कोरोना काल में हो जाएं सावधान, अधिक एंटीबाडी बनने से बच्चों के विभिन्न अंग हो रहे प्रभावित
बीमारी के बाद उनके शरीर में एंटीबाडी बहुत ज्यादा बन जाते हैं। इसकी वजह से उनके शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होने लगते हैं। इसी कारण बच्चों को दौरे पड़ने हार्ट व किडनी से संबंधित समस्याएं आने लगती हैं।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना होने पर ज्यादातर बच्चों में लक्षण नहीं आते हैं। बीमारी के बाद उनके शरीर में एंटीबाडी बहुत ज्यादा बन जाते हैं। इसकी वजह से उनके शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होने लगते हैं। इसी कारण बच्चों को दौरे पड़ने, हार्ट व किडनी से संबंधित समस्याएं आने लगती हैं। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों का सही समय पर इलाज न होने पर उनके दिल की नाड़ियां ढीली हो जाती हैं और रक्त संचार प्रभावित होने से मौत तक हो सकती है। यह बातें बाल रोग विशेषज्ञ डा. रोशनी चक्रवर्ती ने शनिवार को ककरमत्ता क्षेत्र स्थित निजी हास्पिटल में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम (एमआइएस-सी) को लेकर आयोजित प्रेसवार्ता में कही।
इस दौरान जनपद के निजी पीडियाट्रिशियनों ने कोविड संक्रमण झेल चुके बच्चों में तेजी से पनप रही बीमारी मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआइएस-सी) को लेकर आगाह किया है। बताया कि जनपद के अलग-अलग हास्पिटल में अब तक 50 से अधिक मामले आ चुके हैं। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अलोक सी. भारद्वाज ने बताया कि अभी तक पॉपुलर हॉस्पिटल में करीब 15 बच्चो में एमआइएस-सी की पुष्टि की जा चुकी है। वहीं पिछले सप्ताह पांच बच्चों में इसके लक्षण मिले थे। समय रहते इलाज शुरू कर सभी को बचा लिया गया। यह बीमारी कोरोना वायरस से ठीक हो चुके बच्चो में अधिक होती है। इसके लक्षण भी बहुत कुछ कोविड-19 जैसे ही हैं। नसों और मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। गंभीर स्थिति में अंग काम करना बंद कर देते हैं। पापुलर हास्पिटल ग्रुप के चेयरमैन डा. एके कौशिक के मुताबिक यह बीमारी पांच से 15 वर्ष तक के बच्चों में देखी जा रही है। वहीं सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा. निमिषा सिंह बताती हैं कि यह कोरोना संक्रमण होने के चार से छह सप्ताह के भीतर बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
बच्चों में दिखे ये लक्षण तो डाक्टर से करें संपर्क
- एमआइएस-सी का शुरुआती लक्षण पेट में दर्द, डायरिया, उलटी, रक्तचाप में कमी है। इसके अलावा इसमें आंखें लाल हो जाती हैं। गले और जबड़े के आसपास सूजन, दिल की मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करतीं, फटे होंठ, त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते या सूखे के निशान, जोड़ों में दर्द, हाथ-पैर की उंगलियों में सूजन भी दिख सकती है। अब तक कई बच्चों में एमआइएस-सी का इलाज कर चुके बाल रोग विशेषज्ञ डा. प्रभात कुमार ने कहा कि यदि किसी बच्चे को तेज बुखार हो और आरटीपीसीआर नेगेटिव आए तो कोविड एंटीबाडी एवं सीआरपी टेस्ट जरूर कराएं।
लेवल-थ्री पीकू की होती है जरूरत
- इस बीमारी का सही इलाज करने के लिए लेवल-थ्री पीकू की जरूरत होती है, जहां बेडसाइड एक्स रे, बेडसाइड इको, आधुनिक लैब सपोर्ट हो ताकि सभी टेस्ट समय रहते हो जाएं और तुरंत रिपोर्ट उपलब्ध हो। क्योंकि इस बीमारी में सीरियस मरीजों में दिक्कत बढ़ने पर तुरंत ही इंटरवेंशन करने पर जान बचेगी। देर करने पर खतरा बहुत ज्यादा होता है। उन्होंने कोरोना होने पर बच्चों को दूर रखने की सलाह दी है। अगर बच्चे को कोरोना हुआ है तो उसके ठीक होने के बाद भी निगरानी रखें। उसकी तबियत खराब होने पर तुरंत इलाज करवाएं।