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'गाय गांव' में पुरातन कला की छांव को महसूस रही है काशी, विलेज टूरिज्‍म को बढ़ावा

विलेज टूरिज्‍म को बढ़ावा देने के लिए बीएचयू कला संकाय छात्रों द्वारा रामेश्वर गांव में वॉल पेंटिंग कर गांव की अनोखी छवि को निखारने का प्रयास किया जा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 04:54 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 05:37 PM (IST)
'गाय गांव' में पुरातन कला की छांव को महसूस रही है काशी, विलेज टूरिज्‍म को बढ़ावा
'गाय गांव' में पुरातन कला की छांव को महसूस रही है काशी, विलेज टूरिज्‍म को बढ़ावा

वाराणसी (जेएनएन) । विलेज टूरिज्‍म को बढ़ावा देने के लिए अब युवाआें की टोली पहल कर रही है। इसी क्रम में बीएचयू दृश्‍य कला संकाय छात्रों द्वारा रामेश्वर गांव में वॉल पेंटिंग कर गांव की अनोखी छवि को निखारने का प्रयास किया। मुख्य विकास अधिकारी गौरांग राठी के सहयोग से छात्र-छात्राओं द्वारा स्थापित होप संस्था द्वारा काऊ विलेज प्रोजेक्ट के तहत रामेश्वर गांव में विलेज टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जा रहा है इसी के अंतर्गत बीएचयू दृश्‍य कला संकाय के बच्चों ने दीवारों पर गाय के अलग अलग प्रकार चित्र बनाया गया है।

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गांव की पहचान हैं गाय

प्रोफेसर सुरेश के नायर के निर्देशन में बच्चों ने दो दिन लगातार प्रयास कर लगभग पचासी फीट वॉल पेंटिंग का कार्य किया है बहुत जल्द गांव के अन्य दीवारों पर भी नजर आएगा। माना जाता है कि रामेश्वर गांव में चार गौशाला है जिसमेें एक हजार से अधिक गायें हैं। इसमें से भी एक गौशाला ऐसी है जो लगभग 70 वर्ष पुरानी है जिसकी स्थापना महामना मदन मोहन मालवीय जी द्वारा की गई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए रामेश्वर गांव में वॉल पेंटिंग किया जा रहा है। इसके अलावा इस गांव विशेषता यह है कि अतिथियों का स्वागत गाय के बने दूध के उत्‍पादों के साथ किया जाता है। इसमें लस्सी, रबड़ी, दूध इत्यादि लोगों को काफी आकर्षित कर रहे हैं।

प्रयास को मिल रही सराहना

विवि के विद्यार्थियों के इस प्रयास से गांव के लोग बहुत खुश हैं और सराहना भी कर रहे हैं। वाल पेंटिंग के दौरान बीएचयू दृश्‍य कला संकाय के गरिमा, निखिल, प्रीति, सोनल, आकाश, विष्णु, प्रणव, राहुल तो हैं ही साथ ही इनके अलावा ग्राम प्रधान राम प्रसाद और होप टीम से दिव्यांशु उपाध्याय, संदीप गुप्ता, श्यामकांत और सुमन आदि भी मौजूद रहे।


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