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कोरोना वायरस ने तोड़ा विदेश में पढ़ाई का सपना, अब देश में ही अच्छे संस्थान की तलाश

Varanasi से करीब 200 छात्र प्रतिवर्ष एमबीए एमबीबीएएस बीटेक होटल मैनेजमेंट सहित अन्य व्यावसायिक कोर्स करने विदेश जाते हैं लेकिन कोरोना वायरस ने सपना चूर-चूर कर दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 09:55 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 05:14 PM (IST)
कोरोना वायरस ने तोड़ा विदेश में पढ़ाई का सपना, अब देश में ही अच्छे संस्थान की तलाश
कोरोना वायरस ने तोड़ा विदेश में पढ़ाई का सपना, अब देश में ही अच्छे संस्थान की तलाश

वाराणसी, जेएनएन। वाराणसी से करीब 200 छात्र प्रतिवर्ष, एमबीए, एमबीबीएएस, बीटेक, एमटेक, होटल मैनेजमेंट सहित अन्य व्यावसायिक कोर्स करने विदेश जाते हैं। तमाम छात्रों ने इस वर्ष भी विदेश रहकर पढ़ाई करने का ताना-बाना बुन था। इन छात्रों की निगाहें यूके, अमेरिका, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया, बैंकाक के शैक्षिक संस्थानों पर टिकी हुई थी। बस उन्हें इंतजार था इंटर व स्नातक के रिजल्ट का। वहीं इस बीच कोरोना महामारी ने उनके विदेश पढऩे के सपने को चूर -चूर कर दिया। अब ऐसे विद्यार्थियों की निगाहें इन देशों में कोरोना महामारी पर टिकी हुई है। हालांकि उनके अभिभावक संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब पढऩे के लिए बच्चों को विदेश भेजने को तैयार नहीं हैं। 

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महामारी को देखते हुए ज्यादातर अभिभावक अब अपने बच्चों को इंडिया में ही रहकर पढऩे के इच्छुक हैं। वहीं उनके बच्चे भी मौजूदा हालात को देखते हुए मौन साध लिए हैं। इस प्रकार तमाम बच्चों ने विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जो संजोया उन सपनों को फिलहाल दफन करना ही बेहतर मान रहे हैं। अब उन्हें देश में ही अच्छे संस्थान की तलाश है। इसके लिए वह साथियों से सलाह ले रहे हैं। इसके अलावा वेबसाइट पर भी सर्च कर रहे हैं। सिगरा स्थित अन्नपूर्णानगर के निवासी राजेश दीक्षित ने बताया कि मेरी भतीजी दीक्षा कनाडा से एमटेक कर रही है। उसका अभी पहला साल है। वहीं कोरोना महामारी को देखते हुए उसे आगे कनाडा पढ़ाने का मन नहीं हैं। हालांकि लोगों के समझाने के बाद फिलहाल उसे अब तक वापस नहीं बुलाया है लेकिन स्थिति यही रही तो एक से कम एक साल पढ़ाई ब्रेक कर देंगे।     

इसी प्रकार साकेत नगर कालोनी के निवासी मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि इस वर्ष पुत्री अर्निका पांडेय का एमबीबीएस में दाखिला करना है। इसके लिए वह नीट की तैयारी भी कर रही है लेकिन उसका मन अमेरिका में पढऩे के था। इसके लिए वह लगातार जिद भी कर रही थी। पुत्री की इच्छा को देखते हुए परिवार में उसे विदेश भेजने की सहमति भी बन गई थी। इस क्रम में पासपोर्ट भी बनवा लिया था लेकिन अब कोरोना महामारी को देखते हुए देश के ही किसी अच्छे संस्थान में मेडिकल में दाखिला कराने का निर्णय लिया गया है।


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