कोर्ट का फैसला : वाराणसी में पांच हेरोइन तस्करों को 30 वर्ष बाद तीन-तीन साल सश्रम कारावास
अपर जिला जज (तेरहवां) मनोज कुमार सिंसह की अदालत ने पांचों अभियुक्तों को तीन-तीन साल के सश्रम कारावास व 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी। जुर्माना न देने पर अभियुक्तों को 30-30 दिन अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। हेरोइन की खरीद-बिक्री करने के 30 साल पुराने मामले में सोमवार को अदालत ने चौबेपुर थाना क्षेत्र के कमौली गांव निवासी चार अभियुक्तों शेर बहादुर सिंह, अमर बहादुर सिंह, फतेह बहादुर सिंह, अवध नारायण सिंसह व जमनियां (गाजीपुर) निवासी देवनाथ कुशवाहा को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। अपर जिला जज (तेरहवां) मनोज कुमार सिंसह की अदालत ने इन पांचों अभियुक्तों को तीन-तीन साल के सश्रम कारावास व 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी। जुर्माना न देने पर अभियुक्तों को 30-30 दिन अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
अभियोजन के अनुसार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को सूचना मिली थी कि कमौली (चौबेपुर) गांव निवासी कुलदीप सिंह और फतेह बहादुर सिंह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर अपने निवास स्थान पर हेरोइन की खरीद-बिक्री का धंधा कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर 12 सितंबर 1991 को तत्कालीन आसूचना अधिकारी लल्लन तिवारी ने सहयोगी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ कुलदीप सिंह व फतेह बहादुर सिंह के घर पर छापामारी की। तलाशी लेने पर इन अधिकारियों को स्कूटर की डिग्गी और बक्से में रखी हेरोइन की पुडिय़ा बरामद हुई। पूछताछ में कुलदीप सिंह ने गाजीपुर जिले के जमनियां थाना क्षेत्र के बसुआरी गांव निवासी देवनाथ कुशवाहा को भी इस धंधे में लिप्त होना बताया। अगले दिन नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने देवनाथ कुशवाहा के घर पर दबिश दी और उसके यहां से जमीन में छिपाकर रखी हेरोइन बरामद की। मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपित कुलदीप सिंह की मौत हो गई। गवाहों के बयान और पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने इन अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए कहा कि इनके द्वारा किया गया अपराध विधिक और सामाजिक दृष्टि से दोनों ही रूप में हानिकारक व पूर्णतया अवैध है।