वनी टंडन ने कहा कि पहले मरीज आते थे, दवा से ठीक नहीं होने पर जांच कराई जाती थी लेकिन अब मरीज जांच रिपोर्ट लेकर आते हैं। डेंगू में 20 हजार से कम प्लेटलेट्स होने पर खतरा है, लेकिन लोग 60 तक पहुंचते ही घबराने लगते हैं। डा. आरके ओझा ने कहा कि ग्लूकोमा को लेकर जागरूकता की घोर कमी है। लोगों में भ्रांति है कि ग्लूकोमा में ऑपरेशन के बाद आंख की रोशनी चली जाती है। यह सरासर गलत है। इतना जरूर है कि दवा जीवन भर चलानी पड़ सकती है। डा. पीके तिवारी ने कहा कि सड़कों का हाल बहुत ही बुरा है। इससे रीढ़ व गर्दन संबधी बीमारियों में इजाफा हुआ है। दिनचर्या में बदलाव करने से ही शूगर, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं नियंत्रित की जा सकती हैं। डा. एसके अग्रवाल ने कहा कि वायु प्रदूषण को लेकर हम पीएम-10 व 2.5 को लेकर ही केंद्रित रह जाते हैं, जबकि इससे भी छोटे कण पीएम-1 भी हैं। ये फेफड़े में पहुंचने पर अवशोषित होकर रक्त के माध्यम से पूरे शरीर को प्रभावित करता है। डा. सपना दत्त गुप्ता ने कहा कि तंबाकू, पान-मसाला के अधिक सेवन के कारण पूर्वाचल मुंह के कैंसर का गढ़ बन गया है। जागरूकता अभियान के साथ ही सरकार को कैंसर के कारक बनने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। डा. आलोक ओझा ने कहा कि खराब सड़कों के कारण बैक पेन, स्पाइन की समस्या आम हो गई है। साइकिल को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए। इससे पर्यावरण का बचाव तो होगा ही, हमारा स्वास्थ्य भी सुधर जाएगा। डा. एसके पाठक ने कहा कि मैंने अपने हास्पिटल में एयर प्यूरीफायर, ऑक्सीजन चैंबर लगा रखा है, ताकि यहां 4-5 घंटे तक रहने के दौरान मरीज को शुद्ध हवा मिल सके। ऐसा प्रबंधन शहर के मॉल्स, हास्पिटल व मल्टी कंप्लेक्स में जरूर लगाए जाएं। डा. अमित जैन ने कहा कि बच्चों के टीकाकरण को लेकर समाज में जागरूकता की कमी है। वृहद स्तर पर अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इससे बच्चे निमोनिया, दिमागी बुखार, डायरिया जैसी बीमारी से महफूज रहते हैं। डा. मधुलिका श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाओं में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के साथ ही बर्थ डिफेक्ट के केस बढ़े हैं। हेल्थ केयर में निजी चिकित्सक महती भूमिका निभाते हैं। ऐसे में सरकार से अपील है कि उन पर आर्थिक बोझ न डाला जाए। डा. मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि युवा पीढ़ी तेजी से कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। गुटखा, पान-मसाले पर पूरी तरह प्रतिबंध लगना चाहिए। वहीं शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों को भी जागरूकता कार्यक्रम से जोड़ा जाए। डा. संजय गर्ग ने कहा कि सरकारी व निजी अस्पताल आपसी सहयोग से शहर में किडनी ट्रांसप्लांट प्रोग्राम तैयार करें। ताकि शहर वासियों को इसके लिए दिल्ली-मुंबई का चक्कर न लगाना पड़े। डा. अखिलेश पांडेय ने कहा कि बच्चों किसी भी चीज की लत बढ़ती जा रही है, चाहे वह मोबाइल का हो, नशे का हो या अन्य चीजों का। बचपन से ही बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण पर ध्यान दिया जाए। डा. रितु गर्ग ने कहा कि इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, टायफायड व पीलिया की बीमारी आम है। छुट्टी के समय मरीज को सलाह देने के क्रम में उसे पर्यावरण संरक्षण व साफ-सफाई के लिए भी प्रेरित किया जाए।