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वाराणसी में कोरोना ने पसारे पांव तो माटी कला के जरिए आय बढ़ाने के लिए किया हुनर का प्रयोग

माटी के कारीगर भट्ठी लोहता ग्राम पंचायत के रहने वाले कुम्हार रामराज प्रजापति माटी के जादूगर हैं। यह अपने माटी के बनाए गए सामानों से हमेशा चर्चा में रहते हैं। इन्होंने अभी कुछ दिन पहले एक जादुई दिया बनाया था जिसकी बाज़ार में निरंतर मांग बनी हुई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 05 Jan 2022 09:58 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jan 2022 09:58 AM (IST)
वाराणसी में कोरोना ने पसारे पांव तो माटी कला के जरिए आय बढ़ाने के लिए किया हुनर का प्रयोग
अभी कुछ दिन पहले एक जादुई दिया बनाया था जिसकी बाज़ार में निरंतर मांग बनी हुई है।

वाराणसी [श्रवण भारद्वाज]। लोहता के हुनरमंद माटी के कारीगर भट्ठी, लोहता ग्राम पंचायत के रहने वाले कुम्हार रामराज प्रजापति माटी के जादूगर हैं। यह अपने माटी के बनाए गए सामानों से हमेशा चर्चा में रहते हैं।इन्होंने अभी कुछ दिन पहले एक जादुई दिया बनाया था जिसकी बाज़ार में निरंतर मांग बनी हुई है। रामराज कच्ची मिट्टी को आकार देकर छोटी सी छोटी जरूरत की वस्तुओं व जीवंत मूर्तियां तैयार करते हैं। इनकी मिट्टी की कलाकारी से प्रभावित होकर इन्हें कई जिलों में लगी माटी कला प्रदर्शनी में प्रथम स्थान व मेरिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है। रामराज के अनुसार उनके द्वारा बनाए गए जादुई दिया भी कई प्रदेशों में बिक चुके है जिसकी चर्चा खूब रही।

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रामराज कहते हैं, “ मिट्टी ही मेरी ज़िन्दगी है और यही मेरी आजीविका का साधन है।” कोरोना काल मे चुनौतियों के सामने भी नहीं टेके घुटने। कुम्हार का काम कर रहे रामराज प्रजापति कहते हैं,”अब हमारे काम में बहुत सी चुनौतियां आ गई हैं। स्टील, प्लास्टिक एवं प्लास्टर ऑफ पेरिस के सामान बाज़ार में उपलब्ध हो जाने से अब लोग मिट्टी के सामान नहीं खरीदते और जो खरीदते हैं वे पूरे दाम देने के लिए तैयार नहीं होते। पानी की कमी, बदलते मौसम, टूट-फूट से होने वाले घाटे सामान्य हैं, लेकिन इसके बाद भी मैं निराश नहीं होता। कई साथी कुम्हार इस काम को छोड़कर दूसरा काम करने लगे हैं और मुझसे भी कहते हैं कि मैं कुछ और कर लूं, लेकिन मैं मिट्टी के काम में निरंतर सम्भावना ढूंढ़ता हूं। हर बार सफलता नहीं मिलती लेकिन सीखने को जरूर मिलता है।

रामराज का कहना है कि उनका मक़सद मिट्टी का काम कर सिर्फ पैसे कमाना नहीं है, बल्कि इस परंपरा को जीवित रखना है। मिट्टी की मूर्तियां, दैनिक उपयोग की वस्तुएं, सजावटी सामान का निर्माण कर ज़्यादा से ज़्यादा रोजगार के अवसर पैदा करना चाहते हैं ताकि कोई भी इस पारम्परिक काम को न छोड़े। कहा कि मिट्टी से निर्मित सामान पर्यावरण के लिए हानिकारिक भी नहीं होते।

मिट्टी के काम से लाखों कमाए : राम राज प्रजापति ने बताया कि ये मिट्टी ही उनकी रोजी रोटी है उन्होंने मिट्टी के बर्तन, खिलौने, जग, कराही, घरौंधा, मैजिक लैंप आदि से लाखो कमा चुके हैं। अभी हाल में ही लखनऊ में तीन दिवसीय प्रदर्शनी में भी शामिल हो चुके है प्रदर्शनी में उनके माटी के कला की काफी सराहना हुई थी।


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