विश्व दुग्ध दिवस : मानव स्वास्थ्य के लिए गाय का दूध है सर्वोत्तम और बकरी का दूध अति गुणकारी
जब कभी भी संपूर्ण आहार की बात होती है सबसे पहले दूध का नाम सामने आता है। इसमें प्रोटीन विटामिन-ए बी-1 बी-12 विटामिन-डी पोटैशियम मैग्नीशियम आदि बहुत से जरूरी तत्व होने की वजह से इसे सबसे ज्यादा पोषक माना जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। जब कभी भी संपूर्ण आहार की बात होती है, सबसे पहले दूध का नाम सामने आता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन-ए, बी-1, बी-12, विटामिन-डी, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि बहुत से जरूरी तत्व होने की वजह से इसे सबसे ज्यादा पोषक माना जाता है। शाकाहारी के लिये दूध को पूर्ण भोजन माना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट और वे सारे विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जो एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं।
दूध में मौजूद इतने सारे पोषक और पाचक गुण होने की वजह से इसे आयुर्वेद में एक अलग ही स्थान दिया गया है। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के काय चिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डा. अजय कुमार बताते हैं कि सामान्य तौर पर दूध मधुर, चिकना, ओज एवं रस आदि धातुओं को बढ़ाने वाला, वात-पित्त कम करने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, कफकारक, भारी और शीतल होता है। आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि दूध किस जानवर का है और इसे कैसे व कब पीना चाहिए।
आयुर्वेद में आठ प्रकार के दूध का है उल्लेख
- आयुर्वेद के आचार्यो ने मुख्य रूप से आठ प्रकार के दूध का उल्लेख किया है। इनमें गाय, भैंस, बकरी, ऊंटनी, घोड़ी, हथिनी, गधी और स्त्री के दुग्ध पर विशेष वर्णन मिलता है। इन आठों में से स्त्री यानी मां का दूध सर्वोत्तम बताया गया है। इसके बाद गाय और बकरी के दूध को अधिक गुणकारी बताया गया है।
गाय का दूध : देशी गाय का दूध सभी जानवरों के दूध में सर्वश्रेष्ठ होता है। इसमें जीवनीय शक्ति और ओज को बढ़ाने वाले सभी गुण होते हैं।
भैंस का दूध : इसमे गाय के दूध से अधिक वसा होती है तथा पचाने में भारी और अधिक शीतप्रकृति का होता है। इसे पीने से अधिक नींद आती है। अधिक भूख लगने की बीमारी में इससे लाभ होता है। अधिक वजन वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
बकरी का दूध : इसका दूध थोड़ा मीठा और कसैला होता है। शीघ्र पच जाता है तथा डायरिया और राजयक्ष्मा में बहुत ही फायदेमंद होता है। छोटे बच्चों जिनके मां का दूध नहीं मिल पाता, उन्हें गाय के दूध के बदले बकरी के दूध से लाभ पहुंचता है।
अन्य दूध : ऊंटनी, घोड़ी और गधी का दुग्ध भी अलग-अलग रोगों में फायदेमंद होता है, लेकिन यह आसानी से उपलब्ध नहीं होता है।
अलग-अलग समय निकाले गए दूध की तासीर भी होती है जुदा
- आयुर्वेद के अनुसार एक ही देशी गाय का दूध भी अलग-अलग कारणों से अलग-अलग गुण वाला हो जाता है। सुबह-सवेरे निकाला गया दूध भारी व अधिक शीतल होता है। इसका पाचन बहुत देर से होता है और कब्ज बनाता है। इसलिए डायरिया रोगी को सुबह गाय का दूध देना फायदेमंद होता है। शाम को निकाला गया दूध सारक होता है। यह कब्ज के रोगियाें के लिए फायदेमंद होता है और इसका पाचन आसानी से हो जाता है। सुबह का कच्चा दूध जिसे उबला नहीं गया है, तो भिष्यंदी और भारी होता है जिससे पेट में भारीपन और अपच की शिकायत हो सकती है। मगर इसी दूध को उबाल देने से इसका भारीपन कम हो जाता है, जिसे पीने पर नुकसान नहीं करता। वहीं दूध को बहुत अधिक देर तक उबाल दिया जाए तो भी यह भारी हो जाता है। इसलिए इसे बहुत अधिक देर तक उबाल कर नहीं पीना चाहिए। वजन बढ़ाना हो तो यह दूध लाभदायक होता है।
इनके साथ न करें दूध का सेवन
- केले को दूध के साथ नहीं इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि दूध के साथ केला मिलकर अत्यधिक शीत और भारी हो जाता है। इसकी वजह से सर्दी, खांसी, जुकाम, एलर्जी और स्किन पर चकत्ते पड़ने लगते हैं।
- दुग्ध को मछली के साथ नहीं लेना चाहिए।
- दुग्ध को अम्ल द्रव्यों यानी खट्टी चीजों के साथ नहीं लेना चाहिए।