गंगा व घाघरा नदी के बाढ़ में बह गई करोड़ों की फसल, किसानों ने की सरकारी सहायता की मांग
गंगा व घाघरा नदी के बाढ़ से सैकड़ों एकड़ क्षेत्रफल में बोई गई परवल की फसल के अलावा मक्का व अन्य खरीफ की फसल लगभग नष्ट हो चुकी है।
बलिया, जेएनएन। गंगा व घाघरा नदी के बाढ़ से सैकड़ों एकड़ क्षेत्रफल में बोई गई परवल की फसल के अलावा मक्का व अन्य खरीफ की फसल लगभग नष्ट हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर सहायता की तो बात दूर शासन-प्रशासन द्वारा नुकसान का जायजा भी नहीं लिया जा रहा है इससे किसानों में रोष है।
बलिया जिले में गंगा और घाघरा नदी का जलस्तर घटाव पर है। बावजूद इसके दोनों का जलस्तर जिले में अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। तटवर्ती इलाकों के साथ-साथ निचले इलाकों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। केहरपुर, सुघर छपरा, प्रसाद छपरा, टेंगरही, बहुआरा, पांडेयपुर, मिश्र गिरि के मठिया, मिश्र के हाता, बलवंत छपरा, जगदीशपुर, गड़ेरिया, सेमरिया, शिवपुर कपूर दियर, मुरली छपरा, लच्छू टोला, दोकटी, वाजिदपुर, रामपुर कोड़रहा, धतुरी टोला, लक्ष्मण छपरा, भवन टोला, भगवान टोला, टिपूरी, इब्राहिमाबाद नौबरार, बकुल्हा, चांद दियर, गुमानी के डेरा, चाईछपरा, शिवाल मठिया, गोपाल नगर, मानगढ़, देवपुर मठिया सहित दो दर्जनों से अधिक गांवों के किसानों की सैकड़ों एकड़ फलस जलमग्न है।
खरीफ की फसल जो निचले इलाके में थी, पूरी तरह से नष्ट हो गई है। वहीं गायघाट से लेकर जयप्रकशनगर तक तटवर्ती इलाकों में बोई गई परवल की फसल पूरी तरह बाढ़ में डूबकर नष्ट हो चुकी है। इस बाबत किसानों ने बताया कि सरकारी सहायता की बात तो बिल्कुल हवा-हवाई है। अभी तक किसी कर्मचारी व अधिकारी ने बाढ़ क्षेत्र का भ्रमण कर नुकसान का जायजा लेने की तोहमत नहीं उठाई तो सहायता कहां से मिल पाएगी। किसानों ने आरोप लगाया है कि अन्य सरकारों की तरह इस सरकार में भी सरकारी कर्मचारी व अधिकारी मनमानी पर उतरे हुए हैं, जिससे किसान परेशान हैं।