Corona Warrior लॉकडाउन में बंद है कैंप आधारित रक्तदान लेकिन blood bank में इसका भी समाधान
लॉकडाउन में रक्तदान कैंप तो अब बंद है लेकिन पूर्वांचल के इस सबसे बड़े ब्लड बैंक में रक्त की कमी न आए इसका भी समाधान है।
वाराणसी, जेएनएन। इमरजेंसी वार्ड चालू है, कैंसर का भी इलाज और प्रसव कार्य चल रहे हैं, जहां पर ब्लड की जरूरत चौबीस घंटे लगी रहती है। थैलीसिमिया से पीडि़त 130 बच्चों को हर माह एक-दो यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ती है। हीमोफिलिया के भी दो सौ पंजीकृत मरीज, साथ ही एचआइवी मरीज, लावारिश और कैदी को मुफ्त में बगैर डोनर के खून देना होता है। लॉकडाउन में रक्तदान कैंप तो अब बंद है, लेकिन पूर्वांचल के इस सबसे बड़े ब्लड बैंक में रक्त की कमी न आए इसका भी समाधान है बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डा. एस के सिंह के पास।
डा. सिंह ने बताया कि इस लॉकडाउन में अब रक्तदान कैंप तो लगाना असंभव है। इसलिए वह अस्पताल आए मरीजों के परिजनों सहित सोशल मीडिया पर लोगों को रक्तदान के लाभ से प्रेरित करते रहते हैं। डा. सिंह खुद अब तक 69 बार खून दे चुके हैं। उन्होंने बताया इस दौरान लगभग पचास ऐसे रक्तदाता हैं जो अपने जन्मदिन, सालगिरह और अन्य मौकों पर आते हैं और रक्तदान करते हैं।
चौबीस घंटे तत्पर
सुबह 10 बजे वह अपने लैब में पहुंच जाते हैं और वहां पर इमरजेंसी में भर्ती होने वाले मरीजों को रक्त उपलब्ध कराते हैं। आफिस टाइमिंग खत्म होने के बाद वह चार बजे अपने घर पर आते हैं और इसके बाद भी किसी मरीज को खून की जरूरत होती है तो वह चौबीस घंटे फोन व सोशल मीडिया पर मौजूद रहते हैं। डा. सिंह के मुताबिक अमूमन देखा जा रहा है कि कोरोना से ज्यादा मौतें वृद्धों की हो रही हैं, जिन्हें कोई न कोई बीमारी पहले से है। ऐसे में उन्हें खून की जरूरत हमेशा लगी रहती है। बीएचयू अस्पताल में कोरोना को लेकर बने वेंटिलेटर वार्ड को भी यदि ब्लड की जरूरत पड़ी तो प्लाज्मा, रक्त इत्यादि सब कुछ मरीजों को उपलब्ध कराने में बीएचयू समर्थ हैं।