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गंगाजल की Covid-19 जांच रिपोर्ट निगेटिव, बीएचयू के डाक्टरों और विज्ञानियों की टीम ने की जांच

बनारस में गंगाजल की सैंपलिंग मई में की गई थी जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी। उस समय भी जल लिया गया था जब गंगा में लाशें प्रवाहित हो रही थीं। बीएचयू के विज्ञानियों ने सैंपल लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान में जांच के लिए भेजा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 08:50 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 02:02 PM (IST)
गंगाजल की Covid-19 जांच रिपोर्ट निगेटिव, बीएचयू के डाक्टरों और विज्ञानियों की टीम ने की जांच
बनारस में गंगा में कोविड-19 वायरस नहीं पाया गया है।

वाराणसी, हिमांशु अस्थाना। बनारस में गंगा में कोविड-19 वायरस नहीं पाया गया है। यह पहले भी सत्यापित हो चुका है कि बहाव वाले जल में कोरोना वायरस नहीं पाया जाता, लेकिन बीएचयू और बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान, लखनऊ के विज्ञानियों द्वारा दो माह तक किए गए संयुक्त परीक्षण में गंगाजल की जो कोरोना रिपोर्ट अभी निगेटिव आई है, उसकी विशेष बात यह है कि सैंपल उन जगहों से भी इकट्ठा किए गए थे, जहां गंगाजल का ठहराव था। वहीं, वाटर ट्रीटमेंट (उपचार) के बाद भी लखनऊ में गोमती में गिरने वाले 80 फीसद नालों की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई है।

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बनारस में गंगाजल की सैंपलिंग मई में की गई थी, जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी। इसमें 16 जगहों से 16 सैंपल इकट्ठा किए गए थे। उस समय भी जल लिया गया था, जब गंगा में लाशें प्रवाहित हो रही थीं। बीएचयू के विज्ञानियों व डाक्टरों की टीम ने एक के बाद एक क्रमवार सैंपल लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान में जांच के लिए भेजा। करीब एक माह तक चले परीक्षण में सभी 16 सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इस सफलता से उत्साहित वैज्ञानिकों की टीम अब देशभर की अलग-अलग नदियों के जल का परीक्षण कर पता लगाएगी कि क्या वायरस को नष्ट करने की क्षमता एकमात्र गंगा में है या फिर कोई अन्य नदी इसमें सक्षम है। गौरतलब है कि बीते दिनों बनारस में गंगा घाटों पर शैवाल जमा हो गए थे।

शोध टीम में शामिल बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि गंगा के जल की आरटीपीसीआर जांच की गई। किसी भी सैंपल में आरएनए वायरस (कोविड-19 आरएनए वायरस है) का अस्तित्व नहीं मिला। हालांकि अन्य कई नदियों और सीवेज के जल परीक्षण में आरएनए वायरस होने के प्रमाण मिल चुके हैं। परिणाम में कोई त्रुटि न हो, इसके लिए न्यूरोलाजिस्ट प्रो.विजयनाथ मिश्रा के साथ सैंपलिंग लेते समय काफी सावधानी बरती गई। हर सप्ताह दो-दो सैंपल अलग-अलग जगहों से लिए गए। गंगा के मध्य, किनारे और सीवेज से 10 मीटर की दूरी से सैैंपल लिए गए थे। अध्ययन के अगले चरण में गंगा में मिलने से पहले और गिरने के तत्काल बाद सीवेज के पानी में कोरोना की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा। इसके लिए सैैंपल लिया जा चुका है।

गोमती में कोरोना वायरस मिलने की पूरी आशंका

बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के एंशिएंट डीएनए लैब और कोविड लैब के प्रमुख डा.नीरज राय के अनुसार गोमती के जिस बिंदु पर नाले मिलते हैैं, वहां कोरोना वायरस पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है। गंगा में आरएनए वायरस का न मिलना सुखद आश्चर्य है। पिछले साल सितंबर में लखनऊ के अधिकतर नालों के दूषित जल का सैंपल उपचार के पहले और बाद में, दो चरणों में जुटाया गया था। उपचार के बाद भी इनमें कोरोना वायरस पाया गया है। गोमती के पानी में भी कोरोना वायरस का अंश मिलने की पूरी आशंका है। लखनऊ में गोमतीनगर और चौक स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से लिए गए नमूनों की सिक्वेंसिंग कराकर कोविड के वैरिएंट का पता लगाया जाएगा। गंगा में आरएनए वायरस की गैर-मौजूदगी पर डा.नीरज ने कहा कि गंगाजल की एक खूबी उसका एंटी वायरल होना भी है। गंगा में ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैैं, जो वायरस का भक्षण करते हैैं। कोरोना के मामले में भी यही संभावना लग रही है।

गंगा के पानी में कोरोना का अस्तित्व क्यों नहीं, इस पर शोध कर सबसे सस्ती औषधि बनाई जा सकती है

गंगाजल में पाए जाने वाले फेज वायरस (जीवाणु भोजी) किसी अन्य वायरस के संपर्क में आते ही सक्रिय हो जाते हैं। कोविड वायरस के साथ भी यही हुआ है। गंगा के पानी में कोरोना का अस्तित्व क्यों नहीं है, इस पर शोध कर सबसे सस्ती औषधि बनाई जा सकती है।

-प्रो.विजयनाथ मिश्रा, न्यूरोलाजिस्ट, बीएचयू


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