Corona infection in Varanasi : कोविड वार्ड की बदहाली ने निकाली मरीजों की जान और परिजनों के आंसू
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के कोविड वार्ड में अव्यवस्था और लापरवाही का आलम अब स्वस्थ मरीजों की भी जान लेने लगा है। वहां इलाज करा रहे मरीजों के परिजनों का आरोप है कि सुपर स्पेशियलिटी कांप्लेक्स में बने पांचों तल पर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के कोविड वार्ड में अव्यवस्था और लापरवाही का आलम अब स्वस्थ मरीजों की भी जान लेने लगा है। वहां इलाज करा रहे मरीजों के परिजनों का आरोप है कि सुपर स्पेशियलिटी कांप्लेक्स में बने पांचों तल पर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। कोविड के कारण जिनकी जान चली जा रही है उनका शव कई-कई घंटे वहीं बेड पर ही छोड़ दिया जाता है। इसकी वजह से वहां मौजूद अन्य रोगियों को घबराहट और श्वांस फूलने की समस्या देखी जा रही है तो वहीं पर कई उबरने वाले मरीजों भी कोविड से जंग हार जा रहे हैं।
एक व्यक्ति की आक्सीजन सप्लाई मशीन बार-बार रूकने से उसकी मृत्यु हो जाती है। वह कई बार चीखा-चिल्लाया मगर कोई नर्स, स्टाफ या डाक्टर उसे ठीक करने नहीं आता। वहीं कई मरीजों के बेड से गिर जाने से भी मौत हो गई। हालांकि बीएचयू प्रशासन का कहना है कि बेड समेत सभी मरीजों के लिए उचित सुविधा व संसाधन उपलब्ध हैं। वहीं यहां की दुदर्शा पर कई परिजनों ने शिकायत की, जिनके विवरण कुछ इस प्रकार से हैं।
केस - 1
माता जी को कोविड होने के बाद इमरजेंसी में दिखाने लेकर गई। वहां से उन्हें कोविड वार्ड में शिफ्ट किया गया। मैं नारियल पानी और दवाइयां देकर आती थी, मगर कोई स्टाफ उन्हें कुछ नहीं खिलाता था। तीन दिनों से उन्हें भोजन या पानी नहीं दिया गया। एक बार रात में एक मरीज का फोन आता है कि आपकी माता जी बेड से गिर पड़ी हैं और कई घंटे से वैसे ही अचेत पड़ी हैं। पास के मरीज सिस्टर-सिस्टर चिल्लाते रहे, मगर कोई नर्स या स्टाफ उन्हें उठाने नहीं आता। वह दो से तीन बार बेड से गिर गई, जिसके बाद में शायद कोमा में चली गईं। इंचार्ज ने न तो फोन उठाया और न ही कोई मैसेज का कोई जवाब दिया। न्यूरोसर्जन ने कहा सीटी स्कैन करवाना है मगर वह भी नहीं किया गया। कोविड से उबरने के बावजूद 28 घंटे तक दर्द सहते हुए मेरी मां इस दुनिया को अलविदा कह गईं।
केस - 2
नाम न छापने की शर्त पर एक परिजन ने बताया कि बीएचयू में नए भवन के दूसरी मंजिल पर बने कोविड वार्ड में हो रही लापरवाही और बुरे हालात आपके रौंगटे खड़ा कर देगा। पत्नी कोविड से पीड़ित थी। काफी कवायद के बाद बीएचयू में उन्हें भर्ती कराया। उनका नंबर आया तो दोपहर में मरीज का हाल जानने जब वह अंदर गये तो वहां के हालात देख भौचक थे। बेड से नीचे गिरकर तड़प रही थी। इस बीच कोई स्टाफ उनकी मदद करने तक नहीं आया था। बदहाली देख वह अस्पताल में फूट-फूट कर रोने लगे और मदद की गुहार लगाते रहे, मगर किसी ने एक न सुनी।
केस - 3
मेरे पिता आइआइटी-बीएचयू में कार्यरत हैं। बीएचयू के कोविड वार्ड में भर्ती थे। ऑक्सीजन स्तर बिना मास्क के 45-60 से नीचे चला जाता था। उन्हें जिस वेंटिलेटर मशीन जिस पर रखा जाता है वह पांच बार खराब होता है। बीएचयू के कोविड वार्ड में नर्सिंग स्टाफ को यह भी नहीं पता कि मरीज को मास्क कैसे लगाया जाए। वे यह भी नहीं जानते कि मरीज के हाथों पर ड्रिप कैसे लगाई जाती है। एक नर्सिंग स्टाफ ने मेरे पिता के हाथ को पांच बार चोटिल कर दिया और ड्रिप लगाने में भी असफल रहा। इसके बाद कहा कि जब डाक्टर आएंगे तब लगेगा ड्रिप। कुछ दिन पहले ही मेरे पिता की नाक का एक छिद्र रक्त के थक्के के कारण बंद हो गया था और श्वांस लेने में कठिनाई हाे रही थी। उनके ऑक्सीजन का स्तर 40 तक कम हो गया। इस बीच वार्ड बॉय और डॉक्टरों ने उनकी एक नहीं सुनी। अंत में मुझे ही जीवन को बचाने के लिए हर प्रोटोकॉल को तोड़ना पड़ा और जरूरी उपाय किए। यदि कोई प्राइवेट वार्ड और बेहतर वेंटिलेटर मिल जाता तो पिताजी स्वस्थ हो सकते हैं।
केस
हमारे पिता की हालत काफी गंभीर बनी हुई है। बीएचयू में भर्ती करने के बाद आरटी-पीसीआर रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जबकि उनका चेस्ट सीटी स्कैन रिपोर्ट बता रहा है स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। उनका स्कोर 24 है और आक्सीजन सेचुरेशन का लेवल भी 50 से नीचे आ गया है, मगर अस्पताल प्रशासन ने अभी तक आक्सीजन भी नहीं उपलब्ध कराया है।
केस - 5
तीन दिन पहले बीएचयू में भर्ती हुए मेरे पापा एकदम ठीक थे। अचानक से उनकी तबियत बिगड़ने की सूचना बीएचयू के कोविड वार्ड से एक मरीज ने दी। कहा कि काफी देर से वह बेसुध पड़े हैं। जब अस्पताल के एक उच्चाधिकारी को फोन किया तो बताया गया कि वह बिल्कुल स्वस्थ हैं और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी तो चौथी मंजिल के नान आइसीयू वार्ड में भी उपलब्ध करा देंगे। इतने में मैं और मेरी मां अस्पताल पहुंचकर देखते हैं तो पापा की श्वांस बंद हो गई थी। जैसे अंधेरा सा छा गया, चीखने-चिल्लाने पर भी किसी ने मेरी फरियाद नहीं सुनी।
-शाश्वत